मंगलवार, 8 अप्रैल 2008

कलम चिट्ठाकारी का असली रूप---हिंदी ब्लोगिंग में पहली बार !





आज सुबह से घर में ही बैठा हुया हूं....पता नहीं क्रियएटिव ज्यूस कुछ ज़्यादा बह रहे हैं...पहले तो इस ब्लाग का यह टेंपलेट बनाने के लिये एक स्लेट पर इस का शीर्षक लिखा....लेकिन फिर ध्यान आया कि इंक-ब्लागिंग की तो बात हो गई...तो चलिये आज मूल रूप से कलम चिट्ठाकारी का ध्यान कर के कुछ लिखा जाये। बस, यह तुच्छ सा प्रयास है। अपने उन महान मास्टरों के नाम जिन्होंने ऐसा लिखने की ट्रेनिंग दी....सब कुछ उन्हीं महान आत्माओं की ही देन है, दोस्तो। अपना तो बस यही है कि अब बड़े होने की वजह से दिमाग चलाना आ गया है, और कुछ नहीं, फ्रैंकली स्पीकिंग !!

जब मैं यह एजवेंचर कर रहा था तो मेरा छठी कक्षा में पढ़ रहा बेटा बहुत रोमांचित हो रहा था....उस ने यह रोशनाई, यह दवात, यह कलम आज पहली बार देखी थी। उस ने भी लिखने की थोड़ी ट्राई की तो है। बस, और क्या लिखूं....कुछ खास नहीं है। बस, उन दिनों की तरफ ही ध्यान जा रहा है जब तख्ती के ऊपर तो इस कलम से लिखना ही पड़ता था...और रोज़ाना नोटबुक पर सुलेख का एक पन्ना भी इसी कलम से ही लिखना होता था...लेकिन समस्या तब एक ही लगती थी कि झटपट लिख कर भी निजात कहां मिलती थी.....जब तक सूखे नहीं कापी को बंद भी कहां कर सकते थे।
बच्चों को अकसर कहता हूं कि उन दिनों की हुई मेहनत रूपी फसल के ही फल आज तक चख रहे हैं। वैसे आप का इस कलम चिट्ठाकारी के बारे में क्या ख्याल है, लिखियेगा। अच्छा लगेगा।

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपका प्रयास अच्छा है। लेकिन हिन्दी चिट्ठाकारी मे इंक ब्लॉगिंग तो काफी समय से हो रही है। जरा यहाँ पर नजर डालिए। आपको ढेर सारे ब्लॉग्स पर इंक ब्लॉगिंग नजर आएगी।

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  2. @जितेन्द्र जी, मैं तो केवल इंक-ब्लागिंग में कलम के इस्तेमाल के कारण इतना इतरा रहा था, और कुछ नहीं। बस यूं ही। ब्लाग पर आने के लिये धन्यवाद।

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  3. अरे बाप रे ,अब तख्ती की बारी हे, वो भी आज कल मे दिख जाये गी,सच आप लोग बह्त मेहनत करते हे,ओर मे तो अभी तक आज्ञा का ज्ञ भी नही लिख पा रहा हु,मजा आया चोपडा जी आप की स्लेट देख कर, बहुत बहुत धन्यवाद

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  4. इंक ब्लागिंग के बारे में काफी पहले मुझे भी फुरसतिया ने ही बताया था और उनके यहाँ काफी पहले से यह मौजूद है.

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  5. @ इष्टदेव जी, अगर आप ने आज से पहले कहीं पर इंक-बलागिंग में कलम और रोशनाई का इस्तेमाल हुया देखा है तो मुझे भी उस का लिंक भेजियेगा। खुशी होगी।

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  6. कलम से लिखने का मजा ही कुछ और है.. कल तक की पोस्ट में आपका हस्तलेख उतना सुन्दर नहीं लग रहा था जितना आज।

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  7. वाह।।
    ये कलम कहॉं से जुगाड़ लाए हमें तो एक बार मांगने पर ऐसा घूरा दुकानदार ने कि मानों हाथी मांग रहे हैं। खिसियाकर रह गए हम।

    खूब याद दिलाया। हम बांस की कलम से तख्‍ती पर लिखा करते थे।

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  8. असली मसिकारी कर रहे हैं सर आप. रोशनाई का जुगाड़ तो हो सकता है पर पापा और दादाजी के जमाने की वो सरकंडे वाली कलम हम कहां से लायेंगे. आपने जरूर संजो कर रखी कलम में नयी जान फ़ूंकी है.
    सागर भाई ने सच कहा, आप के हस्तलेख में कुछ अलग ही चमक है आज. गुरु जी का असर है लगता है.

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  9. मान गए प्रवीण जी,

    हिन्दी चिट्ठाकारी में कलम से लिखने का ये पहला और अनूठा प्रयास है | इंक ब्लागिंग पहले भी हो चुकी है लेकिन रोशनाई और कलम से लिखी से पहली पोस्ट है | बधाई !!!

    लेकिन रोशनाई और कलम कहाँ से जुगाड़ कर ली आपने?

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  10. आपकी लेखनी बहुत सुन्दर है. इकदम मोतियों जैसी. काश मैं भी इतना अच्छा लिख पाता!

    कलम और इंक का इस्तेमाल पहली बार करने के लिये बधाई.

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  11. अति सराहनीय..बरसों बाद किसी को नरकट की कलम इस्तेमाल करते देखा..कितनी पुरानी यादें घिर आईं. आप का हस्तलेख काबिले तारीफ है, बधाई.

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  12. बंधुओ, यह जो आप को रोशनाई और कलम के जुगाड़ के बारे में उत्सुकता हो रही है, यह तलाश तो ,बंधुओ, अपने आप में एक-दो पोस्टों का सामान थी।जैसे मसिजीवी ने बतलाया कि जब उन्होंने दुकानदार से यह सब मांगा तो उस ने ऐसे देखा जैसे कि कोई हाथी मांग रहा था....मेरे अनुभव भी कुछ ऐसे ही थे। लेकिन मुझे अचानक ध्यान आया कि यह सब चीज़ें अब कोई छात्र इस्तेमाल करे या ना करे, ये सब बीएड के छात्र जरूर अपने प्रोजैक्ट बनाने में इस्तेमाल करते होंगे...हां, हां, बिल्कुल गूगल सर्च की ही तरह..जब वह दो शब्दों से नहीं मानती तो हम दो और शब्द ढूंढ कर कुछ अडवांस सर्च करते हैं ना, बस कुछ कुछ उस तरह ही । बस, यह तरकीब काम कर गई और पुरानी से दुकान ढूंढ ही निकाली ।
    सागर नाहर जी, बहुत बहुत धन्यवाद। और ओझा जी, आप की फरमाइश तख्ती वाली भी दो-चार दिन में पूरी होने ही वाली है क्योंकि तख्ती का जुगाड़ हो चुका है। मेरा यह सब कुछ करने का मकसद यह भी है कि भावी पीढ़ी के लिए कुछ चिन्ह तो कम से कम छोड़ दें...जैसा कि मैंने पोस्ट में भी लिखा कि मेरे छठी कक्षा में पढ़ रहे बेटे ने यह सारे सौदे आज पहली बार ही देखे थे।
    डा अजीतकुमार जी, नीरज रौहिल्ला जी बहुत बहुत धन्यवाद। मैथिली जी, कोई परवाह किये बिना आप भी लिखना शुरू तो कीजिये। समीर लाल जी, आप का धन्यवाद तो विशेष रूप से है क्योंकि यह आप ने ही मुझे इस तरह लिखने का नाम इंक-बलागिंग आपने ही तो बतलाया था, धन्यवाद। वैसे एक बात है, बंधुओ, दिन तो मेरा पूरा लग गया लेकिन आप सब के संदेश पा कर लगता है मेहनत सफल हो गई।

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  13. डाक्टर साहब। आप का प्रयास सराहनीय है। अपने जमाने के औजार नई पौध को दिखाने के लिए। लेकिन लोग चड़स, से रहँट और फिर मैकेनिकल पम्प की और बढ़ते हैं, पम्प से चड़स की ओर नहीं। अब तो टिपियाने का जमाना है। ब्लॉगिंग उसी की देन है। अगर कम्प्यूटर न होता तो यह ब्लॉगिंग देखने को नहीं मिलती। आप एक म्युजियम जरुर बनाते जा रहे हैं अपने ब्लॉग पर।

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  14. बहुत सुन्दर! बहुत अच्छा हस्तलेख है आपका। मजा आ गया इसे देखकर। आप कभी-कभी इंकब्लागिंग करते रहें। न हो तो अपने नुस्खे ही कभी स्कैन करके डालते रहें।

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  15. बहुत सुन्दर। ऐसे ही लिखते रहें कभी-कभी। अक्सर भी। :)

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  16. आप की तो लेखनी भी इतनी सुन्दर है ! हम क्या खाकर करने बैठेंगे इंक ब्लॉगिंग ।

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