बुधवार, 29 अप्रैल 2009

जिह्वा (जुबान) का कैंसर एक कोबरे के समान है...


यह शब्द मेरे उस 48 वर्षीय मरीज़ ने आज मुझ से कहे जिसे जिह्वा का कैंसर है--- पिछले डेढ़ महीने से ही डायग्नोज़ हुया है। बायोप्सी वगैरह हो चुकी है। सी.टी स्कैन सब टैस्ट हो चुके हैं। इस के इलाज के लिये उसे आप्रेशन के लिये कहा गया है जिसमें जुबान का आधा हिस्सा सर्जरी से निकाल दिया जायेगा। और इस के आसपास के क्षतिग्रस्त एरिये की भी कांट-छांट की जायेगी।

इस बंदे को मैं अच्छी तरह से जानता हूं ----बड़ा ही ज़िंदादिल सा इंसान लगता था मुझे । लगता क्या था आज भी बहुत गर्मजोशी से बात कर रहा था लेकिन आज बेचारा दर्द से इतना परेशान था कि कहने लगा कि यह बीमारी तो डाक्टर साहब एक कोबरे के समान है।

इस व्यक्ति को जुबान की दाईं तरफ़ के नीचे दो-तीन महीने से एक जख़्म सा था --- उस के आस पास ही खराब दांतों के नुकीले टुकड़े पड़े हुये थे। उसे उन टुकड़ों को जब भी निकलवाने की सलाह दी जाती थी तो वह हमेशा यही कह कर टाल दिया करता था कि मैंने तो कभी भी दांत डाक्टर से निकलवाया नहीं है, मेरे तो जितने भी दांत निकले हैं अपने आप ही निकले हैं, इसलिये ये टुकड़े भी अपने आप ही निकल जायेंगे।

यह बंदा पिछले कईं सालों से तंबाकू-चूने के मिश्रण को मुंह में रखता रहा है...और रोज़ाना थोड़ी बहुत ड्रिंकिंग का भी शौकीन है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि तंबाकू और शराब तो तरह तरह के कैंसर ( विशेषकर मुंह के कैंसर के लिये) के लिये एक किल्लर कंबीनेशन तो है ही और साथ में मुंह का खराब स्वास्थ्य्। टूटे, फूटे, नुकीले दांत मुंह में पड़े हुये जिन्हें निकलवाया नहीं गया।

आज उस मरीज़ से मिल कर मूड बहुत खराब है। क्या है ---- छोटी सी उम्र में ही बंदा तंबाकू की तबाही का शिकार हो गया। आप का मेरी यह पोस्टें देख कर अनुमान हो ही जाता होगा कि मैं तंबाकू का कितना घोर विरोधी हूं ---क्योंकि हम इस तरह के केस आये दिन देखते रहते हैं और फिर अपने आप को कितना बेबस पाते हैं।

मन में विचार आ रहा है कि कैसे भी हो बच्चों को सिगरेट, बीड़ी , गुटखा पान मसाले से बचा कर रखना चाहिये और जब भी पता चले कि बच्चे या नवयुवक इस तरह के व्यसनों से ग्रस्त हैं और अल्कोहल भी ले रहे हैं तो सभी ढंग अपना कर उन को बचाने की कोशिश करनी चाहिये ।

तंबाकू चबाने वाले, बीडी सिगरेट पीने वाले, गुटखा खाने वाले कब इस तरह के केसों से सीख लेंगे...................यह सोच सोच कर मेरा सिर दुखता है। इसी मरीज़ के बारे में कुछ और बातें अगली पोस्ट में करूंगा।

1 टिप्पणी:

  1. आप तो सिर्फ खतरे से आगाह कर सकते हैं, लोगों में जागरुकता फैला सकते हैं.

    बाकी तो जो समझदार हैं वो समझेंगे बाकी की अपनी किस्मत.

    साधुवाद इस कार्य के लिए.

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