दो तीन दिन पहले मैं मुंबई के क्रॉसवर्ड में कुछ किताबें खरीद रहा था ..अचानक मेरी नज़र एक किताब पर पड़ी...उस का शीर्षक ही बड़ा आकर्षक लगा...किताब का टाईटल था ..गुरू- भारत के जाने-माने बाबाओं के किस्से..
वैसे तो कहां यह सब बातें शेयर करने की फ़ुर्सत रहती है कि हम लोग कौन सी किताब पढ़ रहे हैं, कौन सा सीरियल देख रहे हैं...पहले यह रिवाज होता था जब मेरी मौसी पोस्ट-कार्ड में लिख भेजती थी कि उन्होंने घरौंदा देख ली, खिलोना दो बार देख ली, तलाश के गाने गजब के हैं...आज कल हम लोग खामखां दूसरे वाट्सएप जैसे कामों में अधिक व्यस्त रहते हैं!
जी हां, मैं दो तीन दिनों से ही इस किताब को ही पढ़ रहा हूं...इस में किन किन बाबाओं के किस्से दर्ज हैं, इस की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं...
और मैं चाहता हूं कि इस किताब के बेक-कवर पर लिखी टिप्पणी को भी आप अच्छे से पढ़ें...अगर ठीक से न पढ़ा जाए तो इस तस्वीर पर क्लिक करेंगे तो आराम से पढ़ पाएंगे..
मैं तीन चार बाबा लोगों के बारे में ही अभी तक पढ़ पाया हूं...और हैरान हूं ..(बहुत हल्का शब्द है हैरान, मैं एक तरह से Shocked ही हूं) इस किताब के किस्सों को देख-पढ़ कर ... पहली बात तो यह कि जो पिछले कुछ दशकों से कुछ बाबा लोगों के बारे में सुनते आ रहे हैं, वे सब बातें सच ही हैं...ऐसा मुझे यह किताब पढ़ने पर ही पता चल रहा है।
मन ही मन मैं ऐसी किताब लिखने वाले लेखक की हिम्मत की दाद देता हूं..वरना मेरे जैसे लोग तो अपने ब्लॉग पर भी तोल-तोल के लिखते हैं।
इस पढ़ते हुए मुझे यह भी ध्यान आ रहा है कि इस तरह की किताबें आमजन तक पहुंचनी चाहिए...यह निहायत ज़रूरी बात है ...किताबें पढ़ने से ही हम बहुत सी बातों से रू-ब-रू हो पाते हैं...किताब की डिटेल्स तो आपने देख ही ली होगी..अगर आप को किताब कहीं से नहीं भी मिले तो मेरी सलाह है कि इन बाबा लोगों के बारे में आप नेट से भी विकिपीडिया जैसी जगह से पढ़ सकते हैं...इस किताब में जो बातें दर्ज हैं, उन का संदर्भ भी किताब के आखिर में लिखा गया है। यह किताब की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
मुझे यह किताब पढ़ते पढ़ते यही लगा कि ये सब कितना बड़ा खेल होता है, ये बाबा लोग कितने शक्तिशाली होते हैं, कैसे सत्ता के केंद्र बन जाते हैं, सत्ता के गलियारों तक इन की पहुंच...ये बातें इतनी डिटेल में मैं पहले नहीं जानता था।
संयोग भी क्या है देखिए कि आज मैंने यह शेयर करने की सोची कि मैं कौन सी किताब पढ़ रहा हूं..और आज ही मध्य-प्रदेश में पांच बाबाओं के राज्यमंत्री की खबर दिख गई...अभी टीवी लगाया तो एनडीटीवी पर रवीश भी सारी बात समझाने की कोशिश कर रहा था...
यही सोच रहा हूं कि ये लेखक, पत्रकार लोग भी ग्रेट होते हैं...ये हमारी आंखे और कान हैं....हम तक वे बातें पहुंचाते हैं जिन्हें हम अपने स्तर पर शायद कभी जान ही न पाते ...फिर भी सुनिए सब की, पढ़िए सब कुछ, देखिए भी ... फिर भी अपनी आंखे, कान और दिमाग खुला रखिये...सब कुछ आप के विवेक पर भी निर्भर करता है ...और रही बाबा लोगों की बात, किसी को परिवार में भी कोई रास्ता दिखाने-समझाने की कतई कोशिश मत करिए...हर किसी को अपने हिस्से का सच तलाशने का हक है। है कि नहीं?
वैसे तो कहां यह सब बातें शेयर करने की फ़ुर्सत रहती है कि हम लोग कौन सी किताब पढ़ रहे हैं, कौन सा सीरियल देख रहे हैं...पहले यह रिवाज होता था जब मेरी मौसी पोस्ट-कार्ड में लिख भेजती थी कि उन्होंने घरौंदा देख ली, खिलोना दो बार देख ली, तलाश के गाने गजब के हैं...आज कल हम लोग खामखां दूसरे वाट्सएप जैसे कामों में अधिक व्यस्त रहते हैं!
जी हां, मैं दो तीन दिनों से ही इस किताब को ही पढ़ रहा हूं...इस में किन किन बाबाओं के किस्से दर्ज हैं, इस की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं...
और मैं चाहता हूं कि इस किताब के बेक-कवर पर लिखी टिप्पणी को भी आप अच्छे से पढ़ें...अगर ठीक से न पढ़ा जाए तो इस तस्वीर पर क्लिक करेंगे तो आराम से पढ़ पाएंगे..
मैं तीन चार बाबा लोगों के बारे में ही अभी तक पढ़ पाया हूं...और हैरान हूं ..(बहुत हल्का शब्द है हैरान, मैं एक तरह से Shocked ही हूं) इस किताब के किस्सों को देख-पढ़ कर ... पहली बात तो यह कि जो पिछले कुछ दशकों से कुछ बाबा लोगों के बारे में सुनते आ रहे हैं, वे सब बातें सच ही हैं...ऐसा मुझे यह किताब पढ़ने पर ही पता चल रहा है।
मन ही मन मैं ऐसी किताब लिखने वाले लेखक की हिम्मत की दाद देता हूं..वरना मेरे जैसे लोग तो अपने ब्लॉग पर भी तोल-तोल के लिखते हैं।
इस पढ़ते हुए मुझे यह भी ध्यान आ रहा है कि इस तरह की किताबें आमजन तक पहुंचनी चाहिए...यह निहायत ज़रूरी बात है ...किताबें पढ़ने से ही हम बहुत सी बातों से रू-ब-रू हो पाते हैं...किताब की डिटेल्स तो आपने देख ही ली होगी..अगर आप को किताब कहीं से नहीं भी मिले तो मेरी सलाह है कि इन बाबा लोगों के बारे में आप नेट से भी विकिपीडिया जैसी जगह से पढ़ सकते हैं...इस किताब में जो बातें दर्ज हैं, उन का संदर्भ भी किताब के आखिर में लिखा गया है। यह किताब की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
मुझे यह किताब पढ़ते पढ़ते यही लगा कि ये सब कितना बड़ा खेल होता है, ये बाबा लोग कितने शक्तिशाली होते हैं, कैसे सत्ता के केंद्र बन जाते हैं, सत्ता के गलियारों तक इन की पहुंच...ये बातें इतनी डिटेल में मैं पहले नहीं जानता था।
संयोग भी क्या है देखिए कि आज मैंने यह शेयर करने की सोची कि मैं कौन सी किताब पढ़ रहा हूं..और आज ही मध्य-प्रदेश में पांच बाबाओं के राज्यमंत्री की खबर दिख गई...अभी टीवी लगाया तो एनडीटीवी पर रवीश भी सारी बात समझाने की कोशिश कर रहा था...
यही सोच रहा हूं कि ये लेखक, पत्रकार लोग भी ग्रेट होते हैं...ये हमारी आंखे और कान हैं....हम तक वे बातें पहुंचाते हैं जिन्हें हम अपने स्तर पर शायद कभी जान ही न पाते ...फिर भी सुनिए सब की, पढ़िए सब कुछ, देखिए भी ... फिर भी अपनी आंखे, कान और दिमाग खुला रखिये...सब कुछ आप के विवेक पर भी निर्भर करता है ...और रही बाबा लोगों की बात, किसी को परिवार में भी कोई रास्ता दिखाने-समझाने की कतई कोशिश मत करिए...हर किसी को अपने हिस्से का सच तलाशने का हक है। है कि नहीं?