इस का जवाब आज की टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर मिलेगा कि ज़्यादा नमक के सेवन से हर वर्ष कितने लाखों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं.....ज़्यादा नमक खाने का मतलब सीधा सीधा -- उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड-प्रेशर) और साथ में होने वाले हृदय रोग। आप इस लिंक पर उस न्यूज़-रिपोर्ट को देख सकते हैं......बड़ी विश्वसनीय रिपोर्ट जान पड़ रही है.....अब इस रिपोर्ट के पीछे तो किसी का कोई वेस्टेड इंट्रस्ट नज़र नहीं ना आ रहा, लेकिन हम मानें तो....
1.7 million deaths due to too much salt in diet
भारत में तो लोग और भी ज़्यादा ज़्यादा नमक खाने के शौकीन हैं.... आप इस रिपोर्ट में भी देख सकते हैं। यह कोई हैरान करने वाली बात नहीं है..क्योंकि जिस तरह से सुबह सवेरे पारंपरिक जंक फूड--समोसे, कचोरियां, भजिया.... यह सब कुछ सुबह से ही बिकने लगता है..... और जिस तरह से वेस्टर्न जंक फूड--बर्गर, पिज्जा, नूड्लस.... और भी पता नहीं क्या क्या.......आज का युवा इन सब का आदि होता जा रहा है, इस में कोई शक नहीं कि २० वर्ष की उम्र में भी युवा मोटापे और हाई-ब्लड-प्रैशर का शिकार हुए जा रहे हैं.
दरअसल हम लोग कभी इस तरफ़ ध्यान ही नहीं देते कि इस तरह का सारा खाना किस तरह से नमक से लैस होता है, जी हां, खराब तरह के फैट्स (वसा) आदि के साथ साथ नमक की भरमार होती है इन सब से। और किस तरह से बिस्कुट, तरह तरह की नमकीन आदि में भी सोडियम इतनी अधिक मात्रा में पाया जाता है और हम लोग कितने शौकीन हैं इन सब के.....यह चौंकाने वाली बात है। आचार, चटनियां भी नमक से लैस होती हैं। और कितने दर्ज़जों तरह के आचार हम खाते रहते हैं। ज़रूरत है कि हम अभी भी संभल लें.......वरना बहुत देर हो जाएगी।
और एक बात यह जो आज के युवा बड़े बड़े मालों से प्रोसैसड फूड उठा कर ले आते हैं....रेडीमेड दालें, रेडीमेड सब्जियां, पनीर ...और भी बहुत कुछ मिलता है ऐसा ही, मुझे तो नाम भी नहीं आते.....ये सब पदार्थ नमक से लबालब लैस होते हैं।
मैं अकसर अपने मरीज़ों को कहता हूं कि घर में जो टेबल पर नमकदानी होती है वह तो होनी ही नहीं चाहिए...अगर रखी होती है तो कोई दही में डालने लगता है, कोई सब्जी में, कोई ज्यूस में....... नमक जितना बस दाल-साग-सब्जी में पढ़ कर आता है, वही हमारे लिए पर्याप्त है। और अगर किसी को हाई ब्लड-प्रैशर है तो उसे तो उस दाल-साग-सब्जी वाली नमक को भी कम करने की सलाह दी जाती है।
मुझे अभी अभी लगा कि यह नमक वाला पाठ तो मैं इस मीडिया डाक्टर वाली क्लास में आप सब के साथ मिल बैठ कर पहले भी डिस्कस कर चुका हूं.......कहीं वही बातें तो दोहरा नहीं रहा, इसलिए मैंने मीडिया डाक्टर ब्लाग पर दाईं तरफ़ के सर्च आप्शन में देवनागरी में नमक लिखा तो मेरे लिए ये लेख प्रकट हो गये......यकीन मानिए, इन में लिखी एक एक बात पर आप यकीन कर सकतें......बिना किसी संदेह के.......
(जनवरी १५ २००८)
सितंबर २६ २००९
(मार्च २९ २००९)
(जून १६ २०१०)
(अक्टूबर ४ , २००८)
(जनवरी २९ २००९)
(अक्टूबर १ २००८)
सर्च रिजल्ट में तो बहुत से और भी परिणाम आए हैं ..जिन में भी नमक शब्द का इस्तेमाल किया गया था। मेरे विचार में आज के लिए इतने ही काफ़ी हैं।
आज इस विषय पर लिख कर यह लगा कि इस तरह के पाठ बार बार मीडिया डाक्टर चौपाल पर बैठ कर दोहराते रहना चाहिए......अगर किसी ने भी आज से नमक कम खाना शुरू कर दिया तो जो थोड़ी सी मैंने मेहनत की, वह सफल हो गई। मेरे ऊपर भी इस लिखे का असर हुआ.....मैं अभी अभी जब दाल वाली रोटी (बिना तली हुई).. खाने लगा तो मेरे हाथ आम के आचार की शीशी की तरफ़ बढ़ते बढ़ते रूक गये। ऐसे ही छोटे से छोटे प्रयास करते रहना चाहिए।
यह पाठ तो हम ने दोहरा लिया, आप अपनी कापियां-किताबें बंद कर सकते हैं .....और आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक दूसरा पाठ भी दोहराने की ज़रूरत है......मैं तो इसे अकसर दोहरा लेता हूं.....आप भी सुनिए यह लाजवाब संदेश...
1.7 million deaths due to too much salt in diet
भारत में तो लोग और भी ज़्यादा ज़्यादा नमक खाने के शौकीन हैं.... आप इस रिपोर्ट में भी देख सकते हैं। यह कोई हैरान करने वाली बात नहीं है..क्योंकि जिस तरह से सुबह सवेरे पारंपरिक जंक फूड--समोसे, कचोरियां, भजिया.... यह सब कुछ सुबह से ही बिकने लगता है..... और जिस तरह से वेस्टर्न जंक फूड--बर्गर, पिज्जा, नूड्लस.... और भी पता नहीं क्या क्या.......आज का युवा इन सब का आदि होता जा रहा है, इस में कोई शक नहीं कि २० वर्ष की उम्र में भी युवा मोटापे और हाई-ब्लड-प्रैशर का शिकार हुए जा रहे हैं.
दरअसल हम लोग कभी इस तरफ़ ध्यान ही नहीं देते कि इस तरह का सारा खाना किस तरह से नमक से लैस होता है, जी हां, खराब तरह के फैट्स (वसा) आदि के साथ साथ नमक की भरमार होती है इन सब से। और किस तरह से बिस्कुट, तरह तरह की नमकीन आदि में भी सोडियम इतनी अधिक मात्रा में पाया जाता है और हम लोग कितने शौकीन हैं इन सब के.....यह चौंकाने वाली बात है। आचार, चटनियां भी नमक से लैस होती हैं। और कितने दर्ज़जों तरह के आचार हम खाते रहते हैं। ज़रूरत है कि हम अभी भी संभल लें.......वरना बहुत देर हो जाएगी।
और एक बात यह जो आज के युवा बड़े बड़े मालों से प्रोसैसड फूड उठा कर ले आते हैं....रेडीमेड दालें, रेडीमेड सब्जियां, पनीर ...और भी बहुत कुछ मिलता है ऐसा ही, मुझे तो नाम भी नहीं आते.....ये सब पदार्थ नमक से लबालब लैस होते हैं।
मैं अकसर अपने मरीज़ों को कहता हूं कि घर में जो टेबल पर नमकदानी होती है वह तो होनी ही नहीं चाहिए...अगर रखी होती है तो कोई दही में डालने लगता है, कोई सब्जी में, कोई ज्यूस में....... नमक जितना बस दाल-साग-सब्जी में पढ़ कर आता है, वही हमारे लिए पर्याप्त है। और अगर किसी को हाई ब्लड-प्रैशर है तो उसे तो उस दाल-साग-सब्जी वाली नमक को भी कम करने की सलाह दी जाती है।
मुझे अभी अभी लगा कि यह नमक वाला पाठ तो मैं इस मीडिया डाक्टर वाली क्लास में आप सब के साथ मिल बैठ कर पहले भी डिस्कस कर चुका हूं.......कहीं वही बातें तो दोहरा नहीं रहा, इसलिए मैंने मीडिया डाक्टर ब्लाग पर दाईं तरफ़ के सर्च आप्शन में देवनागरी में नमक लिखा तो मेरे लिए ये लेख प्रकट हो गये......यकीन मानिए, इन में लिखी एक एक बात पर आप यकीन कर सकतें......बिना किसी संदेह के.......
(जनवरी १५ २००८)
सितंबर २६ २००९
(मार्च २९ २००९)
(जून १६ २०१०)
(अक्टूबर ४ , २००८)
(जनवरी २९ २००९)
(अक्टूबर १ २००८)
सर्च रिजल्ट में तो बहुत से और भी परिणाम आए हैं ..जिन में भी नमक शब्द का इस्तेमाल किया गया था। मेरे विचार में आज के लिए इतने ही काफ़ी हैं।
आज इस विषय पर लिख कर यह लगा कि इस तरह के पाठ बार बार मीडिया डाक्टर चौपाल पर बैठ कर दोहराते रहना चाहिए......अगर किसी ने भी आज से नमक कम खाना शुरू कर दिया तो जो थोड़ी सी मैंने मेहनत की, वह सफल हो गई। मेरे ऊपर भी इस लिखे का असर हुआ.....मैं अभी अभी जब दाल वाली रोटी (बिना तली हुई).. खाने लगा तो मेरे हाथ आम के आचार की शीशी की तरफ़ बढ़ते बढ़ते रूक गये। ऐसे ही छोटे से छोटे प्रयास करते रहना चाहिए।
यह पाठ तो हम ने दोहरा लिया, आप अपनी कापियां-किताबें बंद कर सकते हैं .....और आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक दूसरा पाठ भी दोहराने की ज़रूरत है......मैं तो इसे अकसर दोहरा लेता हूं.....आप भी सुनिए यह लाजवाब संदेश...