शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016

आर्ड ऑफ लिविंग कोर्स ...

शायद पिछले २० वर्षों से आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स के बारे में सुन रहा था...बहुत जिज्ञासा तो थी ही....मुझे याद आ रहा है शायद सन् २००० के आसपास की बात होगी... उन दिनों हम लोग फिरोज़पुर में पोस्टेड थे, एक दिन लुधियाना जाने का अवसर मिला...वहां पर ऑर्ट ऑफ लिविंग के गुरू जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में एक भव्य प्रोग्राम था...वहां पर भजन-संध्या का कार्यक्रम था...कुछ समय बैठ कर वहां बहुत अच्छा लगा ...उस के बाद एक शानदार प्रीति भोज भी था...वहां पर सब लोगों में एक ठहराव, सुकून देख कर अच्छा लगा...

कभी कभी गुरू जी के प्रोग्राम टीवी पर भी देखने-सुनने को मिलते रहे ...उन की सहजता और बच्चों जैसी सरलता का कायल हुए बिना न रह सका..

कुछ वर्ष पहले हम लोग हरियाणा में थे...वहां पर श्रीमति जी ने आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स किया ...शायद २००८ के आसपास की बात होगी ...और आस पास भी कुछ समर्पित आर्ट ऑफ लिविंग के टीचर्ज़ एवं वालेंटियर्ज़ थे ...जिन से बात कर के अच्छा लगता था...एक बार श्रीमति जी ने यमुनानगर में हमारे यहां की एक ऑफीसर्ज़ क्लब में इसे आयोजित करवाया था और एक बार सत्संग हमारे यहां भी हुआ था...

एक दो बार आर्ट आफ लिविंग की मासिक पत्रिका भी पढ़ने को मिली ...

हरियाणा में ही एक आर्ट का लिविंग के एक साधक थे जिन की फैक्ट्री में गुरू जी का जन्मदिवस हर साल मनाया जाता था...भजन-संध्या और फिर प्रीति-भोज ..दो चार बार हमें वहां भी जाने का मौका मिला...


और श्रीमति जी तो कभी कभी किसी सखी सहेली के साथ आर्ट ऑफ लिविंग सत्संग में कभी कभी चली जाती हैं....

मैं भी दो तीन दिन से इस कार्यक्रम में जा रहा हूं...बहुत अच्छा लग रहा है, हल्कापन लगता है ....

दरअसल इस कोर्स के बारे में मैं केवल आप को यह कह सकता हूं कि आप इसे अवश्य करिए....जैसा कि गुरू जी ने इस का नाम रखा है ..आर्ट ऑफ लिविंग ...सच में देख रहा हूं कि यह जीवन जीने का सलीका मानस को सिखा रहे हैं...

आप किसी भी धर्म-जाति से संबंधित हैं, आप का स्वागत है ....हम जैसे भी हैं, हमें तुरंत गुरू जी की परम अनुकंपा से स्वीकार किया जाता है ...

हां, तो मैं बात कर रहा था कि हमें जीवन जीने की कला यहां सिखाई जाती है ...और इस की शुरूआत इस बात से होती है कि हम पहले ठीक तरह से सांस लेने का सलीका तो सीख लें....अफसोस, जीवन की इस आपा-धापी में हम ढंग से सांस ही नहीं ले पा रहे हैं....इसलिए हर समय बुझे बुझे से रहते हैं और दिखते भी ऐसी ही हैं....यकीन मानिए, यहां पर आप को खिलने का पूरा अवसर मिलता है ...

एक बात जो इस आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स के बारे में बहुत मज़ेदार है वह यह है कि यहां पर सब खुशी की, जश्न की,  उम्मीद की, सुबह की, आशा की, स्नेह-वात्सल्य की, गिरते हुए को थामने की, सभी में इस सर्वव्यापी ईश्वर में दीदार करने की बात करते हैं...मुझे मेरी नोट बुक में लिखी हुईं बशीर बद्र साहब की ये पंक्तियां ध्यान में आ रही हैं.....आप से शेयर कर रहा हूं...

बशीर बद्र साहब की ये पंक्तियां कितनी लाजवाब हैं ....
जीने वाले तुम्हें खुदा की कसम
मौत से ज़िंदगी की बात करो ..

मुझे बस यही लगता है कि कोर्स तो हम लोग बहुत से कर लेते हैं लेकिन हम उस अर्जित ज्ञान को कितना जी पाते हैं, और नियमित अभ्यास से कितना उस को अपने जीवन में उतार पाते हैं...यह सब ईश्वरीय अनुकंपा और गुरू की असीम कृपा से संभव हो पाता है ....मैं भी इस समय यही सोच रहा हूं कि दो तीन दिन में कोर्स तो यह संपन्न हो जायेगा....लेकिन बात तो तब है अगर वहां पर सीखी सुंदर बातों को अपने जीवन में अच्छे से अपना लूं....यह तभी संभव है अगर नियमित साधना हो और सत्संग के द्वारा इस ज्ञान को जीने वाले भाई-बहनों से प्रेरणा और आशीर्वाद मिलता रहे .....गुरूकृपा....रहमत ....जय गुरुदेव..

एक बात आप से शेयर करूं कि ये जो फिल्मी गीत हैं यह हमारे दिलो-दिमाग में इस कद्र छाए हुए हैं कि बहुत बार जब मैं आर्ट ऑफ लिविंग के बारे में कुछ भी सुनता था तो मुझे अपने बचपन के दिनों का यह गीत ज़रूर याद आ जाया करता था....अभी भी याद आया....उस के अल्फ़ाज़ भी कुछ इस तरह के हैं...आ बता दे तुझे कैसे जिया जाता है! मेरे पसंदीदा गीत को आप भी सुनिए....मुझे इस गीत के लिरिक्स बेहद पसंद हैं...

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