बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

अपनी मरजी से करवाए जाने वाले मैडीकल टैस्ट


आज सुबह मैं एक मैडीकल लैब में खड़ा था...एक व्यक्ति आया...अच्छा, उस के बारे में लिखने से पहले मैं यह कहना चाहता हूं कि ऐसी किसी परिस्थिति में किसी का मज़ाक उड़ाने की हम सोच भी नहीं सकते, बस कोई बात आप तक पहुंचाने के लिए उस की उदाहरण ले रहा हूं।

जब वह काउंटर पर खड़ा होकर उस लैब वाले कर्मचारी से बात कर रहा था तो दोस्तो, सच में मुझे मेरे शहर का बेस्ट पकौड़ें वाला याद आ गया। बिल्कुल वही भाषा इस्तेमाल हो रही थी। उस के पास डाक्टर का कोई नुस्खा नहीं था।

उसने तीन चार टेस्ट उस कर्मचारी को गिनवाए ...उस ने उस का रेट बताया...फिर अचानक पूछा कि क्या आप के यहां स्वाईन-फ्लू का टेस्ट होता है, उस के प्रश्न का जवाब हां में मिलने पर उस ने पूछा कितने में,तो लैब वाले ने कहा साढ़े पांच हज़ार रूपये में। रेट सुन कर वह चुप कर गया।

फिर वह व्यक्ति लैब वाले को कहने लगा कि ऐसा करो, एक तो वो करदो लेकिन उस दूसरे वाले को छोड़ दो, एक वो और वो भी कर दो...मुझे बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे हम लोग अकसर पकौड़े वाले के सामने खड़े होकर कहते हैं ना...अच्छा तीन आलू के, दो मेथी के, दो मिर्ची और दो पनीर.....बाकी प्याज के डाल दो।

दरअसल मुझे लगता है कि कईं बार बिना किसी मैडीकल ज्ञान वाला आम आदमी को भी लगता है कि बिना डाक्टरी सलाह के ही कुछ टैस्ट करवा लिए जाएं...यहां तक कि किसी फैमली डाक्टर से भी संपर्क नहीं किया जाता... और शायद गूगल बाबा से ही पूछ लिया जाता है।

लेिकन यह गलत है... ठीक है गूगल बाबा ज्ञान प्रदान करता है, लेकिन अपनी सेहत के बारे में कोई भी निर्णय हमें अपने अल्प मैडीकल ज्ञान के आधार पर नहीं करना चाहिए.... इस से फायदा तो कुछ नहीं बल्कि नुकसान ज़रूर हो सकता है। केवल आपके चिकित्सक को ही पता है कि कौन सा टेस्ट आप के लिए ज़रूरी है, कौन सा गैर-ज़रूरी है। अपनी सेहत से संबंधित कोई भी निर्णय केवल नेट पर कुछ पढ़ लेने से या दोस्तों से सुन कर करना ठीक नहीं है।

मुझे उस समय यही लगा कि थैंक-गॉड स्वाईन-फ्लू का टेस्ट साढ़ें पांच हज़ार का है......मुझे ऐसे लग रहा था कि उस की टेस्ट करवाने की इच्छा तो है, लेकिन शायद इतने महंगे रेट के चक्कर में मामला अटक गया है......क्योंकि वह काउंटर वाला उसे बाद में कुछ समझा तो रहा था कि टेस्ट की रिपोर्ट दो दिन में मिल जाएगी।

सच में जब किसी बीमारी की जागरूकता के अभाव में कोई अफवाह फैलती है तो यही अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाता है... कोई अपने आप ही टैस्ट करवाना चाहता है, कोई बिना कारण दवाई पहले ही से खा लेना चाहता है, कोई बच्चों को मास्क लगा कर स्कूल रवाना कर रहा है....और इन सब के चक्कर में बाज़ार में बैठा व्यवसायी, लैब का मालिक या कैमिस्ट चांदी कूटने से नहीं चूकता।

इस पोस्ट को इतनी सिरियसली न लें, बस उस व्यक्ति को और उस के लहजे को देख कर अमृतसर के पकौड़ें वाली दुकानें याद आ गईं.......बस, इतनी सी गुस्ताखी हो गई, कृपया आप माफ़ कर दें। किसी की भी सेहत किसी भी मज़ाक को विषय़ हो ही नहीं सकता।

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