कितने हादसे हो गये, छोटी छोटी बच्चियों की ज़िंदगीयां खराब कर डालीं इन तेज़ाब फैंकने वाले हैवानों ने।
दस दिन पहले की बात है मुझे अजमेर स्टेशन पर कुछ काम था, मैं बाहर निकला तो मुझे कुछ किताबें खरीदनी थीं, किसी ने बताया कि सामने ही चूड़ी बाज़ार है, बस वहां से बाएं मुड़ेंगे तो किताबों की दुकानें आ जाएंगी।
मैं जिस रास्ते से जा रहा था तो मैं एक दो दुकानों को देख कर हैरान रह गया कि वहां पर एसिड दुकान के बाहर रखा पड़ा था, बोतलों में --पीले रंग का तेज़ाब...वैसे तो कोई खास बात नहीं, एसिड खरीदना वैसे कौन सा इतना मुश्किल काम रहा है, कोई भी जा कर ले आए। लेकिन जिस तरह से बोतलें तैयार कर उसे दुकान के बाहर रख छोड़ा गया था, उसे देख कर मुझे किसी शरारत, दुर्घटना के अंदेशे का ध्यान आ गया।
कितना घिनौना और पाशविक काम है किसी ठीक ठाक बंदे पर तेज़ाब फैंक कर उस की ज़िंदगी को नर्क बना देना।
९जुलाई २०१३ का दैनिक भास्कर (जयपुर) देख कर आस बंधी ....
दस दिन पहले की बात है मुझे अजमेर स्टेशन पर कुछ काम था, मैं बाहर निकला तो मुझे कुछ किताबें खरीदनी थीं, किसी ने बताया कि सामने ही चूड़ी बाज़ार है, बस वहां से बाएं मुड़ेंगे तो किताबों की दुकानें आ जाएंगी।
मैं जिस रास्ते से जा रहा था तो मैं एक दो दुकानों को देख कर हैरान रह गया कि वहां पर एसिड दुकान के बाहर रखा पड़ा था, बोतलों में --पीले रंग का तेज़ाब...वैसे तो कोई खास बात नहीं, एसिड खरीदना वैसे कौन सा इतना मुश्किल काम रहा है, कोई भी जा कर ले आए। लेकिन जिस तरह से बोतलें तैयार कर उसे दुकान के बाहर रख छोड़ा गया था, उसे देख कर मुझे किसी शरारत, दुर्घटना के अंदेशे का ध्यान आ गया।
कितना घिनौना और पाशविक काम है किसी ठीक ठाक बंदे पर तेज़ाब फैंक कर उस की ज़िंदगी को नर्क बना देना।
९जुलाई २०१३ का दैनिक भास्कर (जयपुर) देख कर आस बंधी ....
बगैर कानून िबक रहा है तेज़ाब, सुप्रीम कोर्ट में अहम् सुनवाई आज..... सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है कि वह एसिड बेचने के कायदे तय करे। वरना कोर्ट इसकी बिक्री पर ही रोक लगा देगी।भास्कर में संपादकीय भी उस दिन था -- तबाही रोकने के लिए तेज़ाब पर ही रोक लगानी चाहिए......
जब पूर्व प्रधानमंत्री एच डी दैवेगोड़ा की पत्नी चेन्नमा पर तेज़ाब फेंका गया तो सारा राष्ट्र भौंचक रह गया था। बारह वर्ष हुए उस वारदात को। उन की पुत्रवधु भी इस हमले का शिकार हुई थी। मामला पारिवारिक कलह का था। हमलावर उन का भतीजा लोकेश था। पूजा कर हरदनहल्ली के शिव मंदिर से बाहर निकली थीं चेन्नमा। लोकेश के हाथ में एक बाल्टी थी। ऊपर पूजा के फूल सजे थे। नीचे तेज़ाब भरा था। वही फैंका। पुलिस को कोई शक न हो सका।तेज़ाब फैंकने वाले किस कदर हैवान होते हैं, इसका सबसे हैरान कर देने वाला वाक्या ईरान का अमीना केस है। चलिए इस के बारे में अगली पोस्ट में बात करते हैं।
कोई हथियार इतना सस्ता, इतनी आसानी से मिलने वाला और इतनी सरलता से हमले में काम आने वाला हो ही नहीं सकता जितना कि तेजाब। और कोई दूसरा हथियार जिस्म और इंसानियत की ऐसी तबाही नहीं ला सकता, जितना कि तेज़ाब। क्योंकि इसे सुरक्षाकर्मी, स्कैनर, मैटल डिटेक्टर पकड़ ही नही ंसकता, सीसीटीवी भी नहीं।
तेज़ाब से मौत नहीं होती, तेज़ाब हर पल मारता है।
सही है। तेजाब बहुत खतरनाक होता है।
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