मैं आज सुबह एक न्यूज़-रिपोर्ट पढ़ रहा था कि 14 से 49 वर्ष के आयुवर्ग अमेरिकी लोगों का लगभग 16 प्रतिशत भाग जैनिटल हरपीज़ (genital herpes) से ग्रस्त हैं।
यौन संबंध के द्वारा फैलने वाला एक ऐसा रोग है जो हरपीज़ सिम्पलैक्स वॉयरस (herpes simplex virus) टाइप1 (HSV-1) अथवा टाइप2 (HSV-2). अधिकतर जैनिटल हरपीज़ के केस टाइप2 हरपीज़ सिम्पलैक्स वॉयरस के द्वारा होते हैं। HSV-1 द्वारा भी जैनिटल हरपीज़ हो तो सकता है लेकिन ज़्यादातर यह मुंह, होठों की ही इंफैक्शन करती है जिन्हें ("फीवर ब्लिस्टर्ज़) कह दिया जाता है---अकसर लोगों में बुखार आदि होने पर या किसी भी तरह की शारीरिक अस्वस्थता के दौरान होठों आदि पर एक-दो छाले से निकल आते हैं जिन्हें अकसर लोग कहते हैं ---"यह तो बुखार फूटा है!"
ध्यान देने योग्य बात यह है कि अधिकांश लोगों में हरपीज़ इंफैक्शन से कोई लक्षण पैदा ही नहीं होते। लेकिन जब कभी इस के लक्षण पैदा होते हैं, तो शुरू में यौन-अंगों के ऊपर अथवा आसपास या गुदा मार्ग में (they usually appear as 1 or more blisters on or around the genitals or rectum) एक अथवा ज़्यादा छाले से हो जाते हैं। इन छालों के फूटने से दर्दनाक घाव हो जाते हैं जिन्हें ठीक होने में चार हफ्ते तक का समय लग सकता है। एक बार ठीक होने के बाद कुछ हफ्तों अथवा महीनों के बाद ये छाले फिर से हो सकते हैं, लेकिन ये पहले वाले छालों/ ज़ख्मों से कम उग्र रूप में होते हैं और कम समय में ही ठीक हो जाते हैं।
एक बार संक्रमण (इंफैक्शन) होने के बाद ज़िंदगी भर के लिये यह शरीर में रहती तो है लेकिन समय बीतने के साथ साथ इस से होने वाले छालों/घावों की उग्रता में कमी आ जाती है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जिस समय किसी व्यक्ति को स्वयं तो इस के कोई भी लक्षण नहीं हैं, उस हालात में भी उस के द्वारा यह इंफैक्शन आगे फैलाई जा सकती है।
क्या जैनीटल हरपीज़ एक आम समस्या है ? --- जी हां, यह समस्या आम है। हमारे देश के तो आंकड़े मुझे पता नहीं ---वैसे भी हम लोग कहां ये सब बातें किसी से शेयर करते हैं, स्वयं ही सरसों का तेल लगा कर समझ लेते हैं कि किसी कीड़े ने काट लिया होगा, अपने आप ठीक हो जायेगी।
अमेरिकी आंकड़े हैं --- अमेरिका के 12 साल एवं उस के ऊपर के साढ़े चार करोड़ लोग जैनीटल हरपीज़ से ग्रस्त हैं। जैनीटल HSV2 पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है---चार में से एक महिला को और आठ में से एक पुरूष को यह तकलीफ़ है। इस के पीछे कारण यह भी है कि महिलाओं को जैनीटल हरपीज़ एवं अन्य यौन-संबंधों से होने वाले इंफैक्शन (sexually transmitted infections -- STIs) आसानी से अपनी पकड़ में ले लेते हैं।
यह हरपीज़ फैलती कैसे है ? ---किसी जैनीटल हरपीज़ से संक्रमित व्यक्ति के यौन-अंगों एवं गैर-संक्रमित व्यक्ति के यौन-अंगों के संपर्क में आने से, अथवा संक्रमित व्यक्ति के यौन-अंगों के साथ किसी का मुंह संपर्क में आए ....(one can get genital herpes through genital-genital contact or genital-oral contact with someone who has herpes infection). लेकिन अगर चमड़ी में किसी तरह का घाव नहीं है तो भी यह इंफैक्शन हो सकती है और यह भी ज़रूरी नहीं कि संक्रमित व्यक्ति से केवल संभोग द्वारा ही यह फैलती है।
हरपीज़ के लक्षण --- ये लक्षण विभिन्न लोगों में अलग अलग हो सकते हैं। जैनीटल हरपीज़ से ग्रस्त बहुत से लोगों को तो इस बात का आभास भी नहीं होता कि वे इस रोग से ग्रस्त हैं।
किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन-संबंध बनाने के लगभग दो सप्ताह के भीतर इस के लक्षण आने लगते हैं जो कि अगले दो-तीन हफ्तों तक परेशान कर सकते हैं। शुरूआती दौर में इसके ये लक्षण होते हैं ...
----यौन-अंगों पर अथवा गुदा द्वार पर खुजली एवं जलन का होना।
----फ्लू जैसे लक्षण ( बुखार सहित)
----- ग्रंथियों का सूज जाना ( swollen glands)
-----टांगों, नितंबों एवं यौन-अंगों के एरिया में दर्द होना
---- योनि से डिस्चार्ज होना (vaginal discharge)
---- पेट के नीचे वाली जगह पर दवाब जैसा बने रहना
कुछ ही दिनों में उन जगहों पर छाले दिखने लगते हैं जिन स्थानों से वॉयरस ने शरीर में प्रवेश किया था ---जैसे कि मुंह, लिंग (शिश्न,penis) अथवा योनि(vagina). और ये छाले तो महिलाओं की बच्चेदानी (cervix) एवं पुरूषों के मू्त्र-मार्ग (urinary passage) को भी अपनी चपेट में ले सकते हैं। ये लाल रंग के छाले शुरू में तो बि्ल्कुल छोटे छोटे होते हैं जो कि फूट कर घाव का रूप ले लेते हैं। कुछ ही दिनों में इन घावों पर एक क्रस्ट सी बन जाती है और यह बिना किसी तरह का निशान छोडे़ ठीक हो जाते हैं। कुछ केसों में, जल्द ही फ्लू जैसे लक्षण और ये घाव फिर से होने लगते हैं।
होता यह है कि कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते। और वैसे भी छोटे मोटे घाव को वे किसी कीड़े का काटा समझ कर या फिर यूं ही समझ कर अनदेखा सा कर देते हैं। लेकिन सब से अहम् बात यह भी है कि बिना किसी तरह के लक्षण के भी संक्रमित व्यक्ति द्वारा दूसरों तक फैलाया जा सकता है। इसलिये, अगर किसी व्यक्ति में हरपीज़ के लक्षण हैं तो उसे अपने चिकित्स्क से मिल कर यह पता करना चाहिये कि क्या वह इंफैक्टेड है ?
यौन संबंध के द्वारा फैलने वाला एक ऐसा रोग है जो हरपीज़ सिम्पलैक्स वॉयरस (herpes simplex virus) टाइप1 (HSV-1) अथवा टाइप2 (HSV-2). अधिकतर जैनिटल हरपीज़ के केस टाइप2 हरपीज़ सिम्पलैक्स वॉयरस के द्वारा होते हैं। HSV-1 द्वारा भी जैनिटल हरपीज़ हो तो सकता है लेकिन ज़्यादातर यह मुंह, होठों की ही इंफैक्शन करती है जिन्हें ("फीवर ब्लिस्टर्ज़) कह दिया जाता है---अकसर लोगों में बुखार आदि होने पर या किसी भी तरह की शारीरिक अस्वस्थता के दौरान होठों आदि पर एक-दो छाले से निकल आते हैं जिन्हें अकसर लोग कहते हैं ---"यह तो बुखार फूटा है!"
ध्यान देने योग्य बात यह है कि अधिकांश लोगों में हरपीज़ इंफैक्शन से कोई लक्षण पैदा ही नहीं होते। लेकिन जब कभी इस के लक्षण पैदा होते हैं, तो शुरू में यौन-अंगों के ऊपर अथवा आसपास या गुदा मार्ग में (they usually appear as 1 or more blisters on or around the genitals or rectum) एक अथवा ज़्यादा छाले से हो जाते हैं। इन छालों के फूटने से दर्दनाक घाव हो जाते हैं जिन्हें ठीक होने में चार हफ्ते तक का समय लग सकता है। एक बार ठीक होने के बाद कुछ हफ्तों अथवा महीनों के बाद ये छाले फिर से हो सकते हैं, लेकिन ये पहले वाले छालों/ ज़ख्मों से कम उग्र रूप में होते हैं और कम समय में ही ठीक हो जाते हैं।
एक बार संक्रमण (इंफैक्शन) होने के बाद ज़िंदगी भर के लिये यह शरीर में रहती तो है लेकिन समय बीतने के साथ साथ इस से होने वाले छालों/घावों की उग्रता में कमी आ जाती है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जिस समय किसी व्यक्ति को स्वयं तो इस के कोई भी लक्षण नहीं हैं, उस हालात में भी उस के द्वारा यह इंफैक्शन आगे फैलाई जा सकती है।
क्या जैनीटल हरपीज़ एक आम समस्या है ? --- जी हां, यह समस्या आम है। हमारे देश के तो आंकड़े मुझे पता नहीं ---वैसे भी हम लोग कहां ये सब बातें किसी से शेयर करते हैं, स्वयं ही सरसों का तेल लगा कर समझ लेते हैं कि किसी कीड़े ने काट लिया होगा, अपने आप ठीक हो जायेगी।
अमेरिकी आंकड़े हैं --- अमेरिका के 12 साल एवं उस के ऊपर के साढ़े चार करोड़ लोग जैनीटल हरपीज़ से ग्रस्त हैं। जैनीटल HSV2 पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है---चार में से एक महिला को और आठ में से एक पुरूष को यह तकलीफ़ है। इस के पीछे कारण यह भी है कि महिलाओं को जैनीटल हरपीज़ एवं अन्य यौन-संबंधों से होने वाले इंफैक्शन (sexually transmitted infections -- STIs) आसानी से अपनी पकड़ में ले लेते हैं।
यह हरपीज़ फैलती कैसे है ? ---किसी जैनीटल हरपीज़ से संक्रमित व्यक्ति के यौन-अंगों एवं गैर-संक्रमित व्यक्ति के यौन-अंगों के संपर्क में आने से, अथवा संक्रमित व्यक्ति के यौन-अंगों के साथ किसी का मुंह संपर्क में आए ....(one can get genital herpes through genital-genital contact or genital-oral contact with someone who has herpes infection). लेकिन अगर चमड़ी में किसी तरह का घाव नहीं है तो भी यह इंफैक्शन हो सकती है और यह भी ज़रूरी नहीं कि संक्रमित व्यक्ति से केवल संभोग द्वारा ही यह फैलती है।
हरपीज़ के लक्षण --- ये लक्षण विभिन्न लोगों में अलग अलग हो सकते हैं। जैनीटल हरपीज़ से ग्रस्त बहुत से लोगों को तो इस बात का आभास भी नहीं होता कि वे इस रोग से ग्रस्त हैं।
किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन-संबंध बनाने के लगभग दो सप्ताह के भीतर इस के लक्षण आने लगते हैं जो कि अगले दो-तीन हफ्तों तक परेशान कर सकते हैं। शुरूआती दौर में इसके ये लक्षण होते हैं ...
----यौन-अंगों पर अथवा गुदा द्वार पर खुजली एवं जलन का होना।
----फ्लू जैसे लक्षण ( बुखार सहित)
----- ग्रंथियों का सूज जाना ( swollen glands)
-----टांगों, नितंबों एवं यौन-अंगों के एरिया में दर्द होना
---- योनि से डिस्चार्ज होना (vaginal discharge)
---- पेट के नीचे वाली जगह पर दवाब जैसा बने रहना
कुछ ही दिनों में उन जगहों पर छाले दिखने लगते हैं जिन स्थानों से वॉयरस ने शरीर में प्रवेश किया था ---जैसे कि मुंह, लिंग (शिश्न,penis) अथवा योनि(vagina). और ये छाले तो महिलाओं की बच्चेदानी (cervix) एवं पुरूषों के मू्त्र-मार्ग (urinary passage) को भी अपनी चपेट में ले सकते हैं। ये लाल रंग के छाले शुरू में तो बि्ल्कुल छोटे छोटे होते हैं जो कि फूट कर घाव का रूप ले लेते हैं। कुछ ही दिनों में इन घावों पर एक क्रस्ट सी बन जाती है और यह बिना किसी तरह का निशान छोडे़ ठीक हो जाते हैं। कुछ केसों में, जल्द ही फ्लू जैसे लक्षण और ये घाव फिर से होने लगते हैं।
होता यह है कि कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते। और वैसे भी छोटे मोटे घाव को वे किसी कीड़े का काटा समझ कर या फिर यूं ही समझ कर अनदेखा सा कर देते हैं। लेकिन सब से अहम् बात यह भी है कि बिना किसी तरह के लक्षण के भी संक्रमित व्यक्ति द्वारा दूसरों तक फैलाया जा सकता है। इसलिये, अगर किसी व्यक्ति में हरपीज़ के लक्षण हैं तो उसे अपने चिकित्स्क से मिल कर यह पता करना चाहिये कि क्या वह इंफैक्टेड है ?