शुक्रवार, 4 मार्च 2011

पैरों की सेहत—मछली ने संवार दी, कुत्ते ने बिगाड़ दी ?

कुछ साल पहले से यह तो सुनने में आने लगा था कि पैरों की देखरेख भी अब ब्यूटी पार्लर में होती है जहां पर इस के लिये दो-तीन सौ रूपये लगते हैं ...लेकिन इस तरह के क्रेज़ के बारे में शायद ही आप ने सुना हो कि पैरों की साफ़-सफ़ाई के लिये छोटी छोटी मछलियों की मदद लेने की नौबत आ गई है।

इस तरह की साज सज्जा के दौरान एक पानी के टब में जिस में एक विशेष तरह की मछलियां पड़ी रहती हैं उन में पैरों को डुबो दिया जाता है और ये नन्ही मुन्नी मछलियां पैरों पर धीरे धीरे काट कर मृत चमड़ी (dead skin) को उतार देती हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि इस तरह का शौक पालने से तरह तरह की इंफैक्शन का जो खतरा मंडराने की बात होने लगी है, उसे समझने की ज़रूरत है। वैसे भी अपना देसी बलुआ पत्थर (sandstone, पंजाबी में इसे झांवा कहते हैं) इस काम के लिये क्या किसे से कम है ....एकदम सस्ता, सुंदर और टिकाऊ उपाय है, लेकिन अगर किसी को अथाह इक्ट्ठी की हुई दौलत से बेइंतहा खुजली हो तो कोई क्या करे? …. फिर तो शुक्र है कि इस काम के लिये मछली से ही काम चलाया जा रहा है !!

यह खबर देख कर बहुत दुःख हुआ .... रात को एक आदमी सोया, सुबह उठा तो देखता है कि उस के पांव की तीन उंगलियां और पैर का एक हिस्सा उस का पालतू कुत्ता खा गया है.. दरअसल इस आदमी को डायबीटीज़ रोग था जिस की वजह से उस के पैर सुन्न पड़ चुके थे, उन में किसी तरह का कोई अहसास नहीं होता था, इसलिये जब कुत्ता अपना काम कर रहा था तो उसे पता ही नहीं चला...एक दुःखद घटना। मधुमेह के रोगियों को यह खबर चेता रही है कि अपनी ब्लड-शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखें, अपनी पैरों की भी विशेष देख भाल करें, छोटी मोटी तकलीफ़ होने पर विशेषज्ञ से परामर्श लें और रात में अपने कुत्ते को अपने कमरे में न रखें ......यह कुत्ते को अपने साथ रखने वाली बात मैंने कहीं पढ़ी नहीं है, लेकिन इस खबर से तो इस का यही मतलब निकलता है !!
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For diabetics --keep your feet and skin healthy.

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