शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

ताकत की दवाईयां --कितनी ताकतवर ?

अगर ताकत की दवाईयों में ज़रा सी भी ताकत होती तो चिकित्सक सब से ज़्यादा ताकतवर होते -- लेकिन ऐसा नहीं लगता। जब दिन में कितने ही मरीज़ किसी डाक्टर से यह पूछें कि डाक्टर साहब, ताकत के लिये भी कुछ लिख दीजिये, तो खीज की बजाए दया आती है इस तरह के प्रश्न करने वाले पर।
क्योंकि सच्चाई तो यही है कि इन ताकत की दवाईयों में ताकत होती ही नहीं हैं ---- पहले तो हम लोग यह ही नहीं जानते कि आम आदमी की ताकत की परिभाषा क्या है और यह ताकत वाली दवाई आखिर किस बला का नाम है।

जहां तक मुझे याद है इस ताकत की दवाई का इश्तिहार हम लोग पांचवी-छठी कक्षा में दीवारों पर लिखा देखा करता थे --- क्या ? ताकत के लिये मिलें ---फलां फलां हकीम से।

यह कौन सी ताकत की बात होती होगी यह आप जानते ही हैं --वैसे भी हिंदी के कुछ अखबारों में आजकल इस तरह के विज्ञापन बिछे रहते हैं।

लेकिन यहां पर हम ताकत के इस मसले की बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि ये सब बातें पहले काफी हो चुकी हैं। तो फिर आज एक दो कुछ और बातें करते हैं।

इतनी सारी महिलायें कमज़ोरी की शिकायत करती हैं और दूसरी दवाई के साथ कुछ ताकत के लिये भी लिखने के लिये कहती हैं। लेकिन लिखने वाला ज़्यादातर केसों में जानता है कि ये सब ताकत के कैप्सूल, गोलियां दिखावा ही है ---इन से कुछ नही ं होने वाला। हां, अगर महिला में खून की कमी (अनीमिया ) है और उस की तरफ़ ध्यान दिया जाये, उस के शरीर में कैल्शीयम की कमी को पूरा करने की बात हो तो ठीक है, वरना ये तथाकथित ताकत के कैप्सलू, टीके, टैबलेट क्या कर लेंगी ---- केवल मन को दिलासा देने के लिये बस ये सब ठीक हैं।

कुछ मातायें बच्चों के लिये टॉनिक की फरमाईश करती हैं ---- और आप को देखने पर लगता है कि बच्चा तो ठीक ढंग से खाना भी न खाता होगा। ऐसे में क्या करेंगे टॉनिक ?

लेकिन समस्या कुछ हद तक अब यह है कि ये ताकत की दवाईयां अब लोगों के दिलो-दिमाग पर इस कद्र छा चुकी हैं कि इन के बारे में ज़्यादा सच्चाई भी इन्हें नहीं पचती। अगर उन्हें इतनी लंबी चौड़ी नसीहत पिलाने की कोशिश भी की जाती है तो डाक्टर के चैंबर के बाहर जाकर वे उस नसीहत को थूक देते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो लोगों में इन ताकत की शीशियों, इंजैक्शनों एवं कैप्सूलों के बारे में ऐसी राय न देखने को मिलती जैसी कि आज दिख रही है।

अगली पोस्ट में देखेंगे कि आखर ताकत की दवाईयों से भला ताकत ही क्यों गायब है और इस के साथ साथ यह भी जानना होगा कि आखिर ये ताकत की दवाईयां किस बला का नाम है !!

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3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उपयोगी जानकारी....
    अजी गोली मारिये इस एलोपैथी को... अपना तो आयुर्वेद जिन्दाबाद.....

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  2. चोपडा साहब पता नही क्यो आप के विचार मेरे से बहुत मिलते है, वेसे मै इतना पढा लिखा नही आप की तरह ड्रां भी नही, लेकिन मेरे पिता जी हमेशा मुझे समझते थे,शायद यह उन्ही की नशीहत का फ़ल है, ताकत की दवा... :) आप ने बहुत उपयोगी जानकारी दी.
    धन्यवाद

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