बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

बीड़ी अगर मुंह जला सकती है.....

 दाईं तरफ़ के गाल के अंदर की तस्वीर 
जिस आदमी के मुंह की तस्वीर आप यहां देख रहे हैं इस की उम्र ५९ वर्ष है .....मेरे पास दांत के इलाज के लिये आया था दो दिन पहले।

यह व्यक्ति बीड़ी पीता है, लेकिन इसे इस तरह के गाल के ज़ख्मों की वजह से कोई परेशानी नहीं है, इन्हें बस कभी कभी मिर्ची लगती है मुंह में। इन्हें यह भी नहीं पता कि मुंह में ऐसे कुछ ज़ख्म भी हैं।

जब मैंने इन्हें कहा कि आप ओपीडी में लगे आइने में देख कर आएं तो इन्हें कुछ नहीं दिखा.......जब मैंने ये तस्वीरें इन्हें दिखाईं तो यह मेरी बात को समझने की कोशिश करते हुए नज़र आए।

यह जो आप इन के दाएं और बाएं गाल में लाल से जख़्म देख रहे हैं.....इसे एरिथ्रोप्लेकिया के नाम से जाना जाता है......ये बीड़ी-सिगरेट के पीने से होते हैं.....यह भी कैंसर की एक पूर्वावस्था ही है.......we call it Precancerous Oral Lesion.

बाईं तरफ़ के गाल का अंदरूनी हिस्सा ..बीड़ी का प्रकोप
इन्हें समझाया तो है बहुत, प्रेरित किया है कि छोड़ दें अभी भी ये सब तंबाकू-वाकू की आदतें। उम्मीद है मान जाएंगे। इस तरह के ज़ख्मों का इलाज ही यही है कि पहले तो तंबाकू को त्याग दिया जाए, फिर कुछ दिनों के बाद इस ज़ख्म का इलाज किया जाए......कोई भी क्रीम या जैल आदि इस तरह के ज़ख्म पर लगाने से यह ज़ख्म ठीक होने वाला नहीं है। इस का पूरा इलाज होना चाहिए ... और सही टैस्टिंग भी ज़रूरी है।

धूम्रपान करने वाले लोगों में इस तरह के ज़ख्म मुंह में बहुत ज़्यादा संख्या में पाए जाते हैं......ज़रूरत है उन्हें अवेयर करने की कम से कम इस अवस्था में तो इस ज़हर के सेवन को बंद कर दें.........भाग्यवान होते हैं जो बात मान लेते हैं ....वरना कुछ भी हो सकता है........इस तरह के ज़ख्म मुंह के कैंसर को भी जन्म दे सकते हैं। फिर कोई कह नहीं पाता कि पहले किसी ने सचेत नहीं किया था।

मैं अकसर इन मरीज़ों को कहता हूं कि देखो भाई अगर बीड़ी-सिगरेट मुंह में इस तरह से उत्पात मचा कर इस तरह के जख्म पैदा कर सकती है....तो शरीर के अंदरूनी सभी हिस्सों में यह क्या क्या नहीं करती होगी?..आप फेफड़ों की कल्पना कीजिए, शरीर की खून की नाडियों का सोचें, उन्हें तो हम इतनी आसानी से नहीं देख पाते जितना मुंह में  झट से झांक लेते हैं........इसलिए ये बातें मेरे मरीज़ों पर बहुत असर करती हैं........और यह बिल्कुल सच बातें हैं।

बीड़ी के बारे में लिखते ही, बीड़ी-सिगरेट का घोर विरोधी होते हुए भी मुझे गुलज़ार साहब का वह गीत याद आ ही जाता है........काश, बीड़ी सिगरेट का ध्यान आते ही पब्लिक वह गीत सुन कर ही काम चला लिया करे.........



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