शनिवार, 23 अगस्त 2014

पिछली सवारी के लिए हैल्मेट क्यों नहीं भाई?

ऐसी तस्वीरें उद्वेलित करती हैं लेकिन हम भी यही कुछ करते हैं...
मुझे यह बात बहुत परेशान करती है कि टू-व्हीलर पर पिछली सवारी के लिए हैल्मेट क्यों अनिवार्य नहीं कर दिया जाता. 

यही एक उपाय है कि पिछली सीट पर बैठी इस देश का महिलाएं भी हैल्मेट पहनने लगेंगी। दूसरा कोई उपाय मेरी समझ में तो नहीं आ नहीं रहा। और इस की पालना न करने पर चालक का तुरंत चालान होना चाहिए। 

तेज़ रफ़तार से चल रहे दो पहिया वाहनों को देख कर और पीछे बैठी महिलाओं को देख कर डर जाता हूं.... मैं क्या मेरा १७ वर्ष का बेटा भी डर जाता है और मुझे अकसर कहता है कि पापा, पिछली सवारी के लिए भी हैल्मेट कंपलसरी होना चाहिए. मैं उस से बिल्कुल इत्तेफाक रखता हूं। 

लेकिन शुरूआत घर से ही होनी चाहिए......मेरे स्कूटर के पीछे बहुत बार बीवी भी बैठती है और मां भी बैठती हैं, लेकिन मुझे उन्हें बिना हैल्मेट के बिठाना बहुत अजीब सा लगता है, डर लगता है ... अपने सिर पर हैल्मेट डालना उस समय एक अपराध सा लगता है कि यार, हमारी जान क्या ज़्यादा महंगी है या फिर पीछे बैठा इंसान हाड़-मांस का नहीं बना है। 

उस दिन भी मैं और मेरा बेटा कार से स्टेशन से आ रहे थे तो बेटे को एक स्कूटर के पीछे एक बुज़ुर्ग मां बैठी दिख गई....हो गया शुरू ..बड़ा संवेदनशील किस्म का बंदा है ..झट से उस मां-बेटे की फोटू खींच ली और कहने लगा कि पापा, यह तो गलत बात है कि पीछे बैठे बंदे के लिए हैल्मेट ज़रूरी नहीं है। 

कईं बार मैं सोचता हूं कि यार यह देश भी कैसा है, कुछ जगहों पर तो हैल्मेट पहनने की तरफ़ कोई ध्यान नहीं देता, कुछ में केवल चालक ही हैल्मेट पहनेगा क्योंकि यह कानून है उन राज्यों में ...लेिकन उन राज्यों की प्रशंसा करनी चाहिए जिन्होंने दोनों सवारों के लिए चालक और पीछे बैठी सवारी के लिए भी हैल्मेट अनिवार्य किया हुआ है। मुझे बहुत अच्छा लगता है यह देखना --शायद चंडीगढ़ में यही व्यवस्था है...

मुझे ऐसा लगता है कि देश में हर जगह यह कानून लागू हो जाना चाहिए कि पीछे बैठी सवारी और बापू के साथ स्कूटर पर आगे खड़े बच्चे भी हैड-प्रोटैक्शन तो पहनेंगे ही। 

सच में कहूं कईं बार बहुत अपराधबोध होता है .......लेकिन क्या हम ने कभी अपनी तरफ़ से पहल की .......कभी मां या बीवी को पीछे बैठाने से पहले कहा कि आप भी हैल्मेट पहन लें, .......नहीं ना, क्योंकि रिवाज ही नहीं है, हमें यह भी तो डर सताने लगता है कि कहीं हम लोग सड़क पर जाते हुए कार्टून ही न लगें........अब सोचने की बात है कि यह मेरे जैसे ठीक ठाक पढ़े लिखे बंदे की मानसिकता है, तो फिर वह आदमी जिसे हम लोग कम पढ़ा लिखा लेबल करते हैं, अगर वह ऐसी सोच रखे तो वह गंवार........

ठीक है, बात हो तो हो गई, लेकिन एक राष्ट्र स्तर पर एक अभियान चलना चाहिए कि सारे देश में पिछली सवारी के लिए भी हैल्मेट ज़रूरी होना चाहिए वरना चालक से मोटी रकम ज़ुर्माना के रूप में वसूली जानी चाहिए। हम इतने लंबे समय से गुलाम रहे हैं, शायद हम सब यही भाषा समझते हैं। आप का क्या ख्याल है..... 

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