भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण- जिसे इंगलिश में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डज़ अथॉरिटी ऑफ इंडिया कहते हैं जो एक सरकारी साइट है और जिस के बारे में आप इस लिंक पर क्लिक कर के और भी जान सकते हैं।
जब से यह साइट तैयार हुई है या यूं कह लें कि जब से यह प्राधिकरण बना है मैं इस साइट पर अकसर जाता रहता हूं कि शायद कुछ बढ़िया सा उपभोक्ता के दृष्टिकोण से मिल जाए।
एक बात पहले ही नोटिस कर लें कि इस साइट पर ऊपर एक बटन मिलेगा --भाषा के लिए.. उस पर क्लिक करने पर एक मेन्यू खुलता है जिस में शायद बीस से भी ज़्यादा भाषाओं के विक्लप बताये जाते हैं.......अर्था्त् जिस भी भाषा में --भारतीय हो या विदेशी, आप उस पर क्लिक करें तो सारी जानकारी उस भाषा में उपलब्ध हो जायेगी। लेकिन ध्यान रहे कि ऐसा कुछ है नहीं, बस केवल होम पेज पर सारे शीर्षक ज़रूर हिंदी या आप के द्वारा चुनी भाषा में आ जाएंगे ...बाकी फिर उस के आगे सब कुछ इंगलिश ही इंगलिश।
इन का ब्लॉग क्या ब्लॉग कहा जा सकता है, इस का फैसला मैं आप पर छोड़ता हूं। मैंने देखा कि इन्होंने अखबारों में से कुछ लेख जैसे के तैसे उस ब्लॉग पर टिकाए होते हैं......मैंने उस पर टिप्पणी भी दी कि ऐसा मत किया करो, पाठक आप की साइट पर कुछ नया ढूंडने के चक्कर में आता है। अब पिछले लगभग सवा साल से इन्होंने ब्लॉग को अपडेट ही नहीं किया। चलिए, इन से जान पहचान तो मैंने करवा दी.......बाकी आप स्वयं इन की साइट पर जा कर कर लीजिएगा। अगर मुझे भूल में सुधार करना हो तो कृपया इस पोस्ट की टिप्पणी में लिखिएगा।
हां, जिस काम के लिए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं --वह यह है कि इस प्राधिकरण की साइट पर खाद्य पदार्थों की मिलावट की घरेलू जांच हेतु कुछ अच्छी जानकारी भी उपलब्ध है, इस की पीडीएफ फाइल का लिकं यहां लगा रहा हूं.... Quick Test for some adulterants in food.
यह सारी जानकारी इंगलिश में है , पहले तो इन को यह सारी जानकारी हिंदी में ही नहीं, सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करवानी चाहिए ताकि जनता जनार्दन को पता तो चले कि उन की सेहत के साथ खिलवाड़ किन किन वस्तुओं की मिलावट से हो रहा है। शायद यह पहला स्टेप होगा जागरूकता का।
मैंने पढ़ा है वह सारा डाक्यूमैंट। चाहे मैं इस तरह के विषय को बहुत बार ढूंढ चुका था, इस तरह की प्रामाणिक जानकारी......लेकिन इतने सारे कैमीकल्स, उपकरण.......इक्ट्ठे करने....ऐसे तो पहले घर को लैबोरेटरी बनाने वाली बात हो गई।
लेकिन बात वह भी है कि अगर किसी भी मिलावट के पुख्ता सबूत चाहिए तो कुछ तो मेहनत करनी ही होगी। मैं कल से सोच रहा हूं कि इस मैन्युल में बताए गये टैस्टों का क्या कोई वैकल्पिक जुगाड़ नहीं हो सकता ...कुछ भी...जैसे बड़े बड़े शहरों की हाउसिंग सोसाइटी की तरफ़ से, गांवों में पंचायतों, शहरों में मोहल्ला कमेटियों की तरफ़ से ...इस तरह का उपकरण मंगवा कर ..फिर टैस्टिंग शुरू की जा सकती है।
यह सब महंगा बिल्कुल भी नहीं है...लेकिन घर घर में इस तरह के सामान कहां कोई इक्ट्ठे करता फिरेगा और फिर उन्हें संभाल कर रखेगा। इसलिए टैस्टिंग की कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो पाए तो बात बने। वरना तो हम जैसे साईंस पढ़े लोग ही इन सब को खरीदने की सिरदर्दी से दूर भागते हैं।
जो भी हो, जानकारी तो बहुत बढ़िया दी गई है। अब बारी है यह सोचने कि आखिर हो क्या जाएगा इस तरह की टैस्टिंग करने से ........घर, मोहल्ले में टैस्टिंग से क्या हासिल, किसी को फांसी को दिलवाने से रहे, लेकिन फिर भी एक बात तो पक्की है कि जन जागरूकता तो बढ़ेगी, लोगों में -व्यापारियों में भी बात तो फैलेगी कि लोग अब टैस्टिंग करने लगे हैं, इसलिए ये जो परचून के व्यापारी हैं ..सब से पहले तो शायद यही लोग मिलावट से तौबा करने लगें।
जब घर, मोहल्ले में इन चीज़ों की टैस्टिंग की जाए और मिलावट पाई जाए तो उस को विभिन्न माध्यमों से शेयर किया जाए, लोकल केबल चैनल से, अखबार के स्थानीय संस्करण के द्वारा या बड़े शहरों में ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के नोटिस बोर्ड पर, सोशल मीडिया पर... इस के बारे में लिख कर ........ऐसे जागरूकता फैलती जाएगी, छोटे मोटे व्यापारी मिलावट करने से डरने लगेंगे।
थोड़ा लिखिएगा इस पोस्ट की टिप्पणी में अगर आप के पास भी कोई आइडिया है कि खाद्य प्राधिकरण के इस मैन्युल को कैसे प्रैक्टिस में उतारा जा सकता है, जब काम की जानकारी उपलब्ध हुई है तो उस का फायदा भी लिया जाए।
कम से कम इस मैन्युल को डाउनलोड कर के, प्रिंट आउट ले कर रखा जाए ... कुल २२ पेज ही तो हैं......ताकि यदा कदा उस पर नज़र पड़ती रहे, विशेषकर बच्चों की .......जो हम से कहीं ज्यादा सचेत रहना चाहते हैं, उद्यमी होते हैं .......देखिए उन के पास ही कितने आइडिया होते हैं .......सभी को इस मिलावट रूपी जहर के प्रति जागरूक करने के िलए। ज़रूरत है बस इस बात की इस जागरूकता रूपी मशाल को हमेशा जलाए रखने की।
चोरों के लिए कईं बार बस इतना ही काफ़ी होता है कि कहीं पर कोई न कोई नज़र रखे है। तिनका तो होता ही है उन की दाढ़ी में...
जब से यह साइट तैयार हुई है या यूं कह लें कि जब से यह प्राधिकरण बना है मैं इस साइट पर अकसर जाता रहता हूं कि शायद कुछ बढ़िया सा उपभोक्ता के दृष्टिकोण से मिल जाए।
एक बात पहले ही नोटिस कर लें कि इस साइट पर ऊपर एक बटन मिलेगा --भाषा के लिए.. उस पर क्लिक करने पर एक मेन्यू खुलता है जिस में शायद बीस से भी ज़्यादा भाषाओं के विक्लप बताये जाते हैं.......अर्था्त् जिस भी भाषा में --भारतीय हो या विदेशी, आप उस पर क्लिक करें तो सारी जानकारी उस भाषा में उपलब्ध हो जायेगी। लेकिन ध्यान रहे कि ऐसा कुछ है नहीं, बस केवल होम पेज पर सारे शीर्षक ज़रूर हिंदी या आप के द्वारा चुनी भाषा में आ जाएंगे ...बाकी फिर उस के आगे सब कुछ इंगलिश ही इंगलिश।
इन का ब्लॉग क्या ब्लॉग कहा जा सकता है, इस का फैसला मैं आप पर छोड़ता हूं। मैंने देखा कि इन्होंने अखबारों में से कुछ लेख जैसे के तैसे उस ब्लॉग पर टिकाए होते हैं......मैंने उस पर टिप्पणी भी दी कि ऐसा मत किया करो, पाठक आप की साइट पर कुछ नया ढूंडने के चक्कर में आता है। अब पिछले लगभग सवा साल से इन्होंने ब्लॉग को अपडेट ही नहीं किया। चलिए, इन से जान पहचान तो मैंने करवा दी.......बाकी आप स्वयं इन की साइट पर जा कर कर लीजिएगा। अगर मुझे भूल में सुधार करना हो तो कृपया इस पोस्ट की टिप्पणी में लिखिएगा।
हां, जिस काम के लिए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं --वह यह है कि इस प्राधिकरण की साइट पर खाद्य पदार्थों की मिलावट की घरेलू जांच हेतु कुछ अच्छी जानकारी भी उपलब्ध है, इस की पीडीएफ फाइल का लिकं यहां लगा रहा हूं.... Quick Test for some adulterants in food.
यह सारी जानकारी इंगलिश में है , पहले तो इन को यह सारी जानकारी हिंदी में ही नहीं, सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करवानी चाहिए ताकि जनता जनार्दन को पता तो चले कि उन की सेहत के साथ खिलवाड़ किन किन वस्तुओं की मिलावट से हो रहा है। शायद यह पहला स्टेप होगा जागरूकता का।
मैंने पढ़ा है वह सारा डाक्यूमैंट। चाहे मैं इस तरह के विषय को बहुत बार ढूंढ चुका था, इस तरह की प्रामाणिक जानकारी......लेकिन इतने सारे कैमीकल्स, उपकरण.......इक्ट्ठे करने....ऐसे तो पहले घर को लैबोरेटरी बनाने वाली बात हो गई।
लेकिन बात वह भी है कि अगर किसी भी मिलावट के पुख्ता सबूत चाहिए तो कुछ तो मेहनत करनी ही होगी। मैं कल से सोच रहा हूं कि इस मैन्युल में बताए गये टैस्टों का क्या कोई वैकल्पिक जुगाड़ नहीं हो सकता ...कुछ भी...जैसे बड़े बड़े शहरों की हाउसिंग सोसाइटी की तरफ़ से, गांवों में पंचायतों, शहरों में मोहल्ला कमेटियों की तरफ़ से ...इस तरह का उपकरण मंगवा कर ..फिर टैस्टिंग शुरू की जा सकती है।
यह सब महंगा बिल्कुल भी नहीं है...लेकिन घर घर में इस तरह के सामान कहां कोई इक्ट्ठे करता फिरेगा और फिर उन्हें संभाल कर रखेगा। इसलिए टैस्टिंग की कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो पाए तो बात बने। वरना तो हम जैसे साईंस पढ़े लोग ही इन सब को खरीदने की सिरदर्दी से दूर भागते हैं।
जो भी हो, जानकारी तो बहुत बढ़िया दी गई है। अब बारी है यह सोचने कि आखिर हो क्या जाएगा इस तरह की टैस्टिंग करने से ........घर, मोहल्ले में टैस्टिंग से क्या हासिल, किसी को फांसी को दिलवाने से रहे, लेकिन फिर भी एक बात तो पक्की है कि जन जागरूकता तो बढ़ेगी, लोगों में -व्यापारियों में भी बात तो फैलेगी कि लोग अब टैस्टिंग करने लगे हैं, इसलिए ये जो परचून के व्यापारी हैं ..सब से पहले तो शायद यही लोग मिलावट से तौबा करने लगें।
जब घर, मोहल्ले में इन चीज़ों की टैस्टिंग की जाए और मिलावट पाई जाए तो उस को विभिन्न माध्यमों से शेयर किया जाए, लोकल केबल चैनल से, अखबार के स्थानीय संस्करण के द्वारा या बड़े शहरों में ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के नोटिस बोर्ड पर, सोशल मीडिया पर... इस के बारे में लिख कर ........ऐसे जागरूकता फैलती जाएगी, छोटे मोटे व्यापारी मिलावट करने से डरने लगेंगे।
थोड़ा लिखिएगा इस पोस्ट की टिप्पणी में अगर आप के पास भी कोई आइडिया है कि खाद्य प्राधिकरण के इस मैन्युल को कैसे प्रैक्टिस में उतारा जा सकता है, जब काम की जानकारी उपलब्ध हुई है तो उस का फायदा भी लिया जाए।
कम से कम इस मैन्युल को डाउनलोड कर के, प्रिंट आउट ले कर रखा जाए ... कुल २२ पेज ही तो हैं......ताकि यदा कदा उस पर नज़र पड़ती रहे, विशेषकर बच्चों की .......जो हम से कहीं ज्यादा सचेत रहना चाहते हैं, उद्यमी होते हैं .......देखिए उन के पास ही कितने आइडिया होते हैं .......सभी को इस मिलावट रूपी जहर के प्रति जागरूक करने के िलए। ज़रूरत है बस इस बात की इस जागरूकता रूपी मशाल को हमेशा जलाए रखने की।
चोरों के लिए कईं बार बस इतना ही काफ़ी होता है कि कहीं पर कोई न कोई नज़र रखे है। तिनका तो होता ही है उन की दाढ़ी में...