पिछले कुछ दिनों से लखनऊ में बहुत ज़्यादा गर्मी, चिलकन थी...रात में बरसात हुई इस का पता चला सुबह जब वॉश-बेसन खोला तो ठंडा पानी आया...वरना तो उबलता पानी आता था...यही लगा कि रात में बारिश हुई होगी...बाहर देखा तो पक्का हो गया...बहुत दिनों बाद मौसम खुखगवार हो गया है ...
टी वी लगाया तो मूवीज़ ओ के फकीरा पिक्चर शुरू हुई थी..अभी भी चल रही है ...यह पिक्चर आज से ठीक ४० साल पहले १९७६ में मैंने अमृतसर के एक थियेटर में देखी थी...अपने दीदी और जीजा के साथ...समय भी कैसे उड़ जाता है ..पता ही नहीं चलता...४० साल का समय कितना लंबा होता है ...कल की बात लगती है ...मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता है उन दिनों...
अभी यह गाना चल रहा है ..
हिंदी फिल्मों को देखने का सब से बड़ा फायदा यही होता है कि दिमाग पर ज़ोर देने की ज़रा भी ज़रूरत ही नहीं पड़ती...सब कुछ चुपचाप मानते हुए फिल्म देखेंगे तो कोई भी हिंदी फिल्म अच्छी ही लगेगी..
जैसे कि मैंने भी मान लिया कि समुद्र में गिरने के बाद कोई आदमी योग के बल पर ३० मिनट तक अपनी सांसें रोक कर ज़िंदा रह सकता है ...यही किया था शशि कपूर ने ..डैनी ने शशि कपूर के साथ एक सीमेंट का बोरा बांध कर समुद्र में फैंक दिया..घर जाकर पता चला कि वह तो उस का बचपन का बिछड़ा हुआ भाई था...वापिस भागा उसे समुद्र से निकालने...दोस्त ने बताया कि वह ३० मिनट तक सांसें रोक सकता है, योग करता है ...ठीक ३०वें मिनट पर उसे समुद्र से बाहर निकाल लिया जाता है ...पानी की एक भी बूंद उस के नाक और मुंह से नहीं निकलती....गजब हो गया!😊😊😊😊
चालीस साल पहले फिल्म देखी तो इस तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया...लेिकन अब बाबा राम देव को सुन सुन कर योग कुछ कुछ समझ में आ रहा है ..उस ज़माने में रामदेव होते तो इस ३० मिनट तक सांसे रोके रखने के खेल पर ज़रूर कुछ कहते ...
बहरहाल, मुझे इस फिल्म का यह गीत अभी भी सुनना अच्छा लगता है ...
टी वी लगाया तो मूवीज़ ओ के फकीरा पिक्चर शुरू हुई थी..अभी भी चल रही है ...यह पिक्चर आज से ठीक ४० साल पहले १९७६ में मैंने अमृतसर के एक थियेटर में देखी थी...अपने दीदी और जीजा के साथ...समय भी कैसे उड़ जाता है ..पता ही नहीं चलता...४० साल का समय कितना लंबा होता है ...कल की बात लगती है ...मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता है उन दिनों...
अभी यह गाना चल रहा है ..
हिंदी फिल्मों को देखने का सब से बड़ा फायदा यही होता है कि दिमाग पर ज़ोर देने की ज़रा भी ज़रूरत ही नहीं पड़ती...सब कुछ चुपचाप मानते हुए फिल्म देखेंगे तो कोई भी हिंदी फिल्म अच्छी ही लगेगी..
जैसे कि मैंने भी मान लिया कि समुद्र में गिरने के बाद कोई आदमी योग के बल पर ३० मिनट तक अपनी सांसें रोक कर ज़िंदा रह सकता है ...यही किया था शशि कपूर ने ..डैनी ने शशि कपूर के साथ एक सीमेंट का बोरा बांध कर समुद्र में फैंक दिया..घर जाकर पता चला कि वह तो उस का बचपन का बिछड़ा हुआ भाई था...वापिस भागा उसे समुद्र से निकालने...दोस्त ने बताया कि वह ३० मिनट तक सांसें रोक सकता है, योग करता है ...ठीक ३०वें मिनट पर उसे समुद्र से बाहर निकाल लिया जाता है ...पानी की एक भी बूंद उस के नाक और मुंह से नहीं निकलती....गजब हो गया!😊😊😊😊
चालीस साल पहले फिल्म देखी तो इस तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया...लेिकन अब बाबा राम देव को सुन सुन कर योग कुछ कुछ समझ में आ रहा है ..उस ज़माने में रामदेव होते तो इस ३० मिनट तक सांसे रोके रखने के खेल पर ज़रूर कुछ कहते ...
बहरहाल, मुझे इस फिल्म का यह गीत अभी भी सुनना अच्छा लगता है ...
अभी यह कव्वाली शुरू हुई है....इसे मैने वर्षों से नहीं सुना...याद नहीं आ रहा था ...अच्छा, हम तो झुक कर सलाम करते हैं ...आप भी सुनिए...another master piece! अभी मदन पुरी की टाई देख कर यही ध्यान आया कि ये कमबख्त विलेन भी इतने घिनौने काम भी कितने कायदे से करते थे...एक तो मुझे विलेन की टाई और दूसरा किसी शादी ब्याह में दूल्हे के रिश्तेदारों द्वारा पहनी टाईयां (कुछ ने तो पहली बार उसी दिन पहनी होती है) बहुत अजीब लगती हैं...विशेषकर जब वे दारू से टुन्न हो कर स्टेज़ पर नर्तकियों के साथ बेहूदा ठुमके लगा लगा के वहीं लुढ़के पड़े होते हैं...