गुरुवार, 3 जनवरी 2008

पौरूषता बढ़ाने वाले सप्लीमेंटस से सावधान !!-----मैं नहीं, अमेरिकी एफडीआई यह कह रही है....




अमेरिकी फूड एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने लोगों को ऐसे खाद्य़ पदार्थों को खरीदने अथवा खाने से मना किया है जिन की मार्केटिंग ही पौरूषता की कमी के मामले ठीक करने वाले डाइटरी सप्लीमेंटस के रूप में की जा रही है ---इस चेतावनी का कारण यह है कि इन पदार्थों को खाने से कुछ लोगों का ब्लड-प्रेशर खतरनाक लेवल तक गिर सकता है। इन पदार्थों को चीन में बनाया गया है।

चिंता की बात यही है ,दोस्तो, कि चाहे इन की मार्केटिंग डायटरी सप्लीमेंटस के रूप में की जाती है, लेकिन इन में एक्टिव दवाईयां भी होती हैं जिन के बारे में इस की पैकिंग पर कुछ नहीं लिखा होता और वैसे जिन दवाईयों को बिना डाक्टरी नुस्खे के कोई खरीद नहीं सकता। इसलिए एफडीआई के अनुसार ऐसे उत्पाद गैर-कानूनी हैं क्योंकि इन्हें एफडीआई की एपरूवल प्राप्त नही है। आप भी उत्सुक हो रहे होंगे कि ऐसा क्या मिला है इन चीनी खाद्य पदार्थों में कि एफडीआई इतना भड़क गई है। दोस्तो, इन सप्लीमेंटस में सिलडिनाफिल नाम की दवाई मिली हुई है, जी हां, बिलकुल वही जो वियाग्रा में होती है। अब, आप देखें कि वैसे तो वियाग्रा डाक्टरी सलाह से ही लेनी चाहिए----अब अगर इसे दवाई से लैस कुछ खाद्य पदार्थों को अगर लोग कुरमुरे की तरह छकने लगेंगे तो क्या होगा !!---अब जब डाक्टर किसी को यह दवाई दे रहे हैं ,तो उस बंदे के स्वास्थ्य के बारे में सारी खबर उस को रहती है। लेकिन अगर इन से लैस डिब्बों कोलोग डाइटरी सप्लीमेंटस के रूप में ही लेने लगें तो फिर तो .....। वास्तव में खतरा यही है कि ये दवाईयां जिन की सूचना डिब्बे के ऊपर नहीं की गई होती, ये नाईट्रेटस नामक दवाईयों की वर्किंग के साथ कुछ पंगा ले कर इन सप्लीमेंटस को लेने वालों में ब्लड-प्रेशर का स्तर खतरनाक लेवल तक गिरा सकती हैं। डायबिटीज़, हाई ब्लड-प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रोल एवं हृदय रोग वाले मरीज़ सामान्यतयः ये नाइट्रेटस नामक दवाईयां लेते है। थोडी़ बहुत पौरूषता की कमी (इरैक्टाइल डिसफंक्शन) इन मैडीकल अवस्थाओं में आम समस्या है---ऐसे में इन खाद्य़ पदार्थों को खाना कितना जोखिम भरा है, यह अब हम जानते हैं। अब भला अमेरिका यह सब कैसे बरदाशत कर सकता है....

रही अपने यहां की बात, यहां तो,दोस्तो, सब कुछ बिलकुल धड़ल्ले से बिक रहा है......पता ही नहीं, सड़क के किनारे तंबू गाड़ कर नीम हकीम इस पौरूषता को बढ़ावा देने के लिए इस देश के आम बंदे को क्या क्या पुड़ीयों में डाल कर खिलाए जा रहे हैं। अमेरिका वालों को यह तो पता चल गया कि उन के बंदे क्या खा रहे हैं........हमें तो अफसोस इस बात का ही है कि हमें तो यह भी नहीं पता कि हमारे बंदे इन नीम हकीमों एवं खानदानी दवाखानों से क्या क्या ले कर छके जा रहे है। और जब इन को कुछ हो भी जाता होगा....तो हम ही लोग बड़ी लापरवाही की चादर ओड़ कर यही कह कर बात आई-गई कर देते हैं कि इस की लिखी ही इतनी थी।
वैसे , मुझे तो यह भी लगता है कि जब ये चीनी सप्लीमेंटस अमेरिका वाले अपने देश से बाहर निकाल देंगें-----फिर यही सप्लीमेंटस हमारे देश के चाइनों बाज़ारों में ही बड़े धडल्ले से बिकेंगे......................क्या आप को भी ऐसा ही लग रहा है??

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