इस टैस्ट का पूरा नाम है – ईकोकार्डियोग्राम – और यह दिल का अल्ट्रासाउंड है। एक ईकोकार्डियोग्राम के द्वारा डाक्टर किसी मरीज के हार्ट वाल्वस ( heart valves) चैक कर पाता है, उस के हार्ट के साइज़ का अनुमान लगा पाता है और इस बात का भी पता लगा पाता है कि मरीज का हार्ट अपनी काम कितना कुशलता से कर रहा है !
इस टैस्ट को करने के लिये किसी मरीज़ को एक टेबल पर लिटा देने के बाद एक क्लियर जैली को मरीज़ की छाती पर लगाया जाता है ताकि अल्ट्रासाउंड का सैंसर ( जो कि माइक्रोफोन की तरह दिखता है) मरीज़ की चमड़ी पर आसानी से मूव कर सके।
टैस्ट के दौरान मरीज के दिल की एक तस्वीर सामने पड़ी वीडियो-स्क्रीन पर आ जाती है। मरीज की छाती पर रखे अल्ट्रासाउंड सैंसर को आगे पीछे सरका कर डाक्टर हार्ट के विभिन्न व्यूज़ देख पाता है। कईं बार मशीन से आने वाली आवाज़ को भी ऑन ही रखा जाता है ताकि दिल की धड़कन एवं रक्त के बहाव की आवाज़ को सुना जा सके।
अगर डाक्टर मरीज के हार्ट को एक्शन में देखना चाहता है ( जब यह सख्त काम कर रहा होता है) ....तो मरीज़ की एक्ससाईज़ ईको ( Exercise Echo) की जाती है। इस एक्सरसाईज़ ईको में मरीज एक खड़ी हुई साईकिल पर पैडल मारता जाता है और इस के साथ साथ उस का ईकोकार्डियोग्राम होता जाता है।
एक दूसरी तरह का ईकोकार्डियोग्राम होता है –स्ट्रैस ईकोकार्डियोग्राम – इस टैस्ट को करने से पहले मरीज को एक इंजैक्शन दिया जाता है जिस से उस के हार्ट में रक्त का बहाव बढ़ जाता है।
ईकोकार्डियोग्राम करने से पहले मरीज को किसी तरह की तैयारी की ज़रूरत नहीं होती, इस टैस्ट में कोई भी रिस्क इंवाल्व नहीं है, और टैस्ट के बाद भी किसी भी विशेष बात का ध्यान रखने वाली कोई बात नहीं होती।
अगर यह टैस्ट एक डाक्टर करता है तो कुछ परिणाम मरीज़ को तुरंत ही पता चल जाते हैं। लेकिन अगर टैक्नीशियन यह टैस्ट करता है तो वह ईकोकार्डियोग्राम को एक वीडियो टेप पर रिकार्ड करता है जिसे बाद में कार्डियोलॉजिस्ट के द्वारा देखने पर रिपोर्ट तैयार की जाती है।
मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इस टैस्ट को किसी भी तरह से इलैक्ट्रोकार्डिग्राम से कंफ्यूज़ नहीं कर रहे हैं--- Electrocardiogram यानि की ECG जिस से आप भली-भांति परिचित हैं।