हम सब लोग बचपन से ही यह बात सुनते आ रहे हैं कि अगर खाते समय जल्दबाजी करोगे तो मोटे हो जाओगे। लेकिन शायद कभी लोग इस तरफ़ इतना ध्यान नहीं देते कि यह भी कोई बात है कि हमारे खाने की स्पीड अब हमारा वज़न तय करेगी !!
लेकिन वास्तविकता यह है कि यह एक वैज्ञानिक सच्चाई है। अब रिसर्चरों ने इस का कारण ढूंढ निकाला है। होता यह है कि जब हम इत्मीनान से खाना खाते हैं---निवाले छोटे छोटे लेते हैं, चम्मच में चावल आदि थोड़े थोड़े लेकर खाने का लुत्फ़ उठाते हुये खाते है तो कुछ समय बाद ही हमारे पाचन प्रणाली से दो हार्मोन रिलीज़ होते हैं --- पैप्टाइड वाय वाय ( peptide YY- PYY) एवं GLP-1 ( ग्लुकोन लाइक पैप्टाइड)।
ये हार्मोनज़ रिलीज़ होते ही हमारे मस्तिष्क में मौजूद भूख नियंत्रण तंत्र ( appetite control centre) को संदेश देते हैं कि अब और खाने की तलब नहीं है, अब हो गया। इसलिये धीमी गति से खाये गये कम खाने से ही भूख शांत हो जाती है। सीधा सा मतलब है कि अगर खाना की कम मात्रा से तृप्ति हो गई है तो शरीर में कैलरीज़ की मात्रा भी कम ही गई ------इस से आदमी मोटापे से भी बचा रहता है।
लेकिन तेज़ तेज़ अफरा-तफ़री में खाने वालों में होता यह है कि जब तक ये हार्मोन उन की पाचन-प्रणाली रिलीज़ करती है वे तब तक ही खूब सारा खाना लपेट चुके होते हैं --इसलिये उन के शरीर में बिना वजह ज़्यादा खाना पहुंच जाता है।
यह तो बात आजकल हो रही है कि अब रिसर्च से यह पता चल गया है कि खाने में उतावलापन, हड़बड़ाहट एवं जल्दबाजी दिखाना मोटापे को बुलाना है क्योंकि आज की युवा पीड़ी हर बात का प्रूफ मांगती है। और यही जैनरेशन है जो कि हर समय जल्दी में रहती है और जगह जगह से चलते फिरते जल्दबाजी में कुछ भी लेकर खाते रहते हैं -----इसलिये इन का पेट नहीं भरता।
काश, हम लोग इत्मीनान से बिना बात करते हुये दाल-रोटी को लुत्फ उठाने की कला सीख लें ---- यह बात सब से पहले तो मैं अपने आप ही से कह रहा हूं कि अकसर मैं भी इस काम को बहुत ही जल्दबाजी से निपटा लेने के चक्कर में रहता हूं।
कल रात जब मैंने सेब जैसे और नाशपती जैसे मोटापे की बात कही तो एक मित्र ने कहा कि यार, बताओ इसे केले जैसा कैसे करें ----मुझे पढ़ कर बहुत हंसी आई ---और मित्र को इस समय यही कर रहा हूं कि यह रहा पहला सबक ----हम खाना धीरे धीरे इत्मीनान से खायें ----ऐसा करने से कम खाने से ही हमारा पेट भर जायेगा।