बुधवार, 21 जनवरी 2015

किशोर एवं किशोरियों को हर सप्ताह मिलेगी आयरन एवं फोलिक एसिड की टेबलेट


आज सुबह अखबार खोली तो यह विज्ञापन देख कर अच्छा लगा...इंगलिश और हिंदी दोनों पेपरों में इसे देखा.
उत्तर प्रदेश सरकार का विज्ञापन था जिस में उन्होंने साप्ताहिक आयरन एवं फोलिक एसिड सम्पूरण कार्यक्रम (   WIFS) के बारे में जनता को जागरूक किया था।

 WIFS का फुल फार्म तो नहीं लिखा था..लेकिन वही होगा Weekly Iron Folic Acid Supplementation Programme ....वीकली आयरन एवं फोलिक एसिड सम्पूरण कार्यक्रम।

इस में लिखा है ....

किशोर एवं किशोरियों (१०-१९ वर्ष) में एनीमिया (खून की कमी) से बचाव एवं गंभीरता में कमी लाने हेतु साप्ताहिक आयरन एवं फोलिक एसिड सम्पूरण कार्यक्रम पूरे देश में संचालित।

  • उत्तर प्रदेश में अनुमानित हर दूसरा किशोर/किशोरी एनीमिया यानि खून की कमी से पीड़ित है। 
  • किशोरावस्था में समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए संतुलित एवं पौष्टिक भोजन अत्यन्त आवश्यक होता है। 
  • एनीमिया होने से एकाग्रता में कमी, काम करने में थकान और सुस्ती रहती है और इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है। 
  • बचाव के लिए साप्ताहिक एवं आयरन-फोलिक की गोली तथा हर छह महीने में कीड़े की गोली WIFS कार्यक्रम के तहत विद्यालयों तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर निःशुल्क दी जा रही है। 
  • माता-पिता अपनी जिम्मेदारी समझें और अपने बच्चों को यह गोली अवश्य खिलायें। 

नोट... खट्टे रसदार फल जैसे--आंवला, संतरा, मौसम्बी, नीम्बू आदि का सेवन आयरन के अवशोषण में सहायक होते हैं साथ ही ये ध्यान दें कि आयरन-फोलिक एसिड की टेबलेट का सेवन खाली पेट न करें और टेबलेट लेने के एक घंटे तक कॉफी अथवा चाय का सेवन न करें।

सप्ताह मेें एक बार भोजन के एक घंटे बाद आयरन एवं फोलिक एसिड की नीली टेबलेट का सेवन करना है। 
साल में दो बार कृमिनाशक एल्बेन्डाज़ोल की गोली का सेवन करना है। 

मुझे ध्यान में आ रहा है विभिन्न राज्यों में इस तरह की योजनाएं चल रही हैं...हरियाणा के सेहत विभाग की भी इसी तरह की एक स्कीम के बारे में मैंने एक बार पेपर में देखा था....लेकिन उसमें कुछ कहा गया था कि यह टेबलेट देने से पहले कुछ कर्मचारी बच्चों के रक्त की जांच कर के एनीमिया का पता लगाएंगे। इस के बारे में मेरे मन में कुछ शंका थी कि इतने व्यापक स्तर पर कौन करेगा यह सब टेस्टिंग.... और वैसे भी कईं बार बिना टेस्ट के क्लिनिकल निदान के आधार पर ही इस तरह के बचाव के लिए दवाईयां दे दी जाती हैं। 

अब यूपी में क्या करेंगे इस तरह की जांच के लिए... इस में कुछ वर्णन नहीं है। वैसे मुझे ध्यान आ रहा मैंने एक बार आईसीएमआर की एक रिपोर्ट के आधार पर एक लेख लिखा था...उस में भी यही बताया गया था कि क्लीनिकल जांच के आधार पर ही छोटे बच्चों को ऑयरन-फोलिक एसिड की गोलियां देनी कर देनी चाहिए...इस के बारे विस्तृत विवरण आप इस लिंक पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैं.... बच्चों में खून की कमी की तरफ ध्यान देना होगा..

कुछ िदन पहले मैंने एक रक्त रोग विशेषज्ञ द्वारा एनीमिया पर लिखी एक पुस्तक का भी वर्णन किया था... उस के कुछ अंश भी अभी आप तक पहुंचाने हैं... बस कभी कभी भूल जाता हूं, आलस्य कर देता हूं. लेकिन इस मुद्दे में सुस्ती करनी ठीक नहीं... एनीमिया की पुस्तक 

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