२००७ से यह ब्लॉग लिखना शुरू किया था...वे दिन भी क्या दिन थे..लगभग रोज़ाना कुछ न कुछ इस ब्लॉग पर छाप दिया करता था...फिर पता नहीं यह क्या फेसबुक और बाद में यह व्हाट्सएप पर कुछ कुछ लिखते-पढ़ते रहने से शायद फुर्सत ही नहीं मिलती थी...शायद ग्यारह-बारह सौ पोस्ट हैं इस ब्लॉग पर ....लेकिन अभी देखा कि २०१८ में मैंने इस ब्लॉग पर केवल १८ बार लिखा...
इसलिए अब मन बनाया है कि निरंतर कुछ न कुछ जिसे लिख कर मन हल्का हो जाए, उसे लिखते रहना चाहिए...मुझे ऐसा लगता है। बाकी, रही बात नये साल के रेज़ोल्यूशन-वूशन की ...यह सब बड़े लोगों की बड़ी बातें हैं, मेरी समझ में कभी नहीं आतीं....रेज़ोल्यूशन भी ऐसे की पहले ढ़िंढोरा पीटा जाए ...फिर कुछ किया जाए या न किया जाए...लेकिन पब्लिसिटि ज़रूरी है....नहीं, मैं ऐसा नहीं मानता हूं...रेज़ोल्यूशन अपने लिए होते हैं....मन में रखने के लिए ...और शायद (!!) अपने आस पास के चुनिंदा लोगों के लिए ...बाकी, किसी को किसी से क्या मतलब, मुझे नहीं लगता कि किसी को कुछ फ़र्क भी पड़ता है ...
मेरे भी रेज़ोल्यूशन मेरे मन में ही हैं...सब को पता होता है ..कहां ख़ामियां हैं, उन्हें कैसे दूर करना है!!
हां, एक बात और ....मुझे यह ख़ास दिनों में लोगों को चुन चुन कर बधाई संदेश देना बहुत खलता है ....मैं ऐसा नहीं करता बिल्कुल, लेकिन जिस का मुझे आ जाए उसे जवाब तो देना ही होता है ...वरना ठीक नहीं लगता ...बधाई संदेश बोरिंग लगता है यह भी कोई बात हुई! नहीं, मुझे लगता है कि अगर सारी क़ायनात के लिए ही एक साथ दुआ मांग ली जाए तो काफ़ी है ना...क्या बार बार दूसरों को डिस्टर्ब करना .... नानी भी कहती थीं, फिर मां भी समझाया करती थीं कि सरबत का भला मांगने में ही समझदारी है ...बस, वही बातें मन के किसी कोने में बैठ गईं...
एक फिल्मी गीत मैं यहां एम्बैड करूंगा ...भूतनाथ फिल्म का है ...साहिब नज़र रखना, मौला खबर रखना ....यह गीत मेरे दिल के बहुत पास है ...मुझे ऐसा लगता है कि इस से बढ़ कर और क्या प्रार्थना होगी...लिखने वाले को, गाने वाले को और म्यूज़िक देने वाले को मेरा सलाम ...
और एक बात मुझे अब पता चली है अपने बारे में कि मैं उन मायनों में बिल्कुल भी धार्मिक नहीं हूं जिस में अपने धर्म का दिखावा करना ज़रूरी होता है ... मुझे इस बात से भी बहुत चिढ़ है ...मैं भी ऐसा ही मानता हूं कि धर्म एक बिल्कुल व्यक्तिगत मामला है ..है कि नहीं!
चलिए, इस पोस्ट को यहीं बंद करता हूं अपने हिसाब से एक बहुत उम्दा प्रेयर के साथ ....
इसलिए अब मन बनाया है कि निरंतर कुछ न कुछ जिसे लिख कर मन हल्का हो जाए, उसे लिखते रहना चाहिए...मुझे ऐसा लगता है। बाकी, रही बात नये साल के रेज़ोल्यूशन-वूशन की ...यह सब बड़े लोगों की बड़ी बातें हैं, मेरी समझ में कभी नहीं आतीं....रेज़ोल्यूशन भी ऐसे की पहले ढ़िंढोरा पीटा जाए ...फिर कुछ किया जाए या न किया जाए...लेकिन पब्लिसिटि ज़रूरी है....नहीं, मैं ऐसा नहीं मानता हूं...रेज़ोल्यूशन अपने लिए होते हैं....मन में रखने के लिए ...और शायद (!!) अपने आस पास के चुनिंदा लोगों के लिए ...बाकी, किसी को किसी से क्या मतलब, मुझे नहीं लगता कि किसी को कुछ फ़र्क भी पड़ता है ...
मेरे भी रेज़ोल्यूशन मेरे मन में ही हैं...सब को पता होता है ..कहां ख़ामियां हैं, उन्हें कैसे दूर करना है!!
हां, एक बात और ....मुझे यह ख़ास दिनों में लोगों को चुन चुन कर बधाई संदेश देना बहुत खलता है ....मैं ऐसा नहीं करता बिल्कुल, लेकिन जिस का मुझे आ जाए उसे जवाब तो देना ही होता है ...वरना ठीक नहीं लगता ...बधाई संदेश बोरिंग लगता है यह भी कोई बात हुई! नहीं, मुझे लगता है कि अगर सारी क़ायनात के लिए ही एक साथ दुआ मांग ली जाए तो काफ़ी है ना...क्या बार बार दूसरों को डिस्टर्ब करना .... नानी भी कहती थीं, फिर मां भी समझाया करती थीं कि सरबत का भला मांगने में ही समझदारी है ...बस, वही बातें मन के किसी कोने में बैठ गईं...
एक फिल्मी गीत मैं यहां एम्बैड करूंगा ...भूतनाथ फिल्म का है ...साहिब नज़र रखना, मौला खबर रखना ....यह गीत मेरे दिल के बहुत पास है ...मुझे ऐसा लगता है कि इस से बढ़ कर और क्या प्रार्थना होगी...लिखने वाले को, गाने वाले को और म्यूज़िक देने वाले को मेरा सलाम ...
और एक बात मुझे अब पता चली है अपने बारे में कि मैं उन मायनों में बिल्कुल भी धार्मिक नहीं हूं जिस में अपने धर्म का दिखावा करना ज़रूरी होता है ... मुझे इस बात से भी बहुत चिढ़ है ...मैं भी ऐसा ही मानता हूं कि धर्म एक बिल्कुल व्यक्तिगत मामला है ..है कि नहीं!
चलिए, इस पोस्ट को यहीं बंद करता हूं अपने हिसाब से एक बहुत उम्दा प्रेयर के साथ ....