इस 52 वर्ष के पुरूष ने अपने ऊपर वाला बाईं तरफ़ का दांत निकलवाने के बाद किसी नकली डैंटिस्ट से यह दांत लगवा लिया है। उसे यही कहा गया है कि यह फिक्स दांत है। अब मरीज़ क्या जाने कि फिक्स दांत किस बला का नाम है, उसे तो बस इतना ही बता दिया जाता है कि इस तरह का फिक्स दांत लगवाने से आप इसे उतारने-चढ़ाने के झंझट से बच जाते हैं।
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लेकिन फिक्स दांत के बारे में किसी को बस इतना कह कर ही फुसला लेना ठीक नहीं है। लेकिन वही बात है ना कि यहां ठीक-गलत की परवाह किसे है—कोई इस झंझट में पड़ने को तैयार ही नहीं है। हम लोग ने इतने इतने साल बिता दिये लोगों को सजग करते हुये कि नीम हकीम डाक्टरों के हाथों में मत पड़ा करो, वहां जाने से लेने के देने ही अकसर पड़ते हैं, लेकिन सुनता कौन है। रोज़ाना इस तरह के केस मेरे पास आते रहते हैं।
अब ज़रा यह देखते हैं कि आखिर इस तरह के इलाज से क्या पंगा हो सकता है। एक पंगा हो तो बताएं---इस तरह का फिक्स दांत लगवाना तो बस पंगो का पिटारा ही है। सब से बड़ा पंगा तो यही है कि इस तरह का फिक्स दांत लगवाने से आसपास के स्वस्थ दांतों के भी हिल जाने का पूरा पूरा चांस होता है ।
दरअसल इस तरह के नकली फिक्स दांत को जमाने के लिये यह खुराफ़ाती फुटपाथ मार्का नकली डैंटिस्ट काम ही कुछ इस तरह का कर देते हैं ---- पहले तो यह आसपास के स्वस्थ असली दांतों पर तार लगा देते हैं ---अपने जिस मरीज़ की मैं आप को तस्वीर दिखा हूं उस केस में भी आस पास के स्वस्थ दांतों पर तार तो कसी ही हुई है लेकिन इसे आप देख नहीं पा रहे हैं क्योंकि एक अच्छा खासा कैमरा होते हुये भी मैं फोटोग्राफी के बारे में कुछ भी नहीं जानता हूं ----चलिये, धीरे धीरे सीख ही जाऊंगा -----करत करत अभ्यास के ---!! मरीज़ के दांतों की तस्वीर खींचते वक्त पता नहीं रूम की फ्लोरिंग क्यों ज़्यादा साफ़ दिखती है !! Any tips ?
अच्छा तो आस पास के दांतों पर तार फिक्स करने के बाद फिर इस पर शैल्फ-क्यूरिंग एक्रिलिक ( self-cure acrylic) लगा दिया जाता है जो कि पांच-दस मिनटों में बिल्कुल सख्त हो जाता है -----मरीज़ भी खुश और डाक्टर भी ---- चलो, फिक्स दांत लग गये हैं।
लेकिन यह जो तार मरीज़ के अच्छे खासे सेहतमंद दांतों पर कस दी जाती है यह कुछ ही महीनों में एकदम फिट असली ,दांतों का भी कबाड़ा कर देती है और यह अकसर हिलना शुरू कर देते हैं। और दूसरी बात यह है कि यह जो एक्रिलिक मुंह में लगा कर एक नकली दांत को मुंह में टिका दिया जाता है यह भी बहुत हानिकारक प्रक्रिया है।
आखिर यह मुंह में एक्रिलिक लगा कर नकली दांत को मुंह में सैट करने की प्रक्रिया क्यों ठीक नहीं है, आप शायद सोच रहे होंगे कि नकली दांतों के जो सैट बनते हैं वे भी तो एक्रिलिक के ही होते हैं। बात यह है कि निःसंदेह नकली दांत भी इसी एक्रिलिक से ही बने तो होते हैं लेकिन इस तरह के मैटीरियल को सीधा मुंह में लगाना बहुत हानिकारक होता है और जिस ढंग से इन अनक्वालीफाइड डाक्टरों द्वारा इस एक्रिलिक का सीधा ही मुंह में इस्तेमाल किया जाता है वह बहुत ओरल-कैविटि (मुंह) के टुश्यूज़ के लिये बहुत हानिकारक हो सकता है। इस के पावडर को जिस लिक्विड से मिक्स किया जाता है --- वह अगर सीधा ही मुंह में लगा दिया जाता है तोh उस का मुंह की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
अब इस मरीज़ के इस तरह के फिक्स दांत की बाहरी तस्वीर तो आप देख रहे हैं लेकिन इन के अंदर तालू पर भी यही एक्रिलिक लगा हुआ है----लगा क्या होता है, बुरी तरह से चिपकाया गया होता है।
इस प्रकार के नकली फिक्स दांतों का प्रकोप झेल रहे बहुत से मरीज़ अकसर आते रहते हैं। इस फिक्स दांत के आसपास वाले हिलते दांतों की वजह से तो लोग आते ही हैं । इस के अलावा बहुत से केसों में इस तरह के फिक्स दांत के आसपास के मसूड़े बहुत बुरी तरह फूल जाते हैं और उन में थोड़ा सा ही हाथ लगने से ही रक्त बहने लगता है।
इस तरह के चालू इलाज का सही उपचार करने के लिये पहले तो मरीज़ को तुरंत ही उस फिक्स दांत से निजात दिलाई जाती है जिस की वजह से यह सारा कलेश हुआ। और इसे निकालते ही मरीज़ राहत की सांस लेते हैं और उचित उपचार से अकसर क्षतिग्रस्त मसूड़ों की खोई हुई सेहत लौटने लगती है, लेकिन अकसर इस तरह से हिले हुये दांतों का कुछ कर पाना संभव नहीं होता।
मैं अकसर समझता हूं कि मीडिया के द्वारा ये बातें क्यों आम लोगों तक नहीं पहुंचाई जातीं। इसी वजह से आम बंदा इस तरह के बिल्कुल बेवकूफ़ी से भरे इलाज का शिकार बनता रहता है। लेकिन फिर भी लोग पता नहीं क्यों नहीं समझते।
bahut badhiya jankari..badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया जानकारी, हम भी फिक्स दाँत लगाने का यही तरीका जानते थे पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में पता नहीं था।
जवाब देंहटाएंTo phir koun sa daant lagvaye Dr saab
जवाब देंहटाएंMere dat hil rahai hai me kya karu
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