यौन रोग ( सैक्सुयली ट्रांसमिटेड इंफैक्शन्ज़) के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि बैक्टीरियल एस.टी.डी के लगभग 10 लाख नये केस रोज़ाना हो जाते हैं।
इन के बारे में छोटी छोटी बातें हैं जो कि अकसर आम आदमी ठीक से समझ नहीं पाता या शायद उसे कभी इस के बारे में ढंग से बताया ही नहीं जाता। कारण कुछ भी हो इन तकलीफ़ों के बारे में बहुत सी भ्रांतियां हैं।
इन के बारे में हम लोग कितनी भी चर्चा कर लें ---लेकिन सोलह आने सच्चाई यह है कि इन तकलीफ़ों का सब से बड़ा कारण है --ये तरह तरह की यौन-विकृतियां। आपने देखा है कि अकसर अब अखबारों में, चैनलों पर गैंग-रेप की खबरें दिखती हैं। तरह तरह की ग्रुप्स हैं, क्लबें हैं......अखबारों में इस इस तरह के इश्तिहार दिखते हैं कि यह यकीन मानना ही होगा कि अब जहां तक हमारी कल्पना शक्ति पहुंच सकती है वह सब कुछ कहीं न कहीं हो रहा है।
अकसर यही समझा जाता है कि संभोग करने से ही यौन-रोग एक पार्टनर से दूसरे पार्टनर को फैलते हैं लेकिन ऐसा नहीं है यौन-रोग चुंबन से भी और शरीर से निकले वाले अन्य द्वव्यों (secretions) से भी फैलते हैं।
अकसर लेखों में लिखा जाता है कि आप अपने पार्टनर के प्रति वफ़ादार रहें और साथ में यह भी कहीं कहीं लिखा होता है कि जहां ज़रूरत हो वहां पर कंडोम का इस्तेमाल भी ज़रूर करें।
मुझे लगता है कि पढ़े-लिखे लोगों में कैजुएल सैक्स का डर तो है लेकिन उतना नहीं जितना होना चाहिये। और कम पढ़े लिखे लोग और घरों से बाहर दूर-दराज नगरों में रहने वालों लोगों में तो जोखिम और भी है।
पता नहीं क्यों सैक्स के बारे में हम लोग अपने घर में अपने बच्चों के साथ खुल के बात क्यों नहीं करते ---अगर बाप अपने बेटे को और मां अपनी बेटी को समझा के रखे तो यौन रोगों से बचे रहने में काफ़ी मदद मिल सकती है।
यह जो आज पोर्नोग्राफी खुले आम बिक रही है --- इस ने भी सारी दुनिया के सीधे सादे लोगों की ज़िंदगी में आग सी लगा दी है। उस का तजुर्बा करने की ललक कुछ लोगों में जाग उठती है। वे यह भूल जाते हैं ये तो पोर्न-स्टार हैं ---कलाकर हैं ---- और यह भी तो नहीं पता कि ये किन किन भयानक बीमारियों से ग्रस्त हैं। क्योंकि यौन रोगों से ग्रस्त रोग अकसर देखने में स्वस्थ दिखते हैं।
और कितनी भी कोई सावधानियां बरत ले, यह यौन-विक़तियों वाला खेल तो आग से खेलने के समान है ही। पिछले कुछ दिनों से मैं कुछ रिपोर्ट देख रहा हूं कि अमेरिका जैसे अमीर देश में भी यौन रोगों के केस बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
हमारे देश में इन यौन रोगों का दंश सब से ज़्यादा महिलायें सहती हैं। अकसर पुरूष लोग अपनी इस तरह की तकलीफ़ों को बताते नहीं ----बस यूं ही सब कुछ चलता रहता है और बीमारी आगे फैल जाती है। वैसे तो कुछ यौन रोगों के इलाज का तो नियम ही यही है कि मर्द-औरत का इलाज एक साथ हो -----ताकि बीमारी का पूरा सफाया हो सके।
यह इतना पेचीदा विषय है कि जब भी मैं इस के ऊपर लिखने लगता हूं तो यही लगता है कि कहां से शूरू करूं ------बस, ऐसे ही जो मन में आता है लिख देता हूं। लेकिन एक बात तो तय है कि अकसर जो छोटे मोटे यौन रोग दिखते हैं जिन की वजह से यौनांगों पर छोटे छोटे घाव से हो जाते हैं ऐसे रोग इन घावों की वजह से एच-आई-व्ही संक्रमण जैसे रोगों को भी निमंत्रण दे देते हैं।
कोई समाधान तो हो कि आदमी का ध्यान बस इन सब में ही गड़े रहने से बचा रहे ----कोशिश की जाए की बच्चों को बचपने से ही अच्छे अच्छे संस्कार दिये जाएं ---और यह नियमित तौर पर किसी सत्संग में जुड़े रहने के बिना संभव नहीं है। और बच्चों को शारीरिक परिश्रम करने की आदत डाली जाए ---- सात्विक खाना खाएं और जिस कमाई से यह सब आ रहा है वह भी इमानदारी की हो , और बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार रखा जाए ताकि आप उन की अवस्था के अनुसार ये सब मुद्दे उन के साथ डिस्कस भी कर सकें और वे भी अपना दिल की बातें आप से बांटने में संकोच न करें---- I think that's the only survival kit for saving the younger generation from being swept by this notorious hurricane of sexual perversions ----pre-marital sex, extra-marital affairs, group sex, swaps, sex parties and so on and so forth --------- as I say one's imagination is the limit, really !!!
आपको यौन बीमारियों के बारें में एक एक कर बताना चाहिए था -लेख का अंतिम हिस्सा तो मारल प्रीचिंग हो गया है -वह सब तो ठीक है, लेकिन आप बीमारियों की चर्चा भी तो करें -इस समय हर्पीज वाईरस का आतंक हैं इनके बारे में कुछ बताईये .....सेक्स के पाजिटिव पहलुओं पर कुछ जानकारी दें -कई लोग इसे टैबबू मानकर जीवन को नरक किये बैर्ठे हैं ....उनको एजुकेटे कैसे करें इस विषय को भी लें -कुछ सुझाव मात्र हैं !
जवाब देंहटाएंकोई समाधान तो हो कि आदमी का ध्यान बस इन सब में ही गड़े रहने से बचा रहे ----कोशिश की जाए की बच्चों को बचपने से ही अच्छे अच्छे संस्कार दिये जाएं ---और यह नियमित तौर पर किसी सत्संग में जुड़े रहने के बिना संभव नहीं है। और बच्चों को शारीरिक परिश्रम करने की आदत डाली जाए ---- सात्विक खाना खाएं और जिस कमाई से यह सब आ रहा है वह भी इमानदारी की हो , और बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार रखा जाए ताकि आप उन की अवस्था के अनुसार ये सब मुद्दे उन के साथ डिस्कस भी कर सकें और वे भी अपना दिल की बातें आप से बांटने में संकोच न करें----
जवाब देंहटाएंबस यही सब से उचित मार्ग है इस बिमारी से बचने का. यह कंडोम वगेरा तो लाईसेंस है कि खुल कर सेक्स करो, बेधडक.... जानवरो की तरह से, लेकिन हम भुल जाते है कि संस्कार बहुत मायने रखते है, ओर बच्चो को खुल कर नही, तो तरीके से साबधान करे इस बारे मै लेकिन डर ना डाले...ओर सफ़ सगाई पर भी पुरा ध्यान देवे, बहुत अच्छा लेख लिखा आप ने,
युरोपियन ओर अमेरिकन लोग सेक्स शिक्षा तो बच्चो को स्कुळ मै देते है.... लेकिन संस्कार नही देते,ज्यादा तर यहां १४ साल की लडकिया सब कुछ जानती है,ऒर सेक्स का मजा खुल कर लेती है....ओर पता नही कितने पार्टनर बदल चुकी होती है प्यार ओर आजादी के नाम पर..... हमारे बच्चे इसी लिये बचे रहते है क्योकि हम बच्चो का पुरा ध्यान रखते है, ओर साथ लाये संस्कार भी उन मे डालते है, लेकिन जो भारतिया यहां पैसो के पीछे भागते है, उन के बच्चे भी इन गोरो के बच्चो से कम नही होते, इस लिये बच्चो मै संस्कार ओर लगाव वा समय लगाना बहुत जरुरी है
लोगबाग तो इस विषय पर बात करने को ही तैयार नहीं।
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