यह आदमी अपने मुंह का घाव दिखाते हुए... |
यह तो पक्का ही था कि उसे दवाई लेने से ही यह घाव हुआ था क्योंकि एक टेबलेट लेने के कुछ घंटे बाद ही इस तरह मुंह में छाला सा हो गया जो तुरंत फूट गया और यह बढ़ कर यह घाव बन गया।
इस घाव की तस्वीर आप यहां देख रहे हैं....देखने में काफ़ी बड़ा तो लग रहा है, इस आदमी को परेशान भी बहुत कर रहा है...उससे कुछ भी खाया पिया नहीं जा रहा।
लेिकन आप चिंता न करें, यह घाव तो तीन-चार दिन में ठीक हो ही जाएगा.......बिना किसी ऐंटीबॉयोटिक जैसी दवाईयों के.....इस पर दिन में चार पांच बार मुंह में लगाने वाली दर्द निवारक एवं ऐंटीसेप्टिक जैल लगानी होगी..... कुछ के नाम मैं यहां लिख रहा हूं......Dentogel, Dologel, Zytee, Emergel आदि.....इन में से किसी भी एक जैल का इस्तेमाल किया जा सकता है। घाव में दो बूंद लगाने पर इसे पांच मिनट बाद थूक देना होता है.....विशेषकर खाना खाने से पहले इस का इस्तेमाल खाने से होने वाली दिक्कत को बहुत कम कर देता है।
अकसर किसी भी दर्द-निवारक टेबलेट खाने की भी ज़रूरत नहीं होती.......अगर है तो कोई भी हल्की फुल्की दवा ली जा सकती है।
टुथब्रुश एवं जुबान साफ़ करने वाली पत्ती का इस्तेमाल नियमित जारी रखना होगा.......ताकि किसी तरह की इंफैक्शन से बचा जा सके।
एक बात बताऊं जब मैंने इस आदमी से पूछा कि आप को किस दवाई से ऐसा हुआ तो वह नाम ही नहीं बता पाया....न ही उस के पास वह दवाई मौजूद थी......इसलिए यह ध्यान रखना चाहिए की अगर इस तरह की कोई तकलीफ़ हो भी जाए तो चिकित्सक के पास कम से कम वह दवा तो दिखाने के लिए जाना ही चाहिए, ताकि आप वह दवा किसी दूसरे ट्रेडनेम से भी फिर से खाए जाने से बच सकें।
दवा का जब किसी को रिएक्शन होता है तो नाना प्रकार के लक्षण हो सकते हैं......सारे शरीर में खुजली, इधर उधर फफोले से पड़ जाना, मुंह में फफोले और घाव आदि हो जाना.......और भी बहुत हैं, लेकिन छोड़िए क्या करेंगे खाली-पीली सभी के बारे में जान कर.......यही शुभकामना है कि आप स्वस्थ रहें।
हां, यार, एक ध्यान आया....कुछ साल पहले लोग कुछ ज़्यादा ही सीधे हुआ करते थे शायद......कुछ लोग दांत की दर्द से निजात पाने के लिए ऐस्प्रिन की गोली को पीस कर मुंह में दुःखते दांत के सामने टिका दिया करते थे......दर्द तो कहां दूर हो पाता था, लेकिन इसी तरह का ज़ख्म ज़रूर कईं दिन तक परेशान किए रहता था।
यह तो था इन साहब के मुंह का हाल, कल मैंने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में किशोर दा का यह गाया हुआ यह गीत एक आर्टिस्ट की आवाज़ में सुना ... इन्हें लखनऊ में जूनियर किशोर दा कहते हैं.......अच्छा लगा अपने बचपन के दिनों का गीत सुन कर .....आप भी सुनिए... यह दिल के हाल की बात कर रहा है.........