सोशल मीडिया से हमें बहुत तरह की जानकारी मिल रही है ..साथ में बहुत सी फालतू जानकारी भी मिल रही है...कुछ अफ़वाहें फैलाती बातें भी दिख जाती हैं...सब कुछ चल रहा है..
ज़ाहिर सी बात है हम लोग सभी विषयों पर सारी जानकारी तो रख नहीं सकते...इसलिए हमें किसी भी बात को शेयर करते समय सचेत रहना चाहिए।
आज दोपहर में एक वाट्सएप मैसेज अचानक दिख गया जिस में लिखा था कि किसी १० साल के बालक को किसी पाइन-एपल बेचने वाले दुकानदार से खरीद कर पाईन-एपल खाने से एचआईव्ही संक्रमण हो गया...पूरी कहानी पढ़ी...बिल्कुल हजम नहीं हुई...सोचा कि चलिए कोई बात नहीं, आगे चलते हैं।
लेकिन मन माना नहीं....जो जानकारी हमारे पास है अगर उस के आधार पर हम किसी तरह की भ्रांति का खंडन ही न कर पाएं तो फिर उस जानकारी का क्या फ़ायदा।
बस ऐसे ही लिख दिया कि यह जानकारी भ्रमित करने वाली है....एचआई्व्ही एड्स इस तरह से नहीं फैला करती...उस वाट्सएप ग्रुप के एडमिन सचेत बंधु है...उन्होंने मेरी पोस्ट को उस जगह पर फारवर्ड कर दिया जहां से वह सूचना उन को मिली थी....(उन्होंने तो उस पाइन-एपल वाली बात को बस फारवर्ड ही किया था)..
और उन्होंने गूगल सर्च भी किया ...पाईन-एपल और एड्स का संबंध और इस लिंक को उस ग्रुप पर शेयर किया...उस का लिंक यह रहा (गूगल सर्च परिणामों के पहले परिणाम पर क्लिक कर के इसे आप पढ़ सकते हैं)....मैंने उसे अध्ययन किया तो मुझे पता चला कि यह अफवाह ... तो पिछले १० सालों से फैलाई जा रही है.....दुःख हुआ...पहले कहा जाता था कि किसी एचआईव्ही संक्रमित बंदे से जो पानी पूरी बेचा करता था किसी दूसरे बंदे में (जिसने उस के यहां से पानी-पूरी खाई) एचआईव्ही संक्रमण पहुंच गया...लेकिन ये सब लोगों को गुमराह करने की बातें हैं....आज वाली उस पोस्ट में तो वड़ा-पाव का भी नाम ले दिया गया था।
इसी लिंक पर मैडीकल वैज्ञानिकों ने इस बात की साफ़ पुष्टि भी कर दी कि ये सब बेकार की बातें हैं...एचआईव्ही संक्रमण फैलने के कुछ माध्यम हैं....उन के सिवा यह संक्रमण नहीं फैलता...
मुझे ध्यान आया कि मैंने अपने यू-ट्यूब चैनल पर मुंबई में बिक रहे पाईन-एपल की एक वीडियो भी डाली थी...आप भी देखिए...बस, ऐसी ही रिकार्ड किया था क्योंकि वहां पर रेहड़ी वाले पाईन-एपल काटने में खासे एक्सपर्ट हैं...
इस तरह की अफवाह या गलत जानकारी जब जंगल की आग की तरह फैलने लगती है तो लोगों के मन में कुछ भ्रांतियां घर कर लेती हैं जिससे बिना वजह का डर तो पैदा हो ही जाता है ...और इससे संक्रमित व्यक्ति के प्रति भेदभाव भी होने लगता है।
विषय बहुत लंबा है लेकिन बस इसी बात पर इसे समाप्त करते हैं कि हम सब को सचेत रहने की ज़रूरत है....आज का सोशल मीडिया ..विशेषकर वाट्सएप ..इतना पावरफुल मीडियम हम सब के हाथों में आ गया है कि हमारी बात ..अपनी या पीछे से कहीं आई हुई....चंद लम्हों में बहुत दूर निकल जाती है..
बस आज के लिए इस विषय पर इतना ही काफ़ी है...आप को कुछ शेयर करना हो तो इस पोस्ट के नीचे टिप्पणी में जाकर कर सकते हैं ...
इतनी भारी भरकम बातों से अगर ऊब गये हों तो जाते जाते मेरी पसंद का यह गीत ही सुन लीजिए...
ज़ाहिर सी बात है हम लोग सभी विषयों पर सारी जानकारी तो रख नहीं सकते...इसलिए हमें किसी भी बात को शेयर करते समय सचेत रहना चाहिए।
क्लिक कर के इसे पढ़िए..पाईऩएपल- HIV link |
लेकिन मन माना नहीं....जो जानकारी हमारे पास है अगर उस के आधार पर हम किसी तरह की भ्रांति का खंडन ही न कर पाएं तो फिर उस जानकारी का क्या फ़ायदा।
बस ऐसे ही लिख दिया कि यह जानकारी भ्रमित करने वाली है....एचआई्व्ही एड्स इस तरह से नहीं फैला करती...उस वाट्सएप ग्रुप के एडमिन सचेत बंधु है...उन्होंने मेरी पोस्ट को उस जगह पर फारवर्ड कर दिया जहां से वह सूचना उन को मिली थी....(उन्होंने तो उस पाइन-एपल वाली बात को बस फारवर्ड ही किया था)..
और उन्होंने गूगल सर्च भी किया ...पाईन-एपल और एड्स का संबंध और इस लिंक को उस ग्रुप पर शेयर किया...उस का लिंक यह रहा (गूगल सर्च परिणामों के पहले परिणाम पर क्लिक कर के इसे आप पढ़ सकते हैं)....मैंने उसे अध्ययन किया तो मुझे पता चला कि यह अफवाह ... तो पिछले १० सालों से फैलाई जा रही है.....दुःख हुआ...पहले कहा जाता था कि किसी एचआईव्ही संक्रमित बंदे से जो पानी पूरी बेचा करता था किसी दूसरे बंदे में (जिसने उस के यहां से पानी-पूरी खाई) एचआईव्ही संक्रमण पहुंच गया...लेकिन ये सब लोगों को गुमराह करने की बातें हैं....आज वाली उस पोस्ट में तो वड़ा-पाव का भी नाम ले दिया गया था।
(Please click on this picture to read comfortably) |
मुझे ध्यान आया कि मैंने अपने यू-ट्यूब चैनल पर मुंबई में बिक रहे पाईन-एपल की एक वीडियो भी डाली थी...आप भी देखिए...बस, ऐसी ही रिकार्ड किया था क्योंकि वहां पर रेहड़ी वाले पाईन-एपल काटने में खासे एक्सपर्ट हैं...
इस तरह की अफवाह या गलत जानकारी जब जंगल की आग की तरह फैलने लगती है तो लोगों के मन में कुछ भ्रांतियां घर कर लेती हैं जिससे बिना वजह का डर तो पैदा हो ही जाता है ...और इससे संक्रमित व्यक्ति के प्रति भेदभाव भी होने लगता है।
विषय बहुत लंबा है लेकिन बस इसी बात पर इसे समाप्त करते हैं कि हम सब को सचेत रहने की ज़रूरत है....आज का सोशल मीडिया ..विशेषकर वाट्सएप ..इतना पावरफुल मीडियम हम सब के हाथों में आ गया है कि हमारी बात ..अपनी या पीछे से कहीं आई हुई....चंद लम्हों में बहुत दूर निकल जाती है..
बस आज के लिए इस विषय पर इतना ही काफ़ी है...आप को कुछ शेयर करना हो तो इस पोस्ट के नीचे टिप्पणी में जाकर कर सकते हैं ...
इतनी भारी भरकम बातों से अगर ऊब गये हों तो जाते जाते मेरी पसंद का यह गीत ही सुन लीजिए...
आप ने अपने फ़र्ज़ को अंजाम दिया.....शुक्रिया जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी ।
हटाएं