आज सुबह जुहू बीच की तरफ टहलने के इरादे से निकले ...हाई टाईड का समय तो था ही...समंदर की लहरें देख कर मन भी हिलोरे खा रहा था ...लेकिन पांच दस मिनट चलने के बाद ही वॉटर-स्पोर्ट्स का नज़ारा कुछ ऐसा दिखा कि फिर टहलना-वहलना तो दूर उन्हीं नज़ारों को ही तकते रह गए....
नीचे मैं कुछ वीडियो लगा रहा हूं...वॉटर स्पोर्ट्स के संचालक बता रहे थे कि अभी एक तारीख से ही जब से सब कुछ खुला है तभी से ही ये स्पोर्ट्स भी फिर से शुरू हुए हैं ...अच्छा लगा, उन के पास सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम देख कर अच्छा लगा...लाइफ-गार्ड भी थे ...और सब से खुशी की बात कि लोग खूब लुत्फ़ ले रहे थे ...
अचानक ख्याल आ गया कल छतीसगढ़ में घटी एक दुर्घटना का- वहां पर कोई जगह है शायद देवगढ़ ...दो रोप-वे आपस में टकरा गए ..दो लोगों की मौत हो गई ...कल की टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर थी...बस, ऐसे ही ख्याल आ गया कि जो भी लोग इन राईड्स का मज़ा लेने जाते हैं ...वे सुरक्षित रहें और खुशी खुशी इन सब में हिस्सा लें...
आज की पोस्ट में मेरे पास कुछ लिखने के लिए है नहीं...एक तो मैं वैसे ही थका हुआ हूं ..सारी दोपहर किसी सेमीनार में गया हुआ था ..नींद आ रही है..सोचा कि अभी इस वॉटर-स्पोर्टस् के बारे में कुछ लिख लूं तो ठीक ..वरना अगले दिन मेरा यह सब लिखने का बिल्कुल मन नहीं करता ..क्योंकि नया दिन...नई किरणें, नया उजाला.....कौन पिछले दिन की बातों को लिखने बैठे...
खैर, मैं कुछ तस्वीरें भी लगा रहा हूं जिस से आप को इन के बारे में अच्छी जानकारी मिल जाएगी... हां, मेरा लिखना का मक़सद इतना ही है कि अगर तो आप बंबई में रहते हैं तो ज़रूर जाइए बच्चों को लेकर जुहू बीच ...क्योंकि अब जुहू बीच पहले जैसा नहीं है, साफ सुथरा है..हम तो नंगे पांव ही रेत पर चलते रहे आज...अच्छा लगा...पानी के अंदर भी भीगने गए...कुदरती नज़ारे भी ऐसे हैं, ये कुदरती नेमते भी ऐसी हैं कि बार बार वहां जा कर, वहां पर कितनी भी वक्त रुके रहें, कमबख्त यह दिल ही नहीं भरता... चलिए पहले कुछ तस्वीरें देखिए ..फिर चार वीडियो देखिए..बहुत छोटे छोटे वीडियो हैं.....यह तो सिर्फ़ ट्रेलर है ...पूरी फिल्म तो आप लोग खुद बनाओगे जब वहां जा कर वॉटर-स्पोर्टस् का आनंद लूटेंगे ...
लिखने से पहले मुझे ख्याल आ रहा था कि इस से पहले तो हम यह सब फिल्मों में देखते थे ...या शायद एक दो बार गोआ में भी देखा ...बंबई में तो ये नजारे पहली बार देखे....टिकट है कुछ राईड्स की 200 रूपये प्रति व्यक्ति और 300 रूपये प्रति व्यक्ति ...और दो मिनट में यह सब खेल पूरा हो जाता है ....
जुहू बीच आज कल बड़ा साफ सुथरा दिखता है ...वहां पर बिल्कुल भी गंदगी नहीं है ...क्योंकि हर दिन उस की सफाई बीसियों मुलाजिम करते दिखते हैं...
इस तरह के ट्राले यहां रोज़ाना कूढा़ कचरा ढोते दिखते हैं ....ताकि लोगों को कोई दिक्कत न हो ... |
पिछले महिने गाँव से आए दोस्तों को घुमाने लेकर गया था। जुहू का समुद्रतट तब खुला नही था, इसलिए बगल वाले वर्सोवा तट पर चले गये। हालाँकि वहा स्पोर्ट्स एक्टिविटी नही थी। और होती भी तो मै नही कर सकता था। डाक्टरों ने मना किया है। वहा शांती थी, जो मुंबई मे बड़ी मुश्किल से मिलती है। लोग कम थे तो गंदगी भी नही थी या कम थी। और मेरे दोस्त जिन्होने समंदर ही पहली बार देखा हो वो और क्या ही डिमांड करेंगे। लेकिन दुसरे दिन अलिबाग मे सारी कसर निकाल ली। 😁
जवाब देंहटाएंआप के इस लेख ने मेरे जूहू के बारे में पुराने विचार बदल डाले. शायद बीस साल पहले मैं जब बाम्बे देखने आया था, तो बाम्बे सैंट्रल से टैक्सी कर शाम को जूहू बीच गया था. लेकिन इतनी गंदगी थी कि पूछो मत. आवारा कुत्ते दिखे और कोई भी नहीं. बढ़ा मायूस हो कर वापस गया था.
जवाब देंहटाएंखैर आपका ब्लॉग पढ़ कर मजा आ गया.