अकसर अब हम लगभग सभी शहरों में कैमिस्टों की दुकानों पर इस तरह की जांच होने के बोर्ड देखने लगे हैं कि रक्त में शूगर की जांच २० रूपये में और ब्लड-प्रैशर की जांच १० रूपये में। यह जो १०-२० रूपये में जांचें वांचें होने लगी हैं, ठीक है, एक-दो रूपये में सड़क पर चलते हुए अपना वज़न देख लिया, और ज़रूरत पड़ने पर अपनी ब्लड-प्रेशर भी मपवा लिया.....कोई विशेष बात नहीं लगती, लेकिन है। और जहां तक यह २० रूपये में कैमिस्ट की दुकान से अपना ब्लड-प्रैशर मपवाने की बात है, यह मुझे ठीक नहीं लगती, क्योंकि इस के लिए मुझे नहीं पता कि ये लोग ज़रूरी सावधानियां बरतते भी होंगे कि नहीं!
मैंने यह भी देखा है कि जिन घरों में भी यह घर में ही ब्लड-शूगर की जांच करने वाली मशीनें होती हैं, उस घर में दूसरे सदस्यों, रिश्तेदारों, मेहमानों और पड़ोसियों को भी अपनी शूगर की जांच के लिए एक उत्सुकता सी बनी रहती है। लेकिन मेरे विचार में यह सब करना बीमारी को बुलावा देने जैसा है।
मैं कईं बार लोगों से पूछा है कि आप जिस मशीन से इतने सारे लोग यह जांच करते हो, क्या उस लेंसेट (जिस से अंगुली से ब्लड निकाला जाता है) को बदलते हो, तो मुझे कभी संतोषजनक जवाब मिला नहीं। हर बार यही बात सुनने को मिलता है कि स्पिरिट से पोंछ लेते हैं। नहीं, ऐसा करना बिल्कुल गलत है।
इस तरह की मशीनों के पेम्फलेट पर भी लिखा रहता है कि यह जो इस में लेंसेट है, यह केवल एक ही व्यक्ति के ऊपर इस्तेमाल करने के लिए है।
जो बात मैं कहना चाहता हूं वह केवल इतनी सी है कि जिस भी चीज़ से --लेंसेट आदि से-- अंगुली से रक्त निकाला जाता है, उसे आज के दौर में एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही स्पिरिट से पोंछ कर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। किया पहले भी नहीं जाना चाहिए था, आज से ३०-४० वर्ष पहले भी ..लेकिन तब कुछ बीमारियों के बारे में हैपेटाइटिस बी, सी और एचआईव्ही संक्रमण जैसे रोग के बारे में जागरूकता ही कहां थी, इसलिए सब कुछ भगवान भरोसे ही चलता रहा।
मुझे याद है बचपन में एक टैस्ट तो हम लोगों को बार बार लगभग हर साल करवाना ही पड़ता था , मलेरिया की जांच के लिए पैरीफ्रल ब्लड फिल्म...इस के लिए लैब वाला अंकल हमारी अंगुली से रक्त निकालने के लिए कुछ चुभो देता और सभी मरीज़ों पर उसी को स्पिरिट से पोंछ पोंछ कर इस्तेमाल किया करता। निःसंदेह एक खतरनाक प्रैक्टिस।
हां तो मैं बाज़ार में होने वाली कैमिस्ट की दुकान पर ब्लड-शूगर की जांच की बात कर रहा था, मुझे नहीं पता कि ये लोग हर केस में नईं लेंसेट इस्तेमाल करते होंगे या नहीं।
आज मुझे पता चला कि ये जो कंपनियां इस तरह की मशीनें बना रही हैं वे अलग से इस तरह के लेंसेट भी बेचती हैं लेकिन ये थोड़े महंगे ही दिख रहे थे जब मैंने नेट पर चैक किया। ऐसे में क्या आप को लगता है कि बाज़ार में २० रूपये में होने वाली जांच के लिे हर मरीज़ के लिए नया डिस्पोज़ेबल लेसेंट इस्तेमाल किया जाता होगा। आप इस के बारे में अवश्य सोचिए और उसी के आधार प ही इस तरह की जांच के लिए निर्णय लें और अपने से कम पढ़े-लिखों तक भी यह बात पहुंचाएं।
बात जितनी छोटी दिखती है उतनी है नहीं .. इस तरह का सस्ता टैस्ट बाज़ार में करवाना और जिस के लिए लेंसेट नया नहीं है, बिल्कुल वैसा ही हो गया जैसे कि कोई किसी दूषित या किसी दूसरे पर इस्तेमाल की गई सिरिंज से टीका लगवा ले। जहां पर एक दूसरे पर इस्तेमाल किए जाने वाले लेंसेंट या सिरिंज से बीमारी फैलने की बात है, इस में ज्यादा अंतर नहीं है, यह जानना बहुत ज़रूरी है।
वो फिल्मों की बात अलग है कि अमर अकबर एंथोनी में अकबर का खून निकल रहा है और सामने ही दूसरे किरदार को चढ़ाया जा रहा है, कोई बीमारी फैलने के लिए बिना टैस्ट किये हुए रक्त की जांच ही नहीं, रक्त की एक बूंद का उतना छोटे से छोटा अंश (देखना तो दूर, जिस की आप कल्पना भी नहीं कर सकते ) भी भयानक संक्रमण फैला सकता है।
ऐसा नहीं है कि लेंसेट बाज़ार में सस्ते नहीं मिलते ... मिलते हैं, मैंने कईं अस्पतालों मेंंदेखा है कि जिन रक्त की जांच के लिए उन्हें अंगुली को थोड़ी सूईं चुभो कर रक्त निकालना होता है, वे लोग यह काम एक कागज़ में मिलने वाली डिस्पोज़ेबल लेंसेट से करते हैं और फिर उस को नष्ट कर देते हैं। होना भी यही चाहिए, वरना तो खतरा बना ही रहता है।
मैं सोच रहा था कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जिन लोगों को बाज़ार से बार बार रक्त की इस तरह की जांच करवानी पड़ती है, वे लोग कुछ डिस्पोज़ेबल लेंसेट खरीद लें ...और अगर टैस्ट के समय देखें कि वहां पर इस तरह के उपलब्ध नहीं हैं तो अपना लेंसेट ही इस्तेमाल किए जाने का अनुरोध करें।
मामला इतना आसान है नहीं , यह काम हम डाक्टर लोग किसी लैब में जाकर नहीं कर पाते, ऐसे में आप कैसे कर पाएंगे यह आपने देखना है, क्योंकि यह आप की सेहत का मुद्दा है, किसी भी दूषित उपकरण के चुभने से आप की सेहत खतरे में पड़ सकती है।
इतना पैनिकि होने की बात भी नहीं है, बस बात तो है केवल सचेत करने के लिए।
ध्यान आ रहा है कि पिछले सरकार के कुछ दावे अखबारों में खूब छपा करते थे ..कि अब शूगर की जांच के लिए स्ट्रिप्ज़ २-२ रूपये में बिकने लगेंगी.......कहां गई ऐसी स्ट्रिप्ज़ जो आने वाली थीं।
अपनी सेहत के बारे में स्वयं भी सगज रहिए. और औरों को भी करते रहिए।
जाते जाते ध्यान यह भी आ रहा है कि क्या ये कैमिस्ट की दुकानों वाले इस तरह की रक्त की जांचें करने के लिए अधिकृत भी हैं या बस धक्कमपेल किए जा रहे हैं। विचारों का क्या है, कुछ भी मन में आ सकता है......पिछले दिनों आपने देखा कि एम्स जैसी संस्था के डाक्टरों ने अखबारों में लिखा था कि चिकित्सा व्यवसाय में कैसे कैसे गोरखधंधे चल रहे हैं...... जब मैडीकल प्रैक्टीशनर किसी के साथ सांठ-गांठ कर लेते हैं, इसलिए मुझे तो यह भी लगता है कि हो न हो, कहीं कुछ कैमिस्ट की दुकानों पर होने वाले टैस्ट भी ये दवाईयां बनाने वाले कंपनियों के सांठ-गांठ का ही तो नतीज़ा नहीं है... चलते फिरते राहगीर का खड़े खड़े ब्लड-प्रैशर मापो, ब्लड-शूगर की जांच करो और जब रिपोर्ट देख कर वह डरा हुआ इलाज के बारे में पूछे तो उसे उन्हीं कंपनियों की दवाईयां थमा दो...बस, इस चक्कर में चिकित्सक बाहर हो गया, कितने लोग तो वैसे ही इसी तरह से दवाई लेकर खाना शुरू कर देते हैं।
इन मसलों पर जागरूक किये जाने की बहुत ज़रूरत है........लेकिन अकसर मीडिया को आइटम नंबर की राजनीति और किस हीरो को किस हीरोइन के साथ किस देश के किस होटल में एक साथ देखा गया, मीडिया को ये सब चटखारे लेने से फुर्सत मिले तो ऐसी जनोपयोगी बातों को उठाने की बारी आए।
बीच साइड हैल्थ चैक अप स्टाल
शूगर की जांच हो जायेगी बहुत सस्ती
एक आवश्यक सूचना..
रक्त की जांच के समय ध्यान रखिए..
मैंने यह भी देखा है कि जिन घरों में भी यह घर में ही ब्लड-शूगर की जांच करने वाली मशीनें होती हैं, उस घर में दूसरे सदस्यों, रिश्तेदारों, मेहमानों और पड़ोसियों को भी अपनी शूगर की जांच के लिए एक उत्सुकता सी बनी रहती है। लेकिन मेरे विचार में यह सब करना बीमारी को बुलावा देने जैसा है।
मैं कईं बार लोगों से पूछा है कि आप जिस मशीन से इतने सारे लोग यह जांच करते हो, क्या उस लेंसेट (जिस से अंगुली से ब्लड निकाला जाता है) को बदलते हो, तो मुझे कभी संतोषजनक जवाब मिला नहीं। हर बार यही बात सुनने को मिलता है कि स्पिरिट से पोंछ लेते हैं। नहीं, ऐसा करना बिल्कुल गलत है।
इस तरह की मशीनों के पेम्फलेट पर भी लिखा रहता है कि यह जो इस में लेंसेट है, यह केवल एक ही व्यक्ति के ऊपर इस्तेमाल करने के लिए है।
जो बात मैं कहना चाहता हूं वह केवल इतनी सी है कि जिस भी चीज़ से --लेंसेट आदि से-- अंगुली से रक्त निकाला जाता है, उसे आज के दौर में एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही स्पिरिट से पोंछ कर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। किया पहले भी नहीं जाना चाहिए था, आज से ३०-४० वर्ष पहले भी ..लेकिन तब कुछ बीमारियों के बारे में हैपेटाइटिस बी, सी और एचआईव्ही संक्रमण जैसे रोग के बारे में जागरूकता ही कहां थी, इसलिए सब कुछ भगवान भरोसे ही चलता रहा।
मुझे याद है बचपन में एक टैस्ट तो हम लोगों को बार बार लगभग हर साल करवाना ही पड़ता था , मलेरिया की जांच के लिए पैरीफ्रल ब्लड फिल्म...इस के लिए लैब वाला अंकल हमारी अंगुली से रक्त निकालने के लिए कुछ चुभो देता और सभी मरीज़ों पर उसी को स्पिरिट से पोंछ पोंछ कर इस्तेमाल किया करता। निःसंदेह एक खतरनाक प्रैक्टिस।
हां तो मैं बाज़ार में होने वाली कैमिस्ट की दुकान पर ब्लड-शूगर की जांच की बात कर रहा था, मुझे नहीं पता कि ये लोग हर केस में नईं लेंसेट इस्तेमाल करते होंगे या नहीं।
आज मुझे पता चला कि ये जो कंपनियां इस तरह की मशीनें बना रही हैं वे अलग से इस तरह के लेंसेट भी बेचती हैं लेकिन ये थोड़े महंगे ही दिख रहे थे जब मैंने नेट पर चैक किया। ऐसे में क्या आप को लगता है कि बाज़ार में २० रूपये में होने वाली जांच के लिे हर मरीज़ के लिए नया डिस्पोज़ेबल लेसेंट इस्तेमाल किया जाता होगा। आप इस के बारे में अवश्य सोचिए और उसी के आधार प ही इस तरह की जांच के लिए निर्णय लें और अपने से कम पढ़े-लिखों तक भी यह बात पहुंचाएं।
बात जितनी छोटी दिखती है उतनी है नहीं .. इस तरह का सस्ता टैस्ट बाज़ार में करवाना और जिस के लिए लेंसेट नया नहीं है, बिल्कुल वैसा ही हो गया जैसे कि कोई किसी दूषित या किसी दूसरे पर इस्तेमाल की गई सिरिंज से टीका लगवा ले। जहां पर एक दूसरे पर इस्तेमाल किए जाने वाले लेंसेंट या सिरिंज से बीमारी फैलने की बात है, इस में ज्यादा अंतर नहीं है, यह जानना बहुत ज़रूरी है।
वो फिल्मों की बात अलग है कि अमर अकबर एंथोनी में अकबर का खून निकल रहा है और सामने ही दूसरे किरदार को चढ़ाया जा रहा है, कोई बीमारी फैलने के लिए बिना टैस्ट किये हुए रक्त की जांच ही नहीं, रक्त की एक बूंद का उतना छोटे से छोटा अंश (देखना तो दूर, जिस की आप कल्पना भी नहीं कर सकते ) भी भयानक संक्रमण फैला सकता है।
ऐसा नहीं है कि लेंसेट बाज़ार में सस्ते नहीं मिलते ... मिलते हैं, मैंने कईं अस्पतालों मेंंदेखा है कि जिन रक्त की जांच के लिए उन्हें अंगुली को थोड़ी सूईं चुभो कर रक्त निकालना होता है, वे लोग यह काम एक कागज़ में मिलने वाली डिस्पोज़ेबल लेंसेट से करते हैं और फिर उस को नष्ट कर देते हैं। होना भी यही चाहिए, वरना तो खतरा बना ही रहता है।
मैं सोच रहा था कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जिन लोगों को बाज़ार से बार बार रक्त की इस तरह की जांच करवानी पड़ती है, वे लोग कुछ डिस्पोज़ेबल लेंसेट खरीद लें ...और अगर टैस्ट के समय देखें कि वहां पर इस तरह के उपलब्ध नहीं हैं तो अपना लेंसेट ही इस्तेमाल किए जाने का अनुरोध करें।
मामला इतना आसान है नहीं , यह काम हम डाक्टर लोग किसी लैब में जाकर नहीं कर पाते, ऐसे में आप कैसे कर पाएंगे यह आपने देखना है, क्योंकि यह आप की सेहत का मुद्दा है, किसी भी दूषित उपकरण के चुभने से आप की सेहत खतरे में पड़ सकती है।
इतना पैनिकि होने की बात भी नहीं है, बस बात तो है केवल सचेत करने के लिए।
ध्यान आ रहा है कि पिछले सरकार के कुछ दावे अखबारों में खूब छपा करते थे ..कि अब शूगर की जांच के लिए स्ट्रिप्ज़ २-२ रूपये में बिकने लगेंगी.......कहां गई ऐसी स्ट्रिप्ज़ जो आने वाली थीं।
अपनी सेहत के बारे में स्वयं भी सगज रहिए. और औरों को भी करते रहिए।
जाते जाते ध्यान यह भी आ रहा है कि क्या ये कैमिस्ट की दुकानों वाले इस तरह की रक्त की जांचें करने के लिए अधिकृत भी हैं या बस धक्कमपेल किए जा रहे हैं। विचारों का क्या है, कुछ भी मन में आ सकता है......पिछले दिनों आपने देखा कि एम्स जैसी संस्था के डाक्टरों ने अखबारों में लिखा था कि चिकित्सा व्यवसाय में कैसे कैसे गोरखधंधे चल रहे हैं...... जब मैडीकल प्रैक्टीशनर किसी के साथ सांठ-गांठ कर लेते हैं, इसलिए मुझे तो यह भी लगता है कि हो न हो, कहीं कुछ कैमिस्ट की दुकानों पर होने वाले टैस्ट भी ये दवाईयां बनाने वाले कंपनियों के सांठ-गांठ का ही तो नतीज़ा नहीं है... चलते फिरते राहगीर का खड़े खड़े ब्लड-प्रैशर मापो, ब्लड-शूगर की जांच करो और जब रिपोर्ट देख कर वह डरा हुआ इलाज के बारे में पूछे तो उसे उन्हीं कंपनियों की दवाईयां थमा दो...बस, इस चक्कर में चिकित्सक बाहर हो गया, कितने लोग तो वैसे ही इसी तरह से दवाई लेकर खाना शुरू कर देते हैं।
इन मसलों पर जागरूक किये जाने की बहुत ज़रूरत है........लेकिन अकसर मीडिया को आइटम नंबर की राजनीति और किस हीरो को किस हीरोइन के साथ किस देश के किस होटल में एक साथ देखा गया, मीडिया को ये सब चटखारे लेने से फुर्सत मिले तो ऐसी जनोपयोगी बातों को उठाने की बारी आए।
बीच साइड हैल्थ चैक अप स्टाल
शूगर की जांच हो जायेगी बहुत सस्ती
एक आवश्यक सूचना..
रक्त की जांच के समय ध्यान रखिए..
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जवाब देंहटाएंशुगर की जांच सही भी होगी या नहीं ,पर संक्रमण से नया रोग जरूर ले आएंगे , बड़े बड़े हॉस्पिटल्स में भी ऐसा हो जाता है, यहाँ की तो बात ही क्या? आपकी आशंका बहुत सही है , अच्छा विश्लेषण
जवाब देंहटाएंसही फरमा रहे हैं जी आप बिल्कुल......समझ में नहीं आता कि पब्लिक किस तरह से इन सब से बच पाए। धन्यवाद पोस्ट देखने के लिए।
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