लैपरोस्कोपी का नाम तो आप सब ने बहुत बार सुन रखा होगा। लैपरोस्कोपी- सर्जरी की एक ऐसी विधि है जिस के द्वारा डाक्टर मरीज के पैल्विस एवं एबडॉमन( pelvis and abdomen) के अंदर वाले अंगों को बिलकुल छोटे से कट्स के माध्यम से देख पाते हैं और उन का आप्रेशन कर पाते हैं । बहुत प्रकार की अबडॉमीनल सर्जरी लैपरोस्कोपी के द्वारा की जा सकती है जैसे कि बांझपन अथवा पैल्विक एरिया में दर्द की डायग्नोसिस एवं इलाज, गाल-ब्लैडर अथवा अपैंडिक्स को निकालना( gall bladder or appendix removal), और गर्भवस्था से बचाव के लिये ट्यूबल लाईगेशन( जिसे आम तौर पर कह देते हैं महिलाओं में बच्चे बंद करने वाला दूरबीनी आप्रेशन)।
लैपरोस्कोपी किसी सर्जन अथवा स्त्री-रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। अगर आप नियमित तौर पर एस्पिरिन अथवा इस श्रेणी ( non-steroidal anti-inflammatory drugs) की अन्य दवाईयां लेते हैं जिस से रक्त के जमने में कुछ दिक्कत हो सकती है ( medicines that affect blood clotting) तो आप को डाक्टर से बात करनी होगी। हो सकता है कि कुछ समय के लिये आप की वह दवा बंद कर दी जाये अथवा लैपरोस्कोपी से पहले आप की डोज़ को एडजस्ट किया जाये।
सर्जरी से कम से कम आठ घंटे पहले आप को कुछ भी न खाने की हिदायत दी जाती है। चूंकि निश्चेतन ( anaesthesia) करने के लिये जो दवाईयां इस्तेमाल की जाती हैं मितली होना( nausea) उन का साइड-इफैक्ट हो सकता है – इसलिये अगर पेट खाली होगा तो इस तरह की परेशानी से बचा जा सकता है।
कैसे होती है यह लैपरोस्कोपी ? – लैपरोस्कोपी को आप्रेशन थियेटर में किया जाता है। मरीज को जर्नल एनसथीसिया दिया जाता है जिस के प्रभाव से वह सोया रहता है और उसे कुछ भी पता नहीं चलता कि क्या चल रहा है। जर्नल एनसथीसिया के लिये मरीज को गैसों का एक मिक्सचर एक मास्क के माध्यम से सुंघाया जाता है। जब एनसथीसिया का प्रभाव शुरू हो जाता है तो मरीज के गले में एक टयूब डाल दी जाती है जिसके द्वारा वह सांस लेता रहता है।
वैसे बातें लिखने में ही बहुत बड़ी बड़ी डराने वाली लगती हैं---लेकिन जिन हाथों ने रोज़ काम ही यही करने हैं, उन के हाथों में आप पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं ---उन के लिये यह सब की-बोर्ड पर काम करने के बराबर ही होता है।
लैपरोस्कोपी के दौरान एक बिलकुल छोटा सा कैमरा एक बिल्कुल छोटे से कट ( एक इंच से भी कम) की मदद से अंदर डाला जाता है और इस यह कट नेवल (धुन्नी) के एरिये में या इस के ज़रा सा नीचे लगाया जाता है। इस के बाद कार्बन-डाईआक्साईड या नाइट्रस-आक्साईड जैसी गैस को मरीज के एबडॉमन में पंप किया जाता है ताकि एबडॉमिनल वाल ( abdominal wall) एबडॉमिनल अंगों से ऊपर उठ जाये और एबडॉमन के अंदर गया हुआ बिलकुल छोटा सा कैमरा उन अंगों को सही तरीके से देख सके।
अगर लैपरोस्कोपी के द्वारा केवल एबडॉमन अथवा पैल्विस को देखने के इलावा कोई जटिल सा प्रोसिजर भी करना होता है तो सर्जन एक या उस से अधिक कट्स (incisions)भी लगा सकता है जिस से कि अन्य औज़ार भी अबडॉमन के अंदर पहुंच सकें। पैल्विक सर्जरी के लिये तो ये एडिशनल कट्स आम तौर पर पयूबिक हेयर के थोड़ा नीचे लगाये जाते हैं।
लैपरोस्कोपी के लिये विभिन्न प्रकार के औज़ार इस्तेमाल किये जाते हैं। इन में से कुछ तो ऐसे होते हैं जिन में कुछ तो काटने के लिये और अंदरूनी अंगों को क्लिप करने के लिये इस्तेमाल होते हैं, कुछ औज़ार पैल्विस के स्कार टिश्यू अथवा दर्दनाक एरिया को जलाने के लिये इस्तेमाल किये जाते हैं, अथवा कुछ ऐसे औज़ार होते हैं जिन को बायोप्सी का सैंपल लेने के लिये और यहां तक कि अंदरूनी अंगों को पूरा बाहर निकालने के लिये भी औज़ार उपलब्ध होते हैं---( आम तौर पर छोटे छोटे टुकड़ों के ज़रिये ताकि एबडॉमन पर बड़े कट्स न लगाने पड़ें) और डाक्टर अपना काम करते हुये यह सारी प्रक्रिया को एक टैलीवीज़न की स्क्रीन पर देखता रहता है।
सर्जरी पूरी होने पर सभी औज़ार बाहर निकाल लिये जाते हैं, एबडॉमन में भरी गैस को निकाल दिया जाता है और कट्स को सिल दिया जाता है। तुरंत एनसथीसिया रोक दिया जाता है ताकि मरीज़ लैपरोस्कोपी होने के कुछ ही मिनटों के बाद “नींद” से जाग जाता है।
लैपरोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीज रैगुलर एबडॉमिलन सर्जरी की तुलना में ( जिसे अकसर ओपन सर्जरी भी कह दिया जाता है) बहुत जल्दी ठीक ठाक हो जाते हैं क्योंकि कट्स के जख्म इतने छोटे छोटे होते हैं। जिस भी कट्स के अंदर से औज़ार अंदर गये हैं वहां पर छोटा सा सीधा स्कार (small straight scar) – एक इंच से भी कम – होता है।
यह तो बस थोड़ी सी इंट्रोडक्शन थी लैपोस्कोपी के बारे में ताकि कभी अगर आप के कान में कहीं पड़ जाये कि यह शब्द पड़ जाये तो आप समझ सकें कि आखिर यह माजरा है क्या । उदाहरण के तौर पर अगर किसी से सुनें कि उस ने लैप-कोली करवाई है तो उस का मतलब है कि उस का पित्ता (gall bladder) लैपरोस्कोपी के द्वारा निकाल दिया गया है --- लैपरोस्कोपी को ब्रीफ में कह देते हैं...लैप और कोली का पूरा फार्म है कोलीसिस्टैक्टमी ( अर्थात् पित्ते को आप्रेशन से निकाल देना) !!
शायद, आप को लैपरोस्कोपी का कंसैप्ट थोड़ा क्लियर हो गया होगा लेकिन लिखते लिखते मुझे नानी याद आ गई कि मैडीकल बातों को हिंदी में लिखना अच्छा खासा मुश्किल काम है। लेकिन अब अगर इसे भी एक चैलेंज के रूप में नहीं लिया जायेगा तो कैसे चलेगा !!