मैंने पिछली पोस्ट में एक मित्र के बारे में लिखा कि उसे खांसी-जुकाम हुआ...उसने फ़िज़िशियन से कहा कि मेरी स्वाईन-फ्लू (दरअसल ये H1N1 एन्फ्लुऐंजा है) की जांच करवा दें, वह मान गए, घर में लैब-टेक्नीशीयन आ कर गले से स्वैब ले गया.... और अगले दिन टेस्ट पॉज़िटिव आ गया, फिर उस की दवाई तो शुरू हो ही गई, साथ ही उस के परिवार के अन्य लोगों को भी बचाव के लिए दवाई दी जाने लगी, पांच दिन के लिए।
दोस्तो, मैं आपसे यह शेयर करना चाहता हूं कि यह टेस्ट बहुत महंगा है, सरकारी अस्पताल ही जो ये टेस्ट अपने सरकारी कर्मचारियों का प्राईव्हेट लैब से करवाते हैं उन्हें ही इस के लिए लगभग साढ़ें चार हज़ार रूपये चुकाने होते हैं।
मैंने अभी अभी लखनऊ की एक प्राईव्हेट लेब को फोन किया ...इस टेस्ट का रेट पूछने के लिए.. यहां पर इस का रेट साढ़े पांच हज़ार रूपये हैं और रिपोर्ट दो दिन में मिलती है...यानि आज टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट दो दिन बाद परसों मिलेगी।
अभी मैं हिंदी का अखबार देख रहा था, कल यहां पर आर्चीटेक्चर कालेज के कुछ छात्र इक्ट्ठे हो कर मैडीकल कालेज पहुंच गये कि उन्हें एच१एन१ की जांच करवानी है...इस की दवाई लेनी है क्योंकि कुछ दिनों से उन का खांसी-जुकाम ठीक नहीं हो रहा...सीनियर डाक्टर ने उन्हें खांसी-जुकाम की दवाई दे कर और मास्क दे कर यह कह कर वापिस भेज दिया कि अगर ये दवाईयां लेने से कुछ समय बाद भी राहत महसूस न हुई तो एच१एन१ एन्फ्लुऐंजा की जांच करेंगे।
इस सीनियर डाक्टर ने बिल्कुल सही किया.... टेस्ट को टाल दिया..यह बहुत ही ज़रूरी है, वरना होता क्या है जब इस तरह की बीमारी होती है और मीडिया में खौफ़ पैदा कर दिया जाता है तो कुछ लोग अपने रसूख के बल पर यह टेस्ट करवा लेना चाहते हैं ....और हो भी जाता है, यहां रसूख से बड़े से बड़े काम हो जाते हैं, यह तो कुछ भी नहीं।
लेकिन यह गलत है। मेरे मित्र को भी अपने आप चिकित्सक को कहने की कोई ज़रूरत नहीं थी कि क्या आप मेरा एच१एन१ टेस्ट करवा देंगे।
अब आपके मन में यह प्रश्न आना स्वभाविक है कि मेरे मित्र ने किसी डाक्टर को कहा कि उसका टेस्ट करवा दे, और टेस्ट होने के बाद उस की रिपोर्ट पॉज़िटिव भी आ गई....ऐसे में तो मेरे मित्र ने बड़ी समझदारी का परिचय दिया।
नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, आप कृपया यह बात गांठ बांध लें कि चिकित्सक अपने हिसाब से अपने अनुभव के आधार पर जो काम कर रहा है, उसे करने देना चाहिए, उसी में ही हम सब की भलाई है....मित्र ने टेस्ट करवाने की इच्छा ज़ाहिर की और उसने भी कहा कि हां, ठीक है, करवा लो।
अब मैं आता हूं असली बात पर.......वह यह है कि खांसी जुकाम तो इस मौसम में बहुत से लोगों को हुआ ही करता है, सर्दी में भी होता है और बरसात में भी होता है....ऐसे में क्या हर बंदा सरकारी अस्पतालों में या प्राईव्हेट लैब में लाइनें लगा कर टेस्ट करवाना शुरू कर दे....इस एच१एन१ एन्फ्लुऐंजा वॉयरस के लिए। नहीं, इस की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है।
H1N1 एन्फ्लुऐंजा टेस्ट किस का होना चाहिए?
हम सब लोगों की फ्लू से जान पहचान तो है ही, है कि नहीं?-- H1N1 एन्फ्लुऐंजा के लक्षण भी बिल्कुल मौसमी फ्लू जैसे ही हैं, सिर और शरीर में दर्द, नाक बहता है...और इस के लिए इऩ लक्षणों के लिए ही जो दवाईयां आदि हम लोग अकसर लेते हैं या देसी जुगाड़ --मुलैठी, नमक वाले गर्म पानी से गरारे, बुखार के लिए या बदन दर्द के लिए कोई दर्द की टिकिया ले लेते हैं....गर्मागर्म चाय-वाय खूब पीते हैं अदरक डाल कर.... क्योंकि अच्छा लगता है..और अकसर यह दो चार दिन में ठीक हो जाता है...
लेकिन अगर खांसी-जुकाम के साथ साथ कुछ चेतावनी देने वाली लक्षण भी दिखने लगें तो हमें अस्पताल में चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए....दोस्तो, मैंने यह नहीं कहा कि हमें किसी लैब में जाकर H1N1 एन्फ्लुऐंजा का टेस्ट करवा लेना चाहिए, इस की कोई ज़रूरत नहीं है, लैब वाले तैयार बैठे हैं, लेकिन उस की ज़रूरत है कि नहीं, यह पता करना तो चिकित्सक का काम है। हां, तो बात हो रही थी चेतावनी देने वाले लक्षणों की ....
चेतावनी देने वाले लक्षण
दरअसल अगर H1N1 एन्फ्लुऐंजा का संक्रमण गले से छाती में चला जाता है और यह काम ५ से ७ दिन में हो जाता है, तो इस से मरीज़ को निमोनिया की तकलीफ़ हो जाती है, अब मरीज को कैसे पता चले कि निमोनिया हो गया है...यह हो रहा है......उसे तेज बुखार के साथ साथ सांस लेने में तकलीफ़ होगी, पेट में दर्द हो, उल्टी आए और खांसी करने पर बलगम में खून आने लगे तो तुरंत चिकित्सक से मिलना चाहिए। उस हालात में उस का H1N1 एन्फ्लुऐंजा टेस्ट करवाया जाता है और तुरंत इस बीमारी का समुचित इलाज शुरू किया जाता है।
ध्यान रखने योग्य बात यह भी है कि कुछ मरीज़ों में विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए... बच्चों में खांसी जुकाम तो होता ही है, लेकिन अगर इस के साथ अगर उस ने फीड लेनी बंद कर दी है, तेज़ बुखार के साथ वह सांस भी तेज़ तेज़ ले रहा है, उस की पसली चलने लगी है और बच्चा नीला पड़ रहा है तो तुरंत चिकित्सक को मिलना चाहिए। इसी तरह से बुज़ुर्गों में भी ६५ वर्ष से ऊपर वालों में अगर वे खांसी-जुकाम और बुखार होने पर गफलत में जा रहे हैं, उन के हाथ-पैर ठंड पड़ रहे हैं तो ये चेतावनी वाले लक्षण हैं....यह आम खांसी-जुकाम के लक्षण नहीं है, इन्हें चिकित्सक के पास ले कर जाना चाहिए।
उसी तरह से जब यही लक्षण सांस की बीमारी से ग्रस्त, दिल के किसी रोगी या मधुमेह रोगी या ऐसी किसी व्यक्ति में पाये जाएं जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले ही से कम है.. इम्यूनिटी कंप्रोमाइज्ड है-- चाहे वे इम्यूनिटी दबाने वाली कोई दवाएं खा रहे हों पहले से....इन सब में भी ऊपर लिखे चेतावनी वाले लक्षणों के मिलते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क साधना ज़रूरी है।
कैसे होता है टेस्ट
जिन मरीज़ों में चिकित्सक समझते हैं कि उन का एच१एन१ टेस्ट होना चाहिए तो उन का यह टेस्ट एक स्वॉब से ही हो जाता है... इस के लिए किसी तरह के रक्त की जांच की ज़रूरत नहीं पड़ती ...
मेरे विचार में बाकी बातें अगली पोस्ट में करते हैं, इस के लिए तो इतना ही काफ़ी है..एक बात जो मेरे ज़हन में आ रही है आप की तरफ़ से वह यह है कि आप सोच रहे होंगे कि मेरे दोस्त को अगर एच१एन१ इंफेक्शन का पता न चलता तो उस की दवाई शुरू न होती, जिस से उस की जान पर बन सकती थी। नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है, अगर उस में ऊपर लिखे चेतावनी वाले लक्षण होते तो उस का टेस्ट हो जाता और उस का फिर इलाज शुरू कर दिया जाता। हर खांसी-जुकाम के केस में यह टेस्ट करवाने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है।
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एच१एन१(H1N1) एन्फ्लूऐंजा मौसमी है, स्वाईन फ्लू नहीं है
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मेरे विचार में बाकी बातें अगली पोस्ट में करते हैं, इस के लिए तो इतना ही काफ़ी है..एक बात जो मेरे ज़हन में आ रही है आप की तरफ़ से वह यह है कि आप सोच रहे होंगे कि मेरे दोस्त को अगर एच१एन१ इंफेक्शन का पता न चलता तो उस की दवाई शुरू न होती, जिस से उस की जान पर बन सकती थी। नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है, अगर उस में ऊपर लिखे चेतावनी वाले लक्षण होते तो उस का टेस्ट हो जाता और उस का फिर इलाज शुरू कर दिया जाता। हर खांसी-जुकाम के केस में यह टेस्ट करवाने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है।
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