यह तो शत-प्रतिशत सच ही है कि नमक का ज़्यादा इस्तेमाल करने से ब्लड-प्रेशर होता ही है---वही चोली दामन वाला साथ, कितनी बार हम लोग इस के बारे में बतिया चुके हैं। लेकिन फिर भी जब मैं अपने आस पास देखता हूं तो पाता हूं कि लोग इस के बारे में बिल्कुल भी सीरियस नहीं है। हां, अगर खुदा-ना-खास्ता एक बार झटका लग जाता है तो थोड़ा बहुत बात समझने में आने लगती है।
लेकिन मेरी समस्या यह है कि मैं जब भी नेट पर नमक के बारे में कोई भी गर्मागर्म खबर पढ़ता हूं तो मुझे अपने देशवासियों का ख्याल आ जाता है --- इसलिये बार बार वही घिसा पिटा रिकार्ड चलाने लग जाता हूं।
शायद ही मुझे किसी मरीज़ से यह सुनने को मिला हो कि वह नमक का ज़्यादा इस्तेमाल करता है। किसी को भी पूछने पर यही जवाब मिलता है कि नहीं, नहीं, हम तो बस नार्मल ही खाते हैं। इस के बारे में हम एक बार बहुत गहराई से चर्चा कर चुके हैं कि आखिर कितना नमक हम लोगों के लिये काफ़ी है? और दूसरी बात यह कि एक बार मैंने यह भी बताने का प्रयास तो किया था कि केवल नमक ही नमकीन नहीं है।
अच्छा तो देश में यह भी बड़ा वहम है कि पाकिस्तानी नमक कम नमकीन है। नमक तो बंधुओ नमक ही है।
अच्छा तो अभी अभी मैं पढ़ रहा था कि इस नमक की वजह से अमेरिका में भी बहुत हो-हल्ला हो रहा है क्योंकि वहां लोग ज़्यादा प्रोसैसड खाध्य पदार्थ ही खाते हैं और यह तो नमक से लैस होता ही है लेकिन हमें इतना खश होने की ज़रूरत नहीं --हम लोग भी जहां हो सके नमक फैंक ही देते हैं ---लस्सी, रायता, आचार, लस्सी, गन्ने का रस, फलों के दूसरे रस (अगली बार जब जूस पीने लगें तो दुकानदार के चम्मच का साइज देखियेगा, आप को उस का हाथ रोकना चाहेंगे) .....बिस्कुट, तरह तरह के भुजिया, नमकीन, ......लिस्ट इतनी लंबी है कि एक पोस्ट भी कम पड़ेगी इसे लिखने में।
हां, तो अमेरिका में भी लोगों को नमक कम खाने की सलाह देते हुये यह कहा गया है कि वे रोज़ाना डेढ़ ग्राम से ज़्यादा नमक न लिया करें -- और जो आजकल सिफारिशें हैं उस के अनुसार सभी लोगों को चाय के एक चम्मच से ज़्यादा (जिस में लगभग दो-अढ़ाई ग्राम नमक आता है) नमक नहीं लेना चाहिये और जिन लोगों को उच्च रक्तचाप है या कोई और रिस्क है उन्हें तो डेढ़ ग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिये। लेकिन अभी नई पैनल ने सिफारिश की है कि कोई भी हो, डेढ़ ग्राम से ज़्यादा बिलकुल नहीं।
आज जब मैं यह लिख रहा हूं तो यही सोच रहा हूं कि अगर हम लोग बस इसी बात को ही पकड़ लें तो कितने करोड़ों लोग रोगों से बच जायेंगे, कितनों का ब्लड-प्रैशर कंट्रोल होने लगेगा, दवाईयां कम होने लगेंगी और शायद आप का डाक्टर आप का सामान्य रक्तचाप देखते हुये उन्हें बिल्कुल ही बंद कर दे।
लेकिन एक बात है कि इस डेंढ़ ग्राम नमक का मतलब वह नमक नहीं है जो केवल दाल-सब्जी में ही डलता है, इस में सभी अन्य तरह के नमक के इस्तेमाल सम्मिलित हैं। मेरी सलाह है हमें भी शुरूआत तो करनी ही चाहिये --कोई ज़्यादा मुश्किल नहीं है, मैं भी कभी भी जूस में नमक नहीं डलवाता, दही में नमक नहीं, लेकिन रायते में बिना नमक के नहीं चलता, मैं सालाद के ऊपर नमक नहीं छिड़कता....लेकिन जब बीकानेरी भुजिया खाने लगता हूं तो यह सारा पाठ भूल जाता हूं ---इसलिये अब ध्यान ऱखूंगा।
किस्मत में क्या लिखा है, क्या जाने ---लेकिन जहां तक हो सके तो विशेषज्ञों की राय मानने में ही समझदारी है, केवल मुंह के स्वाद के लिये हम लोग किसी चक्कर में पड़ जाएं ....यह तो बात ना हुई। अमेरिका में तो होटल वालों ने भी अपने खाद्य़ पदार्थों में नमक कर दिया है।
इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि एक नमक इंस्टीच्यूट का कहना है कि नहीं, नहीं यह डेढ़ ग्राम नमक वाला फंडा ठीक नहीं है, वे कहते हैं कि सारी दुनिया में लोग तीन से पांच ग्राम नमक रोज़ाना खाते हैं क्योंकि यह उन की ज़रूरत है।
लेकिन मैं तो उस डेढ़ ग्राम नमक वाली बात की ही हिमायत करता हूं क्योंकि मैं नमक ज़्यादा खाने से होने वाले रोगों के भयंकर परिणाम देखता भी हूं, रोज़ाना सुनता भी हूं। वैसे आपने क्या फैसला किया है। लेकिन यह क्या, आप कह रहे हैं कि यार, अब शिकंजी, लस्सी भी फीकी ही पिलाओगे क्या ? ----बंधओ, इतने अच्छे बच्चे बनने की भी क्या पड़ी है, कभी कभी तो यह सब चलता ही है। वैसे शिंकजी में कभी कम नमक डाल कर देखिये।
जाते जाते यह बात लिखना चाह रहा हूं कि हम लोग गर्म देश में रहते हैं, गर्मियों में पसीना खूब आता है ---जिस से नमक भी निकलता है, इसलिये हमें गर्मी के दिनों में थोड़ी रिलैक्सेशन मिल सकती है ---लेकिन वह भी ब्लड-प्रैशर से पहले से ही जूझ रहे लोगों को तो बि्लकुल नहीं। मुद्दा केवल इतना है कि दवाईयों से भी कहीं ज़्यादा नमक की मात्रा के बारे में जागरूक रहें...............आप के स्वास्थ्य की कामना के साथ यहीं विराम लेता हूं। .
लेकिन मेरी समस्या यह है कि मैं जब भी नेट पर नमक के बारे में कोई भी गर्मागर्म खबर पढ़ता हूं तो मुझे अपने देशवासियों का ख्याल आ जाता है --- इसलिये बार बार वही घिसा पिटा रिकार्ड चलाने लग जाता हूं।
शायद ही मुझे किसी मरीज़ से यह सुनने को मिला हो कि वह नमक का ज़्यादा इस्तेमाल करता है। किसी को भी पूछने पर यही जवाब मिलता है कि नहीं, नहीं, हम तो बस नार्मल ही खाते हैं। इस के बारे में हम एक बार बहुत गहराई से चर्चा कर चुके हैं कि आखिर कितना नमक हम लोगों के लिये काफ़ी है? और दूसरी बात यह कि एक बार मैंने यह भी बताने का प्रयास तो किया था कि केवल नमक ही नमकीन नहीं है।
अच्छा तो देश में यह भी बड़ा वहम है कि पाकिस्तानी नमक कम नमकीन है। नमक तो बंधुओ नमक ही है।
अच्छा तो अभी अभी मैं पढ़ रहा था कि इस नमक की वजह से अमेरिका में भी बहुत हो-हल्ला हो रहा है क्योंकि वहां लोग ज़्यादा प्रोसैसड खाध्य पदार्थ ही खाते हैं और यह तो नमक से लैस होता ही है लेकिन हमें इतना खश होने की ज़रूरत नहीं --हम लोग भी जहां हो सके नमक फैंक ही देते हैं ---लस्सी, रायता, आचार, लस्सी, गन्ने का रस, फलों के दूसरे रस (अगली बार जब जूस पीने लगें तो दुकानदार के चम्मच का साइज देखियेगा, आप को उस का हाथ रोकना चाहेंगे) .....बिस्कुट, तरह तरह के भुजिया, नमकीन, ......लिस्ट इतनी लंबी है कि एक पोस्ट भी कम पड़ेगी इसे लिखने में।
हां, तो अमेरिका में भी लोगों को नमक कम खाने की सलाह देते हुये यह कहा गया है कि वे रोज़ाना डेढ़ ग्राम से ज़्यादा नमक न लिया करें -- और जो आजकल सिफारिशें हैं उस के अनुसार सभी लोगों को चाय के एक चम्मच से ज़्यादा (जिस में लगभग दो-अढ़ाई ग्राम नमक आता है) नमक नहीं लेना चाहिये और जिन लोगों को उच्च रक्तचाप है या कोई और रिस्क है उन्हें तो डेढ़ ग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिये। लेकिन अभी नई पैनल ने सिफारिश की है कि कोई भी हो, डेढ़ ग्राम से ज़्यादा बिलकुल नहीं।
आज जब मैं यह लिख रहा हूं तो यही सोच रहा हूं कि अगर हम लोग बस इसी बात को ही पकड़ लें तो कितने करोड़ों लोग रोगों से बच जायेंगे, कितनों का ब्लड-प्रैशर कंट्रोल होने लगेगा, दवाईयां कम होने लगेंगी और शायद आप का डाक्टर आप का सामान्य रक्तचाप देखते हुये उन्हें बिल्कुल ही बंद कर दे।
लेकिन एक बात है कि इस डेंढ़ ग्राम नमक का मतलब वह नमक नहीं है जो केवल दाल-सब्जी में ही डलता है, इस में सभी अन्य तरह के नमक के इस्तेमाल सम्मिलित हैं। मेरी सलाह है हमें भी शुरूआत तो करनी ही चाहिये --कोई ज़्यादा मुश्किल नहीं है, मैं भी कभी भी जूस में नमक नहीं डलवाता, दही में नमक नहीं, लेकिन रायते में बिना नमक के नहीं चलता, मैं सालाद के ऊपर नमक नहीं छिड़कता....लेकिन जब बीकानेरी भुजिया खाने लगता हूं तो यह सारा पाठ भूल जाता हूं ---इसलिये अब ध्यान ऱखूंगा।
किस्मत में क्या लिखा है, क्या जाने ---लेकिन जहां तक हो सके तो विशेषज्ञों की राय मानने में ही समझदारी है, केवल मुंह के स्वाद के लिये हम लोग किसी चक्कर में पड़ जाएं ....यह तो बात ना हुई। अमेरिका में तो होटल वालों ने भी अपने खाद्य़ पदार्थों में नमक कर दिया है।
इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि एक नमक इंस्टीच्यूट का कहना है कि नहीं, नहीं यह डेढ़ ग्राम नमक वाला फंडा ठीक नहीं है, वे कहते हैं कि सारी दुनिया में लोग तीन से पांच ग्राम नमक रोज़ाना खाते हैं क्योंकि यह उन की ज़रूरत है।
लेकिन मैं तो उस डेढ़ ग्राम नमक वाली बात की ही हिमायत करता हूं क्योंकि मैं नमक ज़्यादा खाने से होने वाले रोगों के भयंकर परिणाम देखता भी हूं, रोज़ाना सुनता भी हूं। वैसे आपने क्या फैसला किया है। लेकिन यह क्या, आप कह रहे हैं कि यार, अब शिकंजी, लस्सी भी फीकी ही पिलाओगे क्या ? ----बंधओ, इतने अच्छे बच्चे बनने की भी क्या पड़ी है, कभी कभी तो यह सब चलता ही है। वैसे शिंकजी में कभी कम नमक डाल कर देखिये।
जाते जाते यह बात लिखना चाह रहा हूं कि हम लोग गर्म देश में रहते हैं, गर्मियों में पसीना खूब आता है ---जिस से नमक भी निकलता है, इसलिये हमें गर्मी के दिनों में थोड़ी रिलैक्सेशन मिल सकती है ---लेकिन वह भी ब्लड-प्रैशर से पहले से ही जूझ रहे लोगों को तो बि्लकुल नहीं। मुद्दा केवल इतना है कि दवाईयों से भी कहीं ज़्यादा नमक की मात्रा के बारे में जागरूक रहें...............आप के स्वास्थ्य की कामना के साथ यहीं विराम लेता हूं। .
डॉ. साहब बहुत कम कर दिया है। अब और नहीं। पसीना जो दिन भर बहाना पड़ता है। वह भी साल में कम से कम दस महिने।
जवाब देंहटाएंअजी मै तो अब बच्चो को कहता हुं कि बेटा नमक थोडा ज्यादा खाऒ, क्योकि हम यहां नमक बहुत ही कम खाने लगे है, हम सिर्फ़ घर का बना खाना ही खाते है, ४, ५ साल मै कभी कभार मजबुरी मै खा लिया तो अलग बात है, सुबह नाशते मै वोही नमक जो मक्खन मै डला होता है या ब्रेड मै ऎक्स्ट्रा नही, दोपहर मै सब्जी मै ओर दही मै, ओर सालाद मै(आचार वगेरा मै भी) ओर रात के खाने मै भी यही बात, ओर एक दिन मेने यह सब नमक तोल कर देखा तो सब के हिस्से ०.५ ग्राम ही नमक आता है, अब तो बोलता हुं बच्चो थोडा ज्यादा नमक खायो,वेसे हम खाना समय पर खाते है, ओर रात का खाना शाम को ६ बजे , इस से भी बहुत फ़र्क पडता है, यहां गोरे रात का खाना शाम को ४ बजे खा लेते है
जवाब देंहटाएंअक्सर मेरा वीपी लो रहता है। डॉक्टर ने ज्यादा नमक खाने को बोला है। क्या करूं।
जवाब देंहटाएंhttp://udbhavna.blogspot.com/
बेहतरीन पोस्ट
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं डाक्टरी लिहाज से आपने बढिया सचेत किया है लोगों को। वैसे सन्तुलित मात्रा मे सभी चीजों का सेवन नुकसान करने वाला नही होता शायद।
हमने भी कम कर रखा है और तब से वजन कम करने के लिये कुछ ज्यादा नहीं करना पड़ रहा है और बी.पी. भी सामान्य है।
जवाब देंहटाएंफिलहाल तो हमने भी कम कर रखा है बिना किसी विशेष कारण के
जवाब देंहटाएंलेख आपका वाकई ज्ञानवर्धक है, हमेशा की तरह
दरअसल अलग से नमक खाने की आवश्यकता नहीं है . लेकिन यह अगर बचपन से किया जाए तो संभव है वरना अपने यहाँ तो स्वाद ही सबसे ऊपर रहता है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रेरणाप्रद आलेख।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी दी आपने।
जवाब देंहटाएंयकीन जानिए, मुझे तो नमक की आवश्यकता ही नहीं महसूस हुई कभी।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
डॉ जी इस बेशकीमती सलाह दे लई शुक्रिया .....!!
जवाब देंहटाएंsee page of sadinama
जवाब देंहटाएंscan ki
जवाब देंहटाएंya page bhej nahee paa raha hoon plz email ur address to
jjitanshu@yahoo.com
or call
jitendra jitanshu
editor sadinama
डा. साहब..ब्लॉग-क्लिनिक पर बैठने का टाइम-टेबल क्यूँ नही सेट कर रहे...? नाराजगी रहेगी आपसे..!
जवाब देंहटाएं