सोमवार, 7 जनवरी 2008

इन ट्रांस्फैटस से बच कर रहने में ही है समझदारी !!

समोसे, जलेबीया, अमरतियां, गर्मागर्म पकोड़े( भजिया), वड़ा-पाव वाले वड़े, आलू की टिक्कीयां,पूरी छोले, चने-भटूरे,नूडल्स........दोस्तों, लिस्ट बहुत लंबी है, कहीं पढ़ कर हमारे मुंह में इतना पानी भी न आ जाए कि अंतरजाल में बाढ़ ही आ जाए....वैसे भी लगता है कि इतनी मेहनत क्यों करें.....सीधी बात करते हैं कि हमारे यहां ये जो भी फ्राइड वस्तुएं बिकती हैं न, ये ट्रांसफैट्स से लैस होती हैं। वैसे मेरी तरह से आप को भी क्या नहीं लगता कि भई ये सब तो हम बरसों से अच्छी तरह खाते आ रहे हैं, इस के बारे में पता नहीं अब मीडिया को इतना ज्यादा लिखने की क्या सूझी है। जी हां, जब बीस-तीस साल की आयु में लोग दिल के रोगों के शिकार हो रहे हैं, मोटापा बेलगाम बढ़े जा रहा है, जिस की वजह से छोटी उम्र में ही लोग डायबिटिज़ जैसी बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं, तो मीडिया कैसे हाथ पर हाथ रख कर बैठा रहे !!---- दोस्तो, इन ट्रांसफैट्स की वजह से हमारे शरीर में लो-डैंसिटि लाइपोप्रोटीन अथवा बुरे कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है, जिस के कारण यह हमारी रक्त की नाड़ियों में जमने लगता है और दिल की बीमारियों को खुला निमंत्रण दे देता है।
Transfats could raise levels of low -density lipoproteins or Bad cholesterol in the body and lead to clogged arteries or heart disease.

दोस्तो, कैनेडा का पश्चिमी शहर कैलगैरी कैनेडा का पहला शहर बन गया है जिस ने होटलों, रेस्तराओं में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में ट्रांसफैट्स की मात्रा से संबंधित कड़े नियम बना दिए हैं और खाने में उपयोग होने वाले तेल में ट्रांसफैटस की मात्रा दो फीसदी से कम होने के नियम बना दिए हैं। उन्होंने तो साफ कह दिया है कि या तो अपने यहां इस्तेमाल होने वाले तेल बदल लो, नहीं तो फलां-फलां ताऱीख के बाद इन आदेशों की अवज्ञा करने वाले होटलों पर ताला लटका दिया जाएगा।
हमारे यहां तो बस नालेज अध-कचरी होने की वजह से लोगों को घुमा कर रखना कोई मुश्किल काम नहीं है----Thanks to the over-zealous advertising of these products.....और एक और फैशन सा चल पड़ा है, कुछ दिन पहले मैं चिप्स वगैरह के पैकेट पर यह भी बड़ा-बड़ा लिखा पढ़ रहा था.....contains NO Transfats!!.....यह सब ग्राहक को खुश करने के तरीके नहीं हैं तो और क्या हैं, इससे क्या ये पैकेट्स नुकसानदायक से स्वास्थ्यवर्धक बन जाएंगे....बिल्कुल नहीं। ये तो जंक फूड हैं और जंक ही रहेंगे----चाहे ट्रांसफैट्स जीरो हों या कुछ हो।


दोस्तो, अब हमारे यहां कि शिचुएशन देखिए--- कभी आप इन पकोड़े बनाने वालों, जलेबीयां बनाने वालों की कढ़ाही में सुबह से उबल रहे तेल की तरफ देखिए-----दोस्तो, ऐसा तेल हमारी सेहत को पूरी तरह बर्बाद करने में पूरा योगदान देता है......ट्रांसफैट्स की मात्रा के बारे में तो आप पूछो ही नहीं, उस के ऊपर तो यह रोना भी है कि उस तेल की क्वालिटी क्या है, उस में पता नहीं कौन कौन सी मिलावटें हुई हुईं हैं.........दोस्तो, हमारे यहां कि समस्याएं निःसंदेह बेहद जटिल हैं, क्या हम ऐसे किसी कानून की उम्मीद कर सकते हैं जो इन हलवाईयों, रेहड़ी वालों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तेल की क्वालिटी को नियंत्रित कर सके----------मुझे तो कोई उम्मीद लगती नहीं ,, बस दोस्तो उम्मीद है तो आप ही से --क्योंकि अगर हम so-called intellactuals किसी बात से कन्विंस हो जाते हैं और पहले हम स्वयं इन नुकसानदायक खाध्य पदार्थों से परहेज़ करने लगेंगे तो हम आस पास के लोगों को भी कंविंस कर पाएंगे। दोस्तो, समय वह आ गया कि हमें बाज़ार के तेलों से बनी इन वस्तुओं से दूरी बना कर के रखनी चाहिए...............हां, तीज-त्योहारों पर इस कसम को कभी कभी तोड़ने के बारे में आप क्या सोच रहे हैं ??-----Oh,sorry, यह भी मैं क्या लिख गया ----इन तीज-त्योहारों की जगह आप दीवाली-दशहरा सी पढ़े क्योंकि अगर हम तीज-त्योहारों की बात करेंगे तो भी मैं और आप आए दिन समोसे, टिक्के के डोने हाथ में लिए रखेंगे क्यों कि हमारा देश तो वैसे ही तीज-त्योहारों का देश है-----यहां तो हर रोज कोई न कोई पर्व होता है...........हर दिन दीवाली है ।