मंगलवार, 28 जून 2011

बेटीयों को बेटों में बदलने का गोरखधंधा

सैक्स चेंज करवाने संबंधी मेरा ज्ञान केवल उन एक-आध न्यूज़-स्टोरीयों तक ही सीमित है जो यदा कदा मीडिया में दिख जाती थीं... और अकसर विदेशों से इस तरह की बड़ी खबर आया करती थीं कि फलां फलां ने अपना सैक्स चेंज करवा --- पुरूष से महिला बन गया अथवा कोई महिला अपना सैक्स चेंज करवा के पुरूष बन गई।

कल की The Hindu  में मैंने एक समाचार का यह कैप्शन देखा—NCPCR seeks report on genitoplasty in Indore . समाचार का शीर्षक पढ़ कर मुझे कुछ कुछ यही लगा कि होगी यह खबर उस कुप्रथा के बारे में जिस के अंतर्गत छोटी बच्चीयों एवं युवतियों के यौन अंगों को विकृत किया जाता है ...Genital mutilation of females. और एक पल के लिये मुझे लगा कि आज कल कुछ देशों में इन अंगों की पलास्टिक सर्जरी की सनक जो लोगों में सवार है, शायद उस के बारे में कुछ लिखा हो। लेकिन इस खबर को मैंने जैसे ही पूरा देखा तो मेरे पैरों के तले से ज़मीन खिसक गई।

तो सुनिये ... इस देश में बेटे की चाहत में हज़ारों-लाखों बच्चियों को गर्भ में ही कत्ल कर दिया जाता है...इस बात के लिये कोई सरकारी आंकड़ें शायद ही दिखेंगे। अभी कुछ अरसा पहले से यह भी सुनने में आने लगा है कि क्योंकि गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड कर के उस के गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में बताना कि वह लड़की है या लड़का --- चूंकि अब यह काम जोखिम से भर रहा है (Is it really so? ….i doubt!) इसलिये कुछ अन्य तरीकों से –शायद क्रोमोसोमल स्टडीज़ नाम से कोई टैस्ट है जिस के द्वारा भी गर्भ में पल रहे शिशु का सैक्स पता किया जा सकता है। फिर यह आफ़त आई कि अब इस तरह की टैस्ट किट इंटरनेट पर उपलब्ध होने की वजह से भ्रूण-हत्या के लिये इस का गल्त प्रयोग किया जायेगा। लेकिन मैं जिस खबर की बात कर रहा हूं उस से तो हद ही हो गई....।

शायद मैंने कल यह पहली बार पढ़ा था कि बेटे को पाने की चाहत का सिरफिरापन इस कद्र बढ़ गया कि इस देश में इंदोर में सैंकड़ों छोटी छोटी बच्चियों का सैक्स परिवर्तन कर के उन्हें लड़का बना दिया गया ... अगर आप का ट्विटर एकाउंट है तो हैश genitoplasty ( #genitoplasty) कर के ट्विटर सर्च करिये और देखिए इंदोर की इस भयानक खबर के बहुत से लिंक।


उस समाचार में यह खुलासा किया गया है कि पांच साल की छोटी छोटी बच्चियों का भी यह आप्रेशन किया जा रहा है ---इस पर लगभग डेढ़ लाख के करीब खर्च आता है और ज़्यादातर लोग बड़े शहरों से आकर ये आप्रेशन करवाते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इंदौर के नामचीन सर्जन –प्राइव्हेट एवं सरकारी अस्पतालों से ये आप्रेशन कर रहे हैं, पढ़ कर बेहद दुःख हुआ। बस यही पढ़ना सुनना बाकी रह गया था।

इसलिये नैशनल कमीशन फॉर प्रोटैक्शन ऑफ चाइल् राइट्स (National Commission for protection of Child Rights)  ने इस तरह के केसों के बारे में मध्यप्रदेश सरकार से पूरी छानबीन कर के रिपोर्ट भेजने को कहा है।
दरअसल जैनिटोप्लास्टी आप्रेशन की मैडीकल कारणों से कुछ केसों में ज़रूरत पड़ सकती है जब किसी के अंदरूनी सैक्स अंग (internal sex organs) तो पुरूष के हों और बाहरी (external genitals) उस के साथ मैच न करते हों, उन में कोई कमी हो, कोई विकृति हो ताकि जैनिटोप्लास्टी आप्रेशन की मदद से उसे दुरूस्त किया जा सके। मैडीकल कारणों की वजह से यह आप्रेशन महिला में किया जा रहा है या पुरूष में --- Masculanizing Genitoplasty or Feminising Genitoplasty… कहलाता है।

लेकिन बिना किसी मैडीकल सिफारिश के किसी लड़की को लड़का बनाने का यह धंधा अमानवीय है, घोर निंदनीय है ..... कल जब मैं इस के बारे में नेट पर कुछ रिपोर्ट देख रहा था तो मैं यह देख कर भी अचंभित हुआ कि जो मां-बाप अपनी बच्चियों को इस तरह के आप्रेशन करवाने के लाते हैं उन्हें स्पष्टता से यह बता दिया जाता है कि इस तरह से बेटे आगे संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाएंगे .....लेकिन फिर भी वे इस तरह के आप्रेशन के लिये सहमत हो जाते हैं.....छोटी छोटी बच्चियों की तो सहमति का प्रश्न ही कहां उठता है। और तो और, इस तरह के अनऐथिकल (unethical) आप्रेशन करने के बाद उन “ बेटों ’ को तरह तरह की हारमोनल दवाईयां भी दी जाती हैं.........................आप का इस समाचार के बारे में क्या ख्याल है, सिर दुःखता है न यह सब पढ़ कर, कल मेरा सिर भी भारी हो गया यह सब जान कर कि इतने इतने अमानवीय धंधे पनप रहे हैं और इंदौर जैसे व्यवसायिक शहर में।

लेकिन इंदौर की हो क्यों बात करें, रिपोर्ट इंदौर से आई है, पता नहीं और कहां कहां ये सब गोरखधंधे चल रहे होंगे। और नैशनल कमीशन फॉर प्रोटैक्शन ऑफ चाइल् राइट्स ने तो यह भी कहा है कि यह वह मामला नहीं कि किसी आप्रेशन के लिये मां बाप राजी हैं, सर्जन राजी है तो इस तरह के आप्रेशन कर दिये जाएं .....लेकिन इस तरह के आप्रेशनों के लिये डाक्टरों की एक कमेटी यह तय करती है कि क्या उस लड़की अथवा लड़के में मैडीकल कारणों की वजह से वह केस ज़रूरी है या नहीं।

देखते हैं कब इस तरह के धंधों पर रोक लगती है ...... अभी तो ये सब रहस्य अतीत के या आने वाले समय के गर्भ में ही है।