बहुत से लोगों के मन में यह बात होगी कि पान मसाला गुटखे खाते तो बहुत से लोग हैं...हर कोई थोड़े ही न मुंह के कैंसर से मर जाता है। इस का जवाब यही है कि किसे यह बीमारी घेर लेगी किसे छोड़ देगी...यह कोई नहीं कह सकता...अब अगर इस समझ के साथ कि देखते हैं हमें कुछ असर होता है कि नहीं...इस तरह के शौक पाल लिए हैं तो कोई क्या करे।
यह २५ साल के अविवाहित युवक की फोटो है...मुंह में एक घाव था ..इसलिए मेरे पास कल आया था....मुंह चैक करने पर पाया कि इस का मुंह बहुत कम खुलता है...केवल इस की एक अंगुली ही मुंह में जा पाती है. मुंह का निरीक्षण करने पर पाया कि इसे मुंह के कैंसर की पूर्वावस्था है ...जिसे ओरल-सबम्यूकसफाईब्रोसिस कहते हैं....पूरे लक्षण इस में दिखे।
इस ने तंबाकू का कभी सेवन नहीं किया....१४ साल की उम्र में उसे पान मसाले की लत लग गई... दो साल खूब पानमसाला खाया...१६ वर्ष की आयु तक पहुंचते पहुंचते मुंह पूरा खुलना बंद हो गया।
यह लड़का डर गया और इसने पानमसाला कुछ महीनों के लिए छोड़ दिया। कुछ ही महीनों में कह रहा है कि मुंह फिर ठीक हो गया...और इसलिए फिर से पानमसाला चबाना शुरू कर दिया। (यह इस का कहना है कि मुंह ठीक हो गया..मुझे नहीं लगता कि मुंह पूरी तरह से ठीक हो गया होगा).
अब जब दूसरी बार पानमसाले की लत गई तो इस ने फिर से चार पांच साल खूब खाया ...और फिर इस के मुंह का बुरा हाल हो गया...मुंह में घाव हो गये, खाया पिया उस घाव में लगने लगा....आफत हो गई...किसी डाक्टर के पास गया...उसने कहा कि इस लत को छोड़ दे नहीं तो तू कुछ भी खाने के काबिल नहीं रहेगा....और तेरे गले में सुराख कर के पाइप डालनी पड़ेगी। यह बात सुन कर यह डर गया...इस ने पिछले चार पांच साल से तौबा कर रखी है ..कह रहा है कभी पानमसाला को नहीं खाया तब से।
लेिकन आप यह देखिए कि यह कमबख्त पानमसाला छोड़े चार पांच साल हो गये हैं लेकिन इस बीमारी ने इस का पीछा नहीं छूटा। कह तो रहा था कि उसे आराम है ...मुंह में अब घाव वाव नहीं है, खाया पिया भी आराम से बिना मुंह के मांस के अंदर जलन पैदा हुए ले पाता हूं...लेिकन डाक्टर निगाह से बीमारी जस की तस ही है...
इलाज इसने इस बीमारी का करवाया नहीं.... मैंने पूछा कि परिवारीजनों का पता है कि तुम यह खाते हो...कहने लगा है कि पता है तभी तो मेरे साथ आते नहीं है, कहते हैं कि हम क्या डाक्टर को जवाब दें कि तू क्या खाता रहा है!
पानमसाला गुटखा तंबाकू की वजह से मुंह के कैंसर एवं उन की पूर्वावस्था के केस देख कर मन बहुत दुःखी होता है। क्या करें.....अब मानता है कि गलती हो गई।
मुझे पता है कि इस बीमारी का इलाज करवाना हर एक के बस की बात नहीं है...लेिकन आप अनुमान लगाईए इस की परेशानी का ....खाना ठीक से खा नहीं पाता... केला तक खाने में पहले उसे हाथ में लेकर छोटे छोटे टुकड़े करता है फिर खाता है...आप को भी ऐसा नहीं लगता कि इस युवक की परेशानी की कल्पना मात्र से ही किसी का भी सिर दुःखने लग जाए।
यह इस युवक की स्टोरी नहीं है ..इस के भाई को भी यही समस्या है.......और इस के भाई की ही नहीं, मेरे पास आए दिन इस तरह के युवक आते रहते हैं..
इलाज इन तकलीफ़ का बहुत पेचीदा है....हम लोग इन्हें ओरल सर्जन के पास रेफर कर देते हैं....लेकिन मैंने आज तक एक भी मरीज वापिस आता नहीं देखा ... जिस ने मुझे दिखाया हो कि उसका मुंह खुल गया पूरा......उस के मुंह की जकड़न ठीक हो गई.....अब वे इलाज के लिए जाते नहीं हैं...या फिर दूसरे तरह के इलाज के चक्कर में पड़ जाते हैं कि मुंह में यह जैल लगा लेंगे ..वह लगा लेंगे ..ठीक हो जाएगा.....कुछ ठीक नहीं होता इस तरह के टोटकों से.....जब तक किसी ओरल सर्जरी के विशेषज्ञ इस का पूरा इलाज नहीं करते तब तक यह अवस्था ठीक नहीं होती।
और वैसे तो इलाज करवाने के बाद भी जकड़न फिर से कुछ केसों में हो जाती है।
और जैसा कि इस अवस्था का नाम ही है..मुंह के कैंसर की पूर्वावस्था....इस के कैंसर में तदबील होने की संभावना तो रहती ही है। और मुंह के कैंसर के मरीज़ कितने समय तक जिंदा रहते हैं , आप जानते ही होंगे!
सब से पहला कदम तो यही है इस के इलाज का कि पानमसाले को छोड़ दिया जाए...मैं तो अकसर अपने मरीज़ों को कहता हूं कि अगर इसे नहीं छोड़ सकते तो फिर इलाज भी मत करवाओ....ज़ाहिर सी बात है कि वे मान जाते हैं इस लत को छोड़ने के लिए....और अगर ढंग से इस का इलाज करवाया जाए तो कुछ फर्क तो पड़ता ही है......वैसे भी डाक्टरों की निगरानी में ऐसा मरीज रहता है तो मुहं की परिस्थिति का पता चलता रहता है...और इसे इन चीज़ों से दूर रहने की प्रेरणा भी निरंतर मिलती है।
दोस्तो बहुत लेख लिख गए इस विषय पर पिछले दस वर्षों में ...सच बताऊं तो अब इस विषय पर कुछ भी लिखने की इच्छा सी नहीं होती......सब चूXXपंती सी लगने लगी है कि हम लोग प्रतिदिन बकवास करते रहते हैं....सुनने को कोई राज़ी नहीं है, बस लिख कर अपने आप को तसल्ली दे लेते हैं।
बाकी बात शत प्रतिशत सच है कि ये सब जानलेवा शौक हैं.....कौन बच जाएगा, कौन लुट जाएगा....शायद कुछ लोग इस खेल को खेलना पसंद करते हैं।
मैं हैरान हूं कि इस तरह के खतरनाक पदार्थ बिकते ही क्यों हैं...हां, एक बात बताना भूल गया कि यह युवक ने कहा कि उसने एक बार ठीक होने पर जब फिर से पानमसाला खाना शुरू किया.....तो इसी भरोसे पर किया कि जब तक खा रहा हूं तो मुंह ना खुलने की परेशानी है, जब इसे खाना छोड़ दूंगा तो फिर से मुंह खुलने लगेगा......लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ....मुंह की बीमारी स्थायी ही हो गई।
हां, इस के मुंह में जो घाव है वह एक अकल की जाड़ के टेढ़े आने की वजह से है ...उस की दवाई दे दी है......दो तीन दिन बाद देखेंगे कि आगे क्या करना है।
इस उम्र के लड़कों में इस तरह की बीमारियां खुद की मोल ली हुईं देख कर मन बेहद दुःखी होता है...बेहद दुःखी..ब्यां करना मुश्किल है, शादी अभी इस की हुई नहीं, नौकरी लगी नहीं, खाने पीने के मौज मस्ती के दिन और मुंह का यह हाल!
अगर किसी २५ वर्ष के युवक की आपबीती पढ़ कर भी इस पोस्ट को पढ़ने वाले किसी भी बंदे का पानमसाले को हमेशा के लिए त्याग देने का मन न हो तो कोई उस को क्या कहे!
इस का मुंह इस से ज़्यादा नहीं खुल पाता...मुंह के पीछे का हिस्सा बिल्कुल चमड़े जैसा हो चुका है |
यह २५ साल के अविवाहित युवक की फोटो है...मुंह में एक घाव था ..इसलिए मेरे पास कल आया था....मुंह चैक करने पर पाया कि इस का मुंह बहुत कम खुलता है...केवल इस की एक अंगुली ही मुंह में जा पाती है. मुंह का निरीक्षण करने पर पाया कि इसे मुंह के कैंसर की पूर्वावस्था है ...जिसे ओरल-सबम्यूकसफाईब्रोसिस कहते हैं....पूरे लक्षण इस में दिखे।
इस ने तंबाकू का कभी सेवन नहीं किया....१४ साल की उम्र में उसे पान मसाले की लत लग गई... दो साल खूब पानमसाला खाया...१६ वर्ष की आयु तक पहुंचते पहुंचते मुंह पूरा खुलना बंद हो गया।
यह लड़का डर गया और इसने पानमसाला कुछ महीनों के लिए छोड़ दिया। कुछ ही महीनों में कह रहा है कि मुंह फिर ठीक हो गया...और इसलिए फिर से पानमसाला चबाना शुरू कर दिया। (यह इस का कहना है कि मुंह ठीक हो गया..मुझे नहीं लगता कि मुंह पूरी तरह से ठीक हो गया होगा).
अब जब दूसरी बार पानमसाले की लत गई तो इस ने फिर से चार पांच साल खूब खाया ...और फिर इस के मुंह का बुरा हाल हो गया...मुंह में घाव हो गये, खाया पिया उस घाव में लगने लगा....आफत हो गई...किसी डाक्टर के पास गया...उसने कहा कि इस लत को छोड़ दे नहीं तो तू कुछ भी खाने के काबिल नहीं रहेगा....और तेरे गले में सुराख कर के पाइप डालनी पड़ेगी। यह बात सुन कर यह डर गया...इस ने पिछले चार पांच साल से तौबा कर रखी है ..कह रहा है कभी पानमसाला को नहीं खाया तब से।
लेिकन आप यह देखिए कि यह कमबख्त पानमसाला छोड़े चार पांच साल हो गये हैं लेकिन इस बीमारी ने इस का पीछा नहीं छूटा। कह तो रहा था कि उसे आराम है ...मुंह में अब घाव वाव नहीं है, खाया पिया भी आराम से बिना मुंह के मांस के अंदर जलन पैदा हुए ले पाता हूं...लेिकन डाक्टर निगाह से बीमारी जस की तस ही है...
इलाज इसने इस बीमारी का करवाया नहीं.... मैंने पूछा कि परिवारीजनों का पता है कि तुम यह खाते हो...कहने लगा है कि पता है तभी तो मेरे साथ आते नहीं है, कहते हैं कि हम क्या डाक्टर को जवाब दें कि तू क्या खाता रहा है!
पानमसाला गुटखा तंबाकू की वजह से मुंह के कैंसर एवं उन की पूर्वावस्था के केस देख कर मन बहुत दुःखी होता है। क्या करें.....अब मानता है कि गलती हो गई।
मुझे पता है कि इस बीमारी का इलाज करवाना हर एक के बस की बात नहीं है...लेिकन आप अनुमान लगाईए इस की परेशानी का ....खाना ठीक से खा नहीं पाता... केला तक खाने में पहले उसे हाथ में लेकर छोटे छोटे टुकड़े करता है फिर खाता है...आप को भी ऐसा नहीं लगता कि इस युवक की परेशानी की कल्पना मात्र से ही किसी का भी सिर दुःखने लग जाए।
यह इस युवक की स्टोरी नहीं है ..इस के भाई को भी यही समस्या है.......और इस के भाई की ही नहीं, मेरे पास आए दिन इस तरह के युवक आते रहते हैं..
इलाज इन तकलीफ़ का बहुत पेचीदा है....हम लोग इन्हें ओरल सर्जन के पास रेफर कर देते हैं....लेकिन मैंने आज तक एक भी मरीज वापिस आता नहीं देखा ... जिस ने मुझे दिखाया हो कि उसका मुंह खुल गया पूरा......उस के मुंह की जकड़न ठीक हो गई.....अब वे इलाज के लिए जाते नहीं हैं...या फिर दूसरे तरह के इलाज के चक्कर में पड़ जाते हैं कि मुंह में यह जैल लगा लेंगे ..वह लगा लेंगे ..ठीक हो जाएगा.....कुछ ठीक नहीं होता इस तरह के टोटकों से.....जब तक किसी ओरल सर्जरी के विशेषज्ञ इस का पूरा इलाज नहीं करते तब तक यह अवस्था ठीक नहीं होती।
और वैसे तो इलाज करवाने के बाद भी जकड़न फिर से कुछ केसों में हो जाती है।
और जैसा कि इस अवस्था का नाम ही है..मुंह के कैंसर की पूर्वावस्था....इस के कैंसर में तदबील होने की संभावना तो रहती ही है। और मुंह के कैंसर के मरीज़ कितने समय तक जिंदा रहते हैं , आप जानते ही होंगे!
सब से पहला कदम तो यही है इस के इलाज का कि पानमसाले को छोड़ दिया जाए...मैं तो अकसर अपने मरीज़ों को कहता हूं कि अगर इसे नहीं छोड़ सकते तो फिर इलाज भी मत करवाओ....ज़ाहिर सी बात है कि वे मान जाते हैं इस लत को छोड़ने के लिए....और अगर ढंग से इस का इलाज करवाया जाए तो कुछ फर्क तो पड़ता ही है......वैसे भी डाक्टरों की निगरानी में ऐसा मरीज रहता है तो मुहं की परिस्थिति का पता चलता रहता है...और इसे इन चीज़ों से दूर रहने की प्रेरणा भी निरंतर मिलती है।
दोस्तो बहुत लेख लिख गए इस विषय पर पिछले दस वर्षों में ...सच बताऊं तो अब इस विषय पर कुछ भी लिखने की इच्छा सी नहीं होती......सब चूXXपंती सी लगने लगी है कि हम लोग प्रतिदिन बकवास करते रहते हैं....सुनने को कोई राज़ी नहीं है, बस लिख कर अपने आप को तसल्ली दे लेते हैं।
बाकी बात शत प्रतिशत सच है कि ये सब जानलेवा शौक हैं.....कौन बच जाएगा, कौन लुट जाएगा....शायद कुछ लोग इस खेल को खेलना पसंद करते हैं।
मैं हैरान हूं कि इस तरह के खतरनाक पदार्थ बिकते ही क्यों हैं...हां, एक बात बताना भूल गया कि यह युवक ने कहा कि उसने एक बार ठीक होने पर जब फिर से पानमसाला खाना शुरू किया.....तो इसी भरोसे पर किया कि जब तक खा रहा हूं तो मुंह ना खुलने की परेशानी है, जब इसे खाना छोड़ दूंगा तो फिर से मुंह खुलने लगेगा......लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ....मुंह की बीमारी स्थायी ही हो गई।
हां, इस के मुंह में जो घाव है वह एक अकल की जाड़ के टेढ़े आने की वजह से है ...उस की दवाई दे दी है......दो तीन दिन बाद देखेंगे कि आगे क्या करना है।
इस उम्र के लड़कों में इस तरह की बीमारियां खुद की मोल ली हुईं देख कर मन बेहद दुःखी होता है...बेहद दुःखी..ब्यां करना मुश्किल है, शादी अभी इस की हुई नहीं, नौकरी लगी नहीं, खाने पीने के मौज मस्ती के दिन और मुंह का यह हाल!
अगर किसी २५ वर्ष के युवक की आपबीती पढ़ कर भी इस पोस्ट को पढ़ने वाले किसी भी बंदे का पानमसाले को हमेशा के लिए त्याग देने का मन न हो तो कोई उस को क्या कहे!