अमेरिकी लोग अगर रोज़ाना लगभग साढ़े तीन ग्राम नमक की बजाये लगभग अढ़ाई ग्राम नमक लेना शुरू कर दें तो वहां पर 18 बिलियन डॉलरों की बचत हो सकती है।
केवल बस इतना सा नमक कम कर देने से ही वहां पर हाई-ब्लड-प्रैशर के मामलों में ही एक सौ दस लाख मामलों की कमी आ जायेगी। यह न्यू-यॉर्क टाइम्स की न्यूज़ रिपोर्ट मैंने आज ही देखी।
ऐसा कुछ नहीं है कि वहां अमेरिका में यह सिफारिश की जा रही है और भारत में कुछ और सिफारिशें हैं। हमारे जैसे देश में जहां वैसे ही विशेषकर आम आदमी के लिये स्वास्थ्य संसाधनों की जबरदस्त कमी है ---ऐसे में हमें भी अपनी खाने-पीने की आदतों को बदलना होगा।
जबरदस्त समस्या यही है कि हम केवल नमक को ही नमकीन मानते हैं। यह पोस्ट लिखते हुये सोच रहा हूं कि नमक पर तो पहले ही से मैंने कईं लेख ठेल रखे हैं ---फिर वापिस बात क्यों दोहरा रहा हूं ?
इस सबक को दोहराने का कारण यह है कि इस तरह की पोस्ट लिखना मेरे खुद के लिये भी एक जबरदस्त रिमांइडर होगा क्योंकि मैं आचार के नमक-कंटैंट को जानते हुये भी रोज़़ इसे खाने लगा हूं और नमक एवं ट्रांस-फैट्स से लैस बाकी जंक फूड तो न के ही बराबर लेता हूं ( शायद साल में एक बार !!) लेकिन यह पैकेट में आने वाला भुजिया फिर से अच्छा लगने लगा है जिस में खूब नमक ठूंसा होता है।
और एक बार और भी तो बार बार सत्संगों में जाकर भी तो हम वही बातें बार बार सुनते हैं लेकिन इस साधारण सी बातों को मानना ही आफ़त मालूम होता है, ज़्यादा नमक खाने की आदत भी कुछ वैसी ही नहीं हैं क्या ?
इसलिये इस पर तो जितना भी जितनी बार भी लिखा जाये कम है ---एक छोटी सी आदत अगर छूट जाये तो हमें इस ब्लड-प्रैशर के हौअे से बचा के रख सकती है।
केवल बस इतना सा नमक कम कर देने से ही वहां पर हाई-ब्लड-प्रैशर के मामलों में ही एक सौ दस लाख मामलों की कमी आ जायेगी। यह न्यू-यॉर्क टाइम्स की न्यूज़ रिपोर्ट मैंने आज ही देखी।
ऐसा कुछ नहीं है कि वहां अमेरिका में यह सिफारिश की जा रही है और भारत में कुछ और सिफारिशें हैं। हमारे जैसे देश में जहां वैसे ही विशेषकर आम आदमी के लिये स्वास्थ्य संसाधनों की जबरदस्त कमी है ---ऐसे में हमें भी अपनी खाने-पीने की आदतों को बदलना होगा।
जबरदस्त समस्या यही है कि हम केवल नमक को ही नमकीन मानते हैं। यह पोस्ट लिखते हुये सोच रहा हूं कि नमक पर तो पहले ही से मैंने कईं लेख ठेल रखे हैं ---फिर वापिस बात क्यों दोहरा रहा हूं ?
इस सबक को दोहराने का कारण यह है कि इस तरह की पोस्ट लिखना मेरे खुद के लिये भी एक जबरदस्त रिमांइडर होगा क्योंकि मैं आचार के नमक-कंटैंट को जानते हुये भी रोज़़ इसे खाने लगा हूं और नमक एवं ट्रांस-फैट्स से लैस बाकी जंक फूड तो न के ही बराबर लेता हूं ( शायद साल में एक बार !!) लेकिन यह पैकेट में आने वाला भुजिया फिर से अच्छा लगने लगा है जिस में खूब नमक ठूंसा होता है।
और एक बार और भी तो बार बार सत्संगों में जाकर भी तो हम वही बातें बार बार सुनते हैं लेकिन इस साधारण सी बातों को मानना ही आफ़त मालूम होता है, ज़्यादा नमक खाने की आदत भी कुछ वैसी ही नहीं हैं क्या ?
इसलिये इस पर तो जितना भी जितनी बार भी लिखा जाये कम है ---एक छोटी सी आदत अगर छूट जाये तो हमें इस ब्लड-प्रैशर के हौअे से बचा के रख सकती है।
हम भी बचाते हैँ नमक कम कर पैसे!
जवाब देंहटाएं..जाहिर है नमक-निष्ठा कम करनी होगी, वैसे कम भी हुई है, अब नमक हल्का रहता है तो ऊपर से तो नहीं ही लेता हूँ.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया..
कम सोडियम वाला वह भी कम मात्रा में खाता हूँ. थोड़ा बहुत तो कहते हैं खाना भी चाहिए.
जवाब देंहटाएंअब बात तेल की भी कर लें. क्या 0% क्लेस्ट्रोल फ़्री तेल सुरक्षित है. चाहे जितना खाओ :)
रच्छी सलाह है शुभकामनायें आभार्
जवाब देंहटाएंशायद इसीलिए कहा जाता है कि बूंद बूंद से घडा भरता है।
जवाब देंहटाएंदुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
( Treasurer-S. T. )
चोपडा साह्ब जी बहुत सुंदर लिखा आप ने,हम थोडा थोडा कर के कितना नमक खाते है, ओर हमारे खानो मै नमक डलता भी बहुत है, इस से बचने का एक ही रास्ता है कि हम धीरे धीरे इसे कम करे, ओर बाहर का खाना कम करे.
जवाब देंहटाएं@ संजय बेंगाणी
अब बात तेल की भी कर लें. क्या 0% क्लेस्ट्रोल फ़्री तेल सुरक्षित है. चाहे जितना खाओ :)
संजय जी सभी तेल जब तक गर्म ना किये जाये कलोस्ट्रोन फ़्रि ही होते है, यह कम्पनी वाले हमे वेबकुफ़ बनाते है ओर सिर्फ़ यह लिख कर की क्लोस्ट्रोन फ़्रि ओर हम से ज्यादा पेसे ऎठ लेते है, जब कि कोई सा भी तेल ले उसे दो बार से ज्यादा गर्म करने पर उस मै कलोस्ट्रोन बन जाता है, ओर जो खाना हम बाहर होटलो मै खाते है, तला हुआ खाते है उन मै कलोस्ट्रोन भरपुर मात्रा मै होता है, यह बाते यहां डाकटर लोग ओर टी वी पर हमे लगभग रोजाना ही अलग अलग चेनलो मै बताते है, इस लिये ज्यादा खाना फ़िर भी सोच कर खाये.
धन्यवाद
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