आज सुबह नवभारत टाइम्स खोला तो दूसरे ही पन्ने पर इस फरमान के दर्शन हो गए।
सोच में पड़ गया मैं कि जितनी मैं हास्पीटल एडमीनिस्ट्रेशन समझ पाया, उस में मुझे तो कभी डाक्टरों की गुणवत्ता के आंकलन का इस तरह का कोई मापदंड दिखा नहीं, और पिछले तीन दशकों में इस तरह के मापदंड के बारे में सुना भी नहीं।
यहां तक कि मैडीकल ऑडिट में भी कभी यह नहीं देखा कि पढ़ाया जाता हो कि डाक्टरों द्वारा कितने मरीज़ देखे गये, यह भी कोई क्वालिटी मैनेजमेंट का इंडीकेटर हो सकते हैं…….सीधी सी बात है, कितने मरीज़ देखे हैं, कितने का इलाज हुआ है, कितना को डिस्पोज़ ऑफ किया गया है, यानि कि कुछ भी……….अगर कोई इस तरह की बात की खबर ले सकता है तो केवल मैडीकल ऑडिट…
ओह हो, मैं भी किन चक्करों में पड़ गया, आज कल तो वैसे ही कुछ डाक्टर ८०- १०० -११० मरीज़ एक दिन में देखते हैं (यह भी एक रहस्य से कम नहीं है) , ऐसे में अगर इन लोगों ने आने वाले समय में तीन गुणा सेलरी की मांग शुरु कर दी तो … या इतना ही कहना शुरू कर दिया कि जिस की सेलरी काट रहे हो, उस के मरीज़ जिस ने देखे, उस डाक्टर की सेलरी में वो रकम भी जोड़ी जाए…
और क्या लिखूं … सरकारी आदेश है तो इस का पालन भी होगा ही। मुझे कुछ विशेष टिप्पणी सूझ नहीं रही है या मैं वैसे ही चुपचाप बैठ कर यह गीत सुनना चाह रहा हूं, आप भी सुनेंगे?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...