आज सुबह यह बंदा आया था....कि एक दांत में दस दिनों से असहाय दर्द है.....तुरंत कहने लगा कि चाउमीन बच्चे खाने लगे तो पास में रखी सॉस की बोतल को जल्दी जल्दी में दांतों से खोलने के चक्कर में दांत पर दबाव पड़ा और बस दर्द शुरू हो गया।
मैं उस की बात से ही समझ गया था कि लफड़ा क्या है, बाद में मुंह का चैक-अप करना तो बस एक फार्मेलिटि सी ही लग रही थी। दस दिन से इसे दांत में भयंकर दर्द है और पहले तो सूजन भी आ गई थी, अब सूजन तो नहीं है लेकिन कह रहा था कि खाने का एक कोर भी उस दांत के नीचे चले जाने से जान निकल जाती है, बहुत ज़्यादा ठंडा लगने लग गया है, यहां तक कि हवा भी लगती है तो दांत में दर्द होने लगता है।
जैसा कि इस तरह के पंगे लेने से अकसर होता है, इस का दांत क्रैक हो गया है......क्रैक होने की एक लाइन दांत दिख रही है, शायद आप इस तस्वीर में देख नहीं पा रहे होंगे, नीचे की तस्वीर में जिस जगह पर यह औज़ार टिका हुआ है, वह क्रैक लाइन ही है।
अकसर इस तरह के दांत कुछ ही दिनों में चटक जाते हैं.....यह दांत भी कुछ दिनों में ही ..या फिर दो एक हफ़्ते में ही अंदर से टूट जायेगा। और इस का कोई इलाज नही होता....सारा दांत तो नहीं टूटेगा.....लेकिन एक हिस्सा अवश्य अलग हो जायेगा......बाद में बचे हुए भाग की रिपेयर हो जाती है।
अब बात यह उठती है कि क्या इस क्रैक दांत के क्रैक हिस्से को अभी ही क्यों न अलग कर दिया जाए। मैं ऐसा करना ठीक नहीं समझता क्योंकि दांत क्रैक होते हुए भी मन में यही सोचता है कि यह क्रैक तो ठीक हो ही जाएगा.....ऐसे में अगर दांत के एक हिस्से को अलग कर भी दिया जाए तो मरीज़ को हमेशा यही लगता है कि यह बस सकता है, यह ठीक हो सकता था। इसलिए थोड़े दिन का इंतज़ार करना ठीक रहता है.......जैसे ही दांत का चटका हुआ हिस्सा बिल्कुल पूरी तरह से हिलने लगेगा तो मरीज़ इसे निकलवाने के लिए और पूरे इलाज करवाने के लिए तैयार होता है।
इस तरह के दांत के चटकने के केस अकसर आते ही रहते हैं......बहुत से केस तो इस तरह के ही होते हैं जिसमें किसी ने कोल्ड-ड्रिंक या कोई भी बोतल को दांत से खोलने की कोशिश की, या फिर खाना खाते खाते अचानक दांत के नीचे कोई कंकड़ आ जाए तो भी दांत का ऐसा हाल हो सकता है.....या फिर जो लोग सुपारी चबाने के शौकीन होते हैं, उन में भी कईं बार सख्त किस्म की सुपारी को चबाने से ऐसी आफ़त हो जाती है।
बेहतर यही है कि हम इस तरह की आदतें न ही डालें..... कब यह सब परेशानी हो जाए कोई कह नहीं सकता, यही बंदा जो मेरे पास आया था जिस के दांतों की आप तस्वीर देख रहे हैं, वह बता रहा था कि वैसे तो वह बीयर की बोतल भी दांतों से ही खोल लेता है लेकिन सॉस की बोतल पर ज़रूर कुछ मजबूर सा ढक्कन फिक्स हुआ रहा होगा। मैं सोच रहा था कि जब तुमने पहली बार ही ढक्कन को इस तरह के दांतों से खोला होगा, उसी दिन ही तुम्हें कोई अच्छी नसीहत दे देता तो तुम्हारा अच्छा भला दांत बच सकता था।
तो आपने इस पोस्ट से क्या सीख ली?........ मुझे पता है कि आप जवाब में कुछ नहीं कहेंगे, कोई बात नहीं।
मैं उस की बात से ही समझ गया था कि लफड़ा क्या है, बाद में मुंह का चैक-अप करना तो बस एक फार्मेलिटि सी ही लग रही थी। दस दिन से इसे दांत में भयंकर दर्द है और पहले तो सूजन भी आ गई थी, अब सूजन तो नहीं है लेकिन कह रहा था कि खाने का एक कोर भी उस दांत के नीचे चले जाने से जान निकल जाती है, बहुत ज़्यादा ठंडा लगने लग गया है, यहां तक कि हवा भी लगती है तो दांत में दर्द होने लगता है।
जैसा कि इस तरह के पंगे लेने से अकसर होता है, इस का दांत क्रैक हो गया है......क्रैक होने की एक लाइन दांत दिख रही है, शायद आप इस तस्वीर में देख नहीं पा रहे होंगे, नीचे की तस्वीर में जिस जगह पर यह औज़ार टिका हुआ है, वह क्रैक लाइन ही है।
अकसर इस तरह के दांत कुछ ही दिनों में चटक जाते हैं.....यह दांत भी कुछ दिनों में ही ..या फिर दो एक हफ़्ते में ही अंदर से टूट जायेगा। और इस का कोई इलाज नही होता....सारा दांत तो नहीं टूटेगा.....लेकिन एक हिस्सा अवश्य अलग हो जायेगा......बाद में बचे हुए भाग की रिपेयर हो जाती है।
अब बात यह उठती है कि क्या इस क्रैक दांत के क्रैक हिस्से को अभी ही क्यों न अलग कर दिया जाए। मैं ऐसा करना ठीक नहीं समझता क्योंकि दांत क्रैक होते हुए भी मन में यही सोचता है कि यह क्रैक तो ठीक हो ही जाएगा.....ऐसे में अगर दांत के एक हिस्से को अलग कर भी दिया जाए तो मरीज़ को हमेशा यही लगता है कि यह बस सकता है, यह ठीक हो सकता था। इसलिए थोड़े दिन का इंतज़ार करना ठीक रहता है.......जैसे ही दांत का चटका हुआ हिस्सा बिल्कुल पूरी तरह से हिलने लगेगा तो मरीज़ इसे निकलवाने के लिए और पूरे इलाज करवाने के लिए तैयार होता है।
इस तरह के दांत के चटकने के केस अकसर आते ही रहते हैं......बहुत से केस तो इस तरह के ही होते हैं जिसमें किसी ने कोल्ड-ड्रिंक या कोई भी बोतल को दांत से खोलने की कोशिश की, या फिर खाना खाते खाते अचानक दांत के नीचे कोई कंकड़ आ जाए तो भी दांत का ऐसा हाल हो सकता है.....या फिर जो लोग सुपारी चबाने के शौकीन होते हैं, उन में भी कईं बार सख्त किस्म की सुपारी को चबाने से ऐसी आफ़त हो जाती है।
बेहतर यही है कि हम इस तरह की आदतें न ही डालें..... कब यह सब परेशानी हो जाए कोई कह नहीं सकता, यही बंदा जो मेरे पास आया था जिस के दांतों की आप तस्वीर देख रहे हैं, वह बता रहा था कि वैसे तो वह बीयर की बोतल भी दांतों से ही खोल लेता है लेकिन सॉस की बोतल पर ज़रूर कुछ मजबूर सा ढक्कन फिक्स हुआ रहा होगा। मैं सोच रहा था कि जब तुमने पहली बार ही ढक्कन को इस तरह के दांतों से खोला होगा, उसी दिन ही तुम्हें कोई अच्छी नसीहत दे देता तो तुम्हारा अच्छा भला दांत बच सकता था।
तो आपने इस पोस्ट से क्या सीख ली?........ मुझे पता है कि आप जवाब में कुछ नहीं कहेंगे, कोई बात नहीं।