शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

एक भयानक किस्म की दलाली...


आज सुबह मैंने कुछ समय पहले मेल खोली तो एक मेल दिखी किसी पापुलर पोर्टल से कि आप बच्चों की इम्यूनिटी के बारे में लिखो और बहुत से इनाम आप का इंतज़ार कर रहे हैं।
मैंने आज तक कभी इस तरह के आमंत्रण पर कुछ भी नहीं लिखा, क्योंकि ऐसे हरेक केस में एक लोचा तो होता ही है…और सब से बड़ी बात यह कि इस तरह से कोई कहे कि इस पर लिखो …इस पर यह कहो….यह मुझ से बिल्कुल भी नहीं होता और एक तरह से अच्छा ही है। सिरदर्द होता है कि कोई कमर्शियल इंटरेस्ट वाली साइट तरह तरह के इनामों का प्रलोभन देकर कहे कि यह लिखो, वो लिखो………सब बेकार की बातें हैं।
अपने लेखन में पूरी इमानदारी बरती है इसलिए अपने बच्चों को भी उन्हें पढ़ने को कह देता हूं… वे भी ज़रूरत पढ़ने पर मेरे लेखों को खंगालने लगते हैं, ऐसे में कैसे इस तरह के प्रायोजित लेखन के लिए हामी भर दूं।
अच्छा तो जब पढ़ा कि यह लेख बच्चों की इम्यूनिटी के बारे में है कि उन की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाई जाए….तो ध्यान आया कि चलो यार इस पर लेख ज़रूर लिखेंगे, इनामों की तो वैसे ही कौन परवाह करता है, मैकबुक प्रो पर काम कर रहा हूं …और वहां तो मैकबुक एयर ही पहला ईनाम है।
मेरी मेल पर एक लिंक था कि लेख लिख कर इस लिंक पर जा कर सब्मिट करें। जिज्ञासा वश मैंने उस लिंक पर क्लिक किया … तो सारा माजरा समझ में आ गया.. जो वेबपेज खुला उस पर इस प्रतियोगिता से संबंधित कुछ नियम लिखे थे …लेकिन एक सब से अहम् नियम यह था कि जो भी लेख भेजा जाये उस में फलां फलां टॉनिक का लिंक होना ज़रूरी है।
बात समझते देर न लगी कि यह भी पब्लिक को गुमराह करने का एक गौरखधंधा ही है, जो भी बच्चों की इम्यूनिटी पर लेख पढ़ेगा और उस के अंदर ही एक विशेष किस्म के टॉनिक का लिंक देखेगा तो वह कैसे उसे खरीदे बिना रह पायेगा।
हो सकता है कि साइट चलाने वालों की अपनी अलग तरह की मजबूरी हो, हो तो हो, मुझे क्या, लेकिन अगर हम लोग किसी भी विषय के जानकार इस तरह की दल्लागिरी में पड़ने लगें तो आम आदमी का क्या होगा, यह सोच कर डर लगता है। इस तरह का प्रायोजित लेखन भी एक भयानक दल्लागिरी से क्या कम है………. जब मैंने अपने बच्चों को ही वह टॉनिक कभी नहीं दिया, उस को अफोर्ड भी कर सकते थे, मैं इस तरह के सप्लीमैंट्स का हिमायती ही नहीं हूं ….तो फिर औरों को क्यों इन चक्करों में डाला जाए। वैसे भी देश के बच्चों को टॉनिक नहीं, रोटी चाहिए…….!
यह तो नेट था, लेकिन आज कल कोई भी मीडिया देख लें, हर तरफ़ बाज़ार से ही सजे दिख रहे हैं, समाचार पत्रों में चिकित्सा से जुड़े रोज़ाना बीसियों विज्ञापन यही दुआ मांग रहे दिखते हैं कि कब कोई खाता-पीता बंदा बीमार पड़े और कब हम उन्हें अस्पताल के बिस्तर पर धर दबोचें……….सब तरह के कमबख्त गोरखधंधे चल रहे हैं, बच के रहना भाई….
दुआ करता हूं कि आप हमेशा सेहतमंद रहें। इम्यूनिटी की चिंता न करें, अगर पेट ठीक ठाक खाने से भरने लगेगा….जंक फूड को निकाल कर…तो इम्यूनिटी भी अपने आप आ ही जायेगी। मस्त रहो,खुश रहो…

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