मंगलवार, 12 अगस्त 2014

पहले ९० दिनों में विकसित हो जाता है बच्चों का आधा दिमाग

बच्चों का मस्तिष्क बहुत तेज़ी से विकसित होता है लेकिन इसके विकास का स्तर ऐसा है कि यह जन्म के बाद पहले ९० दिनों में व्यस्क स्तर के आधे स्तर तक विकसित हो जाता है, यह पता चला है एक बहुत ही महत्वपूर्ण रिसर्च के द्वारा।

वैज्ञानिकों को इस अध्ययन से मस्तिष्क से जुड़ी कुछ बीमारियों की जड़ तक भी पहुंचने में मदद मिलेगी।

मस्तिष्क के इतने तेज़ी से विकास का समाचार सुनने के बाद मेरा ध्यान दो-तीन मुद्दों की तरफ़ जा रहा है। 

स्तनपान...... दुनिया के सारे चिकित्सक माताओं को जन्म के तीन महीने तक केवल अपना स्तनपान करवाने की ही सलाह देते हैं। यह दूध न हो कर एक अमृत है.....जो बढ़ते हुए बच्चे के लिए एक आदर्श खुराक तो है , यह उस बच्चे को कईं तरह की बीमारियों से भी बचा कर रखता है। 

जब बच्चा पहले तीन माह तक मां के दूध पर ही निर्भर रहता है तो वह बाहर से दिये जाने वाले दूध-पानी की वजह से होने वाली विभिन्न तकलीफ़ों से बचा रहता है। यह तो आप जानते ही हैं कि पहले तीन महीने तक तो चिकित्सक बच्चे को केवल मां के दूध के अलावा कुछ भी नहीं----यहां तक कि पानी भी न देने की सलाह देते हैं। 

अब विचार करने वाली बात यह है कि जिस मां के दूध पर बच्चा पहले तीन महीने आश्रित है और जिस के दौरान पहले तीन महीनों में ही उस का मस्तिष्क आधा विकसित होने वाला है, उस मां की खुराक का भी हर तरह से ध्यान रखा जाना चाहिए....यह बहुत ही, बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी बात है। 

चूमा-चाटी से परहेज..   और मुझे ध्यान आ रहा था कि पहले हम देखा करते थे कि बच्चे जब पैदा होते थे तो कुछ दिन तक अड़ोसी-पड़ोसी, रिश्तेदार आदि उस के ज़्यादा खुले दर्शन नहीं कर पाते थे.....हां, झलक वलक तो देख लेते थे, लेकिन यह चूमने-चाटने पर लगभग एक प्रतिबंध सा ही था......कोई कुछ नहीं कहता था, लेकिन हर एक को पता था कि नवजात शिशु पर पप्पियां वप्पियां बरसा कर उसे बीमार नहीं करना है। अब लगने लगा है कि लोग इस तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं देते......

लेिकन अब यह रिसर्च ध्यान में आने के बाद लगता है हम सब को और भी सजग रहने की ज़रूरत है.....

और एक बात, डाक्टर लोग जैसे बताते हैं कि जन्म के बाद बच्चे को चिकित्सक के पास डेढ़ माह, अढ़ाई माह और साढ़े तीन माह के होने पर लेकर जाना चाहिए, यह सब भी करना नितांत आवश्यक है क्योंकि इस के दौरान शिशुरोग विशेषज्ञ उस के विकास के मील पत्थर (Development mile-stones) चैक करता है, स्तनपान के बारे में चंद बातें करता है, उस के सिर के घेरे को टेप से माप कर उस के विकास का अंदाज़ा लगाता है। 

यह पोस्ट केवल यही याद दिलाने  के लिए कि पहले तीन माह तक बच्चे का विशेष ध्यान रखा जाना क्यों इतना ज़रूरी है, क्यों उसे केवल मां ही दूध ही दिया जाना इतना लाजमी है, इस का उद्देश्य केवल उसे दस्त रोग से ही बचाना नहीं है......

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