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आज मेरी ओपीडी में एक अधेड़ उम्र के शख्स आए...५५-६० की उम्र के ही लग रहे थे... साथ में एक २० वर्ष के करीब की एक बेटी थी... उसके इलाज के लिए आये थे।
ऐसे ही बात चली तो पता चला कि वह बच्ची उन की भतीजी है..और वे तो २० साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। मुझे यह जानकर बेहद आश्चर्य हुआ.. क्योंकि मुझे उन की उम्र ६० के ऊपर लग ही नहीं रही थी, एकदम दुबला-पतला स्वस्थ शरीर और चेहरे पर चमक-दमक। मूल रूप से इटावा के रहने वाले हैं। इंटरमीडिएट तक शिक्षा है और कार्यालय अधीक्षक (ऑफिस सुपरिन्टेंडेंट) के पद से रिटायर हुए थे।
दो तीन लोग उस समय मेरे पास खड़े थे....उन की भतीजी की जांच करने के बाद मैंने उस शख्स से पूछ ही लिया कि यार, ज़रा आप दो मिनट हम सब के फायदे के लिए इस उम्र में भी ऐसी सेहत का राज़ बतलाइए।
मैं चाहता हूं कि उन्होंने दो तीन मिनट में जो कहा ...आप भी उसे पढ़े, समझें....विशेषकर आज की युवा पीढ़ी जिन की बॉडी-क्लॉक अस्त-व्यस्त है.. न खानेपीने का कोई ठिकाना, न सोने-जागने का, और खाने पीने में भी ज़्यादातर जंक फूड की भरमार है।
उन्होंने बताया...
"सुबह छः बजे उठ जाता हूं..टहलने जाता हूं रोजाना एक घंटा....सुबह केवल मुट्ठी भर चने, दो तीन बादाम, और किशमिश जो रात में भिगो देता हूं ...सुबह उस पानी को पीता हूं और चने-बादाम-किशमिश का खाता हूं, बस। फिर घर के काम काज में बिजी हो जाता हूं... थोड़ा अखवार-वार देख लेता हूं... टीवी देखता हूं लेकिन बहुत कम... केवल आस्था चैनल और खबरें।
दोपहर में दाल रोटी साग सब्जी खाता हूं .लेकिन दो रोटी से ज़्यादा कभी नहीं। फिर आराम करता हूं। देसी-घी बाबा रामदेव के यहां से ४५० रूपये किलो लाकर रोज़ाना खाने के साथ --दाल-रोटी पर लगा कर लेता हूं। दूध पीते समय उस में छुवारे उबाल कर पीता हूं।
चावल खाता तो हूं बहुत कम ..सप्ताह में एक बार। मीठे का शौकीन इतना हूं कि बस खाने के बाद थोड़ा गुड़ लेता हूं।
दोपहर का खाना खाने के बाद आराम करता हूं... फिर शाम को टहलता हूं ..दो चपाती दाल सब्जी खाता हूं रात को ..नींद पूरी लेता हूं......बस यही है डाक्टर साहब अपने सेहतमंद रहने का राज़।"
मुझे उन की इतनी बढ़िया जीवनशैली के बारे में जान कर बहुत खुशी हुई। मैंने ठहाके लगाते हुए कहा कि यार, आपने तो पूरी दोगुनी पेन्शन लेने का जुगाड़ कर रखा है(सेवानिवृत्त कर्मचारियों को १०० वर्ष की आयु होने पर उन्हें मिलने वाली पेन्शन डबल हो जाती है) ...मेरी बात सुन कर वह भी हंसने लगे ...कहने लगे आप सब का आशीर्वाद मिल गया है, यह भी हो जाएगा।
इन्होंने कभी भी बीड़ी-सिगरेट-दारू किसी तरह का नशा नहीं किया। ये कभी हस्पताल गये ही नहीं है कोई दवाई लेने.....कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी। चाय केवल सर्दी के दौरान पीते हैं, गर्मी में बिल्कुल बंद।
एक दम खुशमिजाज हंसता खिलखिलाता ८० वर्षीय बुज़ुर्ग।
दोस्तो, क्या जो बातें वह बुज़ुर्ग मुझे और मेरे मार्फत आप सब को याद दिला गया...क्या वे बातें हम सब पहले ही से नहीं जानते हैं?...आप को भी लगता होगा कि इन में है क्या, लेकिन फिर भी दोस्तो, हम पता नहीं क्यों इन बातों पर चल नहीं पाते।
अगर आप उस अधेड़ रूपी बुज़ुर्ग की बातें ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि उस की हर बात में लंबी सेहतमंद ज़िंदगी का राज़ छिपा है। है कि नहीं?
काश, अगर हम इन बड़े-बुज़ुर्गों के जीवन से कुछ सीख ले सकें तो ज़िंदगी के मायने ही बदल जाएं।
एक बात का मलाल है कि मैंने उन की तस्वीर नहीं ली...आप को उन के चेहरे की तरो-ताज़गी और ज़िंदगी के प्रति उत्साह की एक झलक दिखाने के लिए। फिर कभी उन का चक्कर लगेगा तो उन के दर्शन करवा दूंगा।
वैसे तो मैं नज़र वज़र लगने में विश्वास नहीं रखता......और वैसे भी डाक्टर लोगों की नज़र भी कभी बुरी होती है क्या! यही प्रार्थना है कि ये बुज़ुर्ग शतायु हों।
वैसे मैंने कुछ अरसा पहले आप को एक दूसरे बुज़ुर्ग से भी मिलवाया था जो ७० की उम्र में ७० किलोमीटर की साईक्लिंग करते हैं......७० की उम्र में रोज़ाना ७० किलोमीटर की साईक्लिंग।
वैसे ८० साल के एक और बुज़ुर्ग की बातें यहां भी हैं... बिना किसी तकलीफ़ के भी रक्तचाप की जांच। वैसे मैंने जब आज वाले ८० साल के बुज़ुर्ग का ब्लड-प्रेशर नापा तो बिल्कुल ठीक आया।
इन सेहतमंद बुज़ुर्गों को देख कर यही लगता है कि जो लोग ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं, वे ऐसे ही बढ़िया जी लेते हैं। आप का क्या ख्याल है?
इन सेहतमंद बुज़ुर्गों को देख कर यही लगता है कि जो लोग ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं, वे ऐसे ही बढ़िया जी लेते हैं। आप का क्या ख्याल है?
धन्यवाद, राजेन्द्र जी..
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग है - पर होता अधिकतर ये है कि लोग जानते-समझते भी मानना ज़रूरी नहीं समझते !
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फरमा रही हैं आप, प्रतिभा जी।
जवाब देंहटाएंपोस्ट देखने के लिए धन्यवाद..