जी हां, लोकसभा टीवी की तरफ़ से आज सभी लोग दोपहर दो बजे एक कप चाय पर आमंत्रित हैं। आप को भी यही लग रहा होगा कि अब एक प्याली चाय के लिये इस चिलचिलाती गर्मी में दिल्ली कौन जाए? इस का इंतजाम भी लोकसभा टीवी ने कर दिया है और गर्मागर्म चाय की प्याली हम सब के यहां पार्सल हो कर आ रही है।
चलिये, इतना सुस्पैंस भी ठीक नहीं ----सीधे सीधे खुल कर बात करते हैं। ऐसा है कि आज दोपहर 2 बजे लोकसभा टीवी पर एक क्लॉसिक फिल्म आ रही है ---एक कप चाय। अगर हो सके तो आज दोपहर सारे काम-धंधे छोड़ कर इसे देखना न भूलें।
इस के बारे में इतना तो बता ही दें कि इस फिल्म में एक बस कंडक्टर की कहानी है जो किस तरह से सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर के अपनी एवं समस्त परिवार की परेशानियां खत्म कर देता है। जबरदस्त फिल्म !! मैं फिल्म समीक्षक नहीं हूं लेकिन फिर भी इसे पांच सितारे देता हूं।
दरअसल इस फिल्म के बारे में मैंने दो-तीन महीने एक पेपर में पढ़ा था --- इस तरह की फिल्मों की सी.डी तो कहां मिलनी थी, मैंने नेट पर भी खूब ढूंढा। लेकिन तब मिली थी ---फिर मैं थोड़ा भूल सा गया। लेकिन जब कल की अखबार में पढ़ा कि एक कप चाय आज रात (1मई 2010- रात 9 बजे और 2 मई को बाद दोपहर 2 बजे) को दिखाई जायेगी तो मेरी तो जैसे लाटरी लग गई।
कल शाम मैं और बेटे किसी बहुत सुंदर उत्सव में बैठे हुये थे लेकिन मुझे 9 बजे वापिस लौटने की धुन सवार थी। मुझे फिल्म इतनी पसंद आई है कि मैं सोच रहा था कि इस तरह की फिल्में राष्ट्रीय चेनल पर भी दिखाई जानी चाहिये। इतनी बेहतरीन फिल्में इस देश के जन मानस तो पहुंचे तो बात बने -----मेरे जैसों का क्या है, वे तो सूचना का अधिकार ज़रूरत पड़ने पर जैसे भी कर ही लेंगे, बात तो तब है जब काशीनाथ कंडक्टर जैसे लोग इस कानून को अच्छी तरह से जान सकें, इस्तेमाल कर के अपना एवं आसपास के लोगों का जीवन बेहतर कर सकें।
आप सभी पाठकों से भी अनुग्रह है कि इस फिल्म को आज बाद दोपहर लोकसभा टीवी पर ज़रूर देखें ---इस की अवधि है 120 मिनट और सब से बढ़िया बात ----इस दौरान कोई भी विज्ञापन आप को परेशान नहीं करेगा, शाम को बताईयेगा कि कैसी लगी ?
चलिये, इतना सुस्पैंस भी ठीक नहीं ----सीधे सीधे खुल कर बात करते हैं। ऐसा है कि आज दोपहर 2 बजे लोकसभा टीवी पर एक क्लॉसिक फिल्म आ रही है ---एक कप चाय। अगर हो सके तो आज दोपहर सारे काम-धंधे छोड़ कर इसे देखना न भूलें।
इस के बारे में इतना तो बता ही दें कि इस फिल्म में एक बस कंडक्टर की कहानी है जो किस तरह से सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर के अपनी एवं समस्त परिवार की परेशानियां खत्म कर देता है। जबरदस्त फिल्म !! मैं फिल्म समीक्षक नहीं हूं लेकिन फिर भी इसे पांच सितारे देता हूं।
दरअसल इस फिल्म के बारे में मैंने दो-तीन महीने एक पेपर में पढ़ा था --- इस तरह की फिल्मों की सी.डी तो कहां मिलनी थी, मैंने नेट पर भी खूब ढूंढा। लेकिन तब मिली थी ---फिर मैं थोड़ा भूल सा गया। लेकिन जब कल की अखबार में पढ़ा कि एक कप चाय आज रात (1मई 2010- रात 9 बजे और 2 मई को बाद दोपहर 2 बजे) को दिखाई जायेगी तो मेरी तो जैसे लाटरी लग गई।
कल शाम मैं और बेटे किसी बहुत सुंदर उत्सव में बैठे हुये थे लेकिन मुझे 9 बजे वापिस लौटने की धुन सवार थी। मुझे फिल्म इतनी पसंद आई है कि मैं सोच रहा था कि इस तरह की फिल्में राष्ट्रीय चेनल पर भी दिखाई जानी चाहिये। इतनी बेहतरीन फिल्में इस देश के जन मानस तो पहुंचे तो बात बने -----मेरे जैसों का क्या है, वे तो सूचना का अधिकार ज़रूरत पड़ने पर जैसे भी कर ही लेंगे, बात तो तब है जब काशीनाथ कंडक्टर जैसे लोग इस कानून को अच्छी तरह से जान सकें, इस्तेमाल कर के अपना एवं आसपास के लोगों का जीवन बेहतर कर सकें।
आप सभी पाठकों से भी अनुग्रह है कि इस फिल्म को आज बाद दोपहर लोकसभा टीवी पर ज़रूर देखें ---इस की अवधि है 120 मिनट और सब से बढ़िया बात ----इस दौरान कोई भी विज्ञापन आप को परेशान नहीं करेगा, शाम को बताईयेगा कि कैसी लगी ?