सुनने में आया है कि अब तो ज़हरखुरानी की घटनाएं स्प्रे से भी होने लगी हैं......बहुत चिंताजनक बात है। पहले तो सफर के दौरान बिस्कुट, खाने या मिठाई में कुछ मिला कर ज़हरखुरानी की घटनाएं की जाती थीं लेकिन यह स्प्रे का अब नया लफड़ा शुरू हो गया लगता है। लोग मास्टर माईंड से हो गये हैं....ऐसे ही थोड़ा कहा जा रहा है कि अब सपेरे ने सांपों को पिटारे में यह कह कर बंद कर दिया है कि अब इंसान को काटने के लिए इंसान ही काफ़ी हैं।
अब रेलवे भी इस तरह की ज़हरखुरानी के बारे में यात्रियों को सचते करने के लिए एक अभियान चलाएगी।
अब रेलवे भी इस तरह की ज़हरखुरानी के बारे में यात्रियों को सचते करने के लिए एक अभियान चलाएगी।
अभी मैं जब पोस्ट लिखने लगा तो मुझे ध्यान आया कि रेल मंत्रालय ने एक वीडियो भी तो जारी किया था ...जिस पर मैंने एक टिप्पणी भी दी थी......पता नहीं उस लंबी चौड़ी टिप्पणी को वहां तो किसी ने देखा या नहीं, आप इसे यहां ज़रूर पढ़ सकते हैं........पहले तो वह वीडियो ही देखिए...
संदेश अच्छा लगा लेकिन यह बहुत ही संक्षिप्त सा लगा। बात समझ में आ जाती है कि किस तरह से अपटुडेट लोग भी इस तरह के धंधों में संलिप्त होते हैं।
देश में कुछ जगहें विशेष तौर पर कुख्यात हैं जहां पर इस तरह की ज़हरखुरानी की घटनाएं बहुत आम हैं। उदाहरण के तौर पर मैं हरियाणा के अंबाला का नाम जानता हूं। यहां पर अप्रवासी श्रमिक या फिर फौजी जो अपने घरों की तरफ़ लौट रहे होते हैं तो उन की चाय, काफ़ी आदि में भी कुछ बेहोशी का कुछ मिला कर उन से लूटपाट कर ली जाती है।
मुझे कईं बार बहुत हैरानगी इसलिए भी होती है कि किसी दूसरे की तो बात मान भी ली जाए कि वे किसी की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गए... लेकिन फौजी भाई जो देश के दुश्मनों के दांत खट्टे किए रहते हैं अपने ही लोगों के अपनेपन के बहकावे में आ जाते हैं।
एक ध्यान आ रहा है कि किस तरह से ये शातिर लोग विभिन्न हथकंडे अपनाते हैं ..दूषित बिस्कुट, चाय को देते समय अपनी उंगली को चाय में डुबो देना जिस पर पहले ही से कुछ लगा रहता है, यह सब मैंने सुना है और अकसर मीडिया मेें भी देखते सुनते ही रहते हैं। इस तरह के प्रामाणिक हथकंड़ों से भी जनता को आगाह किया जाना चाहिए। बाकी सुझाव बाद में कभी भेजेंगे...
मुझे अच्छे से याद है कि कुछ रेल स्टेशनों पर या यहां तक की गाडि़यों में जनता को सचेत करने के लिए नोटिस भी चसपा किये जाते हैं...........अंबाला छावनी स्टेशन पर तो मैंने स्वयं देखा है कि गाड़ी रूकने के बाद आरपीएफ के जवान इस तरह की ज़हरखुरानी से आगाह करने वाली एनाउंसमैंट्स प्लेटफार्मों पर कर रहे होते हैं।
अब सोचने की बात है कि अब सरकार इस से बढ़ कर क्या करें, थोड़ी जिम्मेवारी तो पब्लिक की भी बनती है कि नहीं।
बहरहाल, आज रेल विभाग का यू-ट्यूब चैनल देख कर अच्छा लग रहा है कि देश की जनता तक जनोपयोगी संदेश पहुंचाने के लिेए इसे कितने कारगर ढंग से इस्तेमाल किया जाना प्रारंभ हुआ है।
शुभकामनाएं भविष्य के लिए भी.........यह जनमानस के कल्याण का काम यूं ही चलता रहे। आमीन।