मुझे तो आज ही पता चला कि पश्चिमी देशों मे भी लोग मुलैठी ( जेठीमधु, मधुयष्टिका) के इतने दीवाने हैं ---चेतावनी यह है कि गर्भवस्था के दौरान अगर एक सप्ताह में 100ग्राम शुद्ध मुलैठी खा लेती हैं तो बच्चों की बुद्धि पर एवं उन के व्यवहार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
मेरा मुलैठी ज्ञान आज तक बहुत सीमित था --- अधिकतर व्यक्तिगत अनुभवों पर ही आधारित था। बचपन से अब तक गला खराब होने पर ऐंटीबॉयोटिक दवाईयां लेने में मुझे कभी भी विश्वास ही नहीं रहा। बस, दो-चार मुलैठी चूस लेने से गला एकदम फिट लगने लगता है, इसलिये मेरी इस पर अटूट श्रद्धा कायम है और मै अपने मरीज़ों को भी कहता हूं कि गले तकी छोटी मोटी मौसमी तकलीफ़ों के लिये ये सब देसी जुगाड़ ही असली इलाज हैं (शायद कोई तो मान लेता होगा !!!)
और कईं बार घर में मुलैठी का पावडर डाल कर चाय भी बनती है----वही खराब गले को लाइन पर लाने के लिये। मुझे इतना पता था कि आयुर्वैदिक दवाईयों में भी मुलैठी इस्तेमाल होती है।
मुलैठी कैंडी
लेकिन मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि पश्चिमी देशों में इस के बनी कैंडी आदि भी इतनी पापुलर हैं -- और यह मुलैठी खाने से बुद्धु बच्चे पैदा होने की बात सुन कर ही यह सब जानने की इच्छा हुई।
मुझे लगता है कि यह समस्या दूर-देशों की अपनी ही अनूठी समस्या है जहां पर कैंडी इत्यादि के मुलैठी का इ्स्तेमाल किया जाता है और इन कैंडियों का इतनी ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल होता है । सोच रहा हूं कि इतनी ज़्यादा कैंड़ी खाने से मुलैठी की मात्रा का तो टोटल हो गया, लेकिन जितनी शक्कर आदि शरीर में गई उस का क्या ?
जिस एरिये की महिलायों पर यह स्टडी हुई है मेरे विचार में वहां पर तो गर्भावस्था में इस तरह की इतनी ज़्यादा मुलैठी कैंडी से बच के ही रहा जाए।
लेकिन आप बिल्कुल पहले जैसे मुलैठी चबाते रहिये ----आप बिल्कुल लाइन पर चल रहे हैं-------हमारी समस्या है कि नईं पीढ़ी का इन सब बातों पर विश्वास नहीं है---चलिये, यह स्वयं भुगतेगी।
मुझे पता है कि इस न्यूज़-स्टोरी में आप के साथ कुछ साझा करने जैसा नहीं था, लेकिन इस के बहाने अगर हम लोगों ने मुलैठी जैसे प्रकृति के तोहफ़े को थोड़ा याद कर लिया है, उस के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है ----क्या यह कम है ? वैसे बाज़ार में बिकने वाले खुले मुलैठी पावडर के बारे में आप का क्या विचार है ------ जहां लोग धनिया पावडर में अनाप-शनाप मिलावट करने से गुरेज नहीं करते वहां पर कैसे मिले शुद्ध मुलैठी पावडर !!
ये भी एक जानकारी है. आभार.
जवाब देंहटाएंडा.साहब , बड़े दिन बाद तशरीफ लाये,,,,नए टेम्पलेट के बधाई....
जवाब देंहटाएंमुलेठी पान में डाली जाती थी. कफ से राहत भी दिलाती है. स्वाद भी मजेदार है. वर्षों में एकबार कभी चबाने को मिलती है.
जवाब देंहटाएंअक्कल से इसका सम्बन्ध आज पता चला....
जल्दी ही मुलैठी रहित गला औषधियों का प्रचार आने वाला है।
जवाब देंहटाएंमुलेठी तो क्या किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का कोई गलत प्रभाव नहीं होता। खाँसी होने पर विक्स की गोलियाँ आदि चूसने से तो मुलेठी चूसना अधिक अच्छा और प्रभावशाली है।
जवाब देंहटाएंचोपडा साहब अब तो पेदा भी हो गये ओर बडे भी, लेकिन बुद्धु नही ,,, हम यहां परभी दादी नानी के उपाय ही काम मै लाते है, मुलेठी, अदरक अरे ऎसी चाय तो हम ने इन गोरो को भी सिखा दी यह भी पीने लग गये है, अग्रेजी दवा बहुत कम ही लेते है.
जवाब देंहटाएंयहां केंडी तो मिलती है मुलेठी की, अदरक की लेकिन उस मै यह चीजे नही होती, बस नाम ही होता है, हमारे घर मै तो आप को देसी चीजो का भंडार मिल जायेगा,थोडा थोडा,
धन्यवाद
आयुर्वेद से संबंधित जितनी भी जडी बूटियाँ इत्यादि हैं,सबका कुछ न कुछ साईड इफैक्ट तो होता ही है.....[यदि पश्चिमी देशों की मानें तो:)]
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी है।
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