डा आनंद, महान चिकित्सक |
आप सोच रहे होंगे, आज सुबह सुबह डा आनंद का कैसे ध्यान आ गया। तो होता यूं है कि आज कल हम देखते हैं कि मां-बाप बच्चों की बिल्कुल छोटी छोटी तकलीफ़ों के लिए बड़े से बड़े ऐंटीबॉयोटिक शुरू कर देते हैं, छोटी मोटी तकलीफ़ों के लिए बड़े से बड़े व्यस्त विशेषज्ञ के पास पहुंच जाते हैं.......ऐसा नहीं है कि डाक्टर के पास जाने में कोई बुराई है, ठीक है, लेकिन अगर बिल्कुल बेसिक सी बातें पता हों तो बहुत बार ऐसे मां-बाप बिना वजह के पैनिक से बच सकते हैं।
हमारे छोटे बेटे का जन्म बंबई में ही हुआ था..१९९७ में और हम उसे सामान्य चैक अप के लिए उन के यहां ही लेकर जाते थे। हर बच्चे और उस के मां बाप को वे पूरा समय देते थे, कोई जल्दी नहीं, हर बात को अच्छे से समझाना, माताओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करते रहना, किसी के भी मन में कैसे कोई डाउट रह जाए, सब से दिल से बात करना यह इस महान डाक्टर की फितरत है, वरना डाक्टर तो सब अच्छे ही होते हैं, सेवा कर रहे होते हैं, लेकिन कईं बार मैंने नोटिस किया है कि कुछ महान डाक्टरों में थोड़ा अहम् सा आ जाता है, जो इन में मैंने लेशमात्र भी न पाया। एकदम विनम्र शख्शियत.... यह भी और इन की पत्नी भी जो इन के क्लिनिक में इन के साथ रहती हैं।
हां, तो मैं बताना चाहता था कि छोटे बच्चों वाले घर में एक किताब तो ज़रूर ही होनी चाहिए और वह ही डा आनंद के द्वारा लिखी गई...... गाइड टू चाइल्ड केयर। मुझे याद है शायद १९९७ के दिन रहे होंगे, बंबई के हाजीअली एरिया में एक किताबों की मशहूर दुकान है, क्रॉसवर्ड, वहां पर इन की इस किताब का लोकार्पण हुआ था.......लोकार्पण ही बोलते हैं ना, जब तालियों की गड़गड़ाहट के बीच नईं किताब को बड़े बड़े लोग चमकीले कागज से बाहर निकाल कर फोटू खिंचवाते हैं। इन के निमंत्रण पर मैंने और मेरी श्रीमति जी ने भी वह कार्यक्रम अटैंड किया था। उन के दस्तखत की हुई किताब के पन्नों को अभी भी हम लोग यदा-कदा उटलते-पटलते रहते हैं।
किताब क्या है, मैं नहीं सोचता कि इतनी ईमानदारी और दिल से लिखी किताब मैंने किसी डाक्टर के द्वारा लिखी कभी पढ़ी है। एकदम परफैक्ट.......बच्चों के बारे में सब बातें उन्होंने बिल्कुल आम भाषा में उन्होंने ब्यां कर दी हैं। बच्चों की तरूणावस्था तक के मुद्दे उस में हैं। बच्चों की सभी छोटी मोटी तकलीफ़ों का उस में बहुत सुंदर वर्णन है। मैं ऐसा समझता हूं कि इसे बच्चों वाले हर घर में होना चाहिए।
एक उदाहरण है कि छोटे बच्चों का नाक बंद, सांस लेने में दिक्कत आ रही है, ऐसे में कैसे उस के नाक में घर तैयार की गई सेलाइन नेज़ल ड्राप्स डाल कर आप तुरंत उस की हेल्प कर सकते हैं।
आज पहली बार इस किताब की उस तरह की प्रशंसा करने की इच्छा हो रही है जिस तरह की तारीफ़ स्टेट रोड़वेज़ की बस में दस रूपये में पांच किताबें बेचने वाला लड़का हमें किताबें लेने पर विवश सा कर देता है, हम वे खरीद तो लेते हैं ..फिर सोचते हैं कि इन्हें देंगे किसे किसे। लेिकन यह डा आनंद की किताब तो एक बेशकीमती उपहार भी है मेरे विचार में किसी भी छोटे शिशु और उसके मां बाप के लिए।
टीकों के बारे में कितने प्रश्न रहते हैं, मां बाप के मन में, टीका लगवाने के बारे कईं बार बच्चों को छोटी मोटी तकलीफ़े एक दो दिन रहती है, सब के बारे में आश्वस्त किया गया है इस किताब के बारे में। आज कल नये नये महंगे टीके भी आ गये हैं, इन सब के बारे में यह किताब आप को अच्छे से समझा देती है।
मुझे अभी अभी याद आ रहा था, आज से लगभग १५-१६ वर्ष पहले की बात थी, हमारा छोटा बेटा स्तनपान करता था उन दिनों, मेरे श्रीमति जी को चिकन-पॉक्स हो गया। डा आनंद को फोन किया ...मिला नहीं, तुरंत इन की किताब उठाई इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए कि क्या इस अवस्था में मां स्तनपान करवा सकती है। तुरंत जवाब भी मिल गया..कि बिना किसी परेशानी के मां चिकन-पॉक्स होते हुए भी शिशु को स्तनपान करवा सकती है, ऐसा करना शिशु के हित ही में है क्योंकि इस से उस में भी चिकन-पॉक्स के लिए रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्यूनिटि) का विकास होता है।
अब ऐसे मैं डा अानंद की और उन की किताब की कितनी भी प्रशंसा किए जाऊं, आप को तभी पता चलेगा जब आप उन की किताब को देखेंगे।
इस लिंक पर जा कर आप उस किताब के बारे में और भी जानकारी पा सकते हैं..... गाइड टू चाइल्ड केयर
मुझे भी अभी अभी पता चला है कि अब यह किताब हिंदी में भी उपलब्ध हो चुकी है, बहुत ही अच्छा लगा यह देख कर।
मेरे विचार में बहुत हो गया आज के दिन के लिए। और कितनी तारीफ़ करूं, आप स्वयं उन के बारे में जानिए और उन के बेशकीमती अनुभव से लाभ उठाईए।
Guide to Child Care --Dr Anand