इस सुपर-डुपर पंजाबी गीत....बैठ के त्रिंजनां च सोहनीये...........पंजाबी मुंडा अपनी सोहनी से पूछ रहा है कि तुम त्रिंजनां( जब मुटियारां इक्ट्ठी हो कर बैठती हैं तो उसे त्रिंजन कहते हैं) ...में बैठ कर जब चादर पर कढ़ाई कर के फूल निकाल रही होती हो तो किस को याद कर के अपने लाल-लाल होंठों को दुपट्टे में छिपा कर हंसती रहती हो। यह भी बताओ कि वह कौन है जिस के लिये तुम इतना श्रृंगार करती हो !...यह भी बताओ कि तुम अंधेरी बन कर किस गबरू के ऊपर फिदा हो गई हो। वह कौन है जिस के लिये तुम अपनी उंगलियों में छल्ले डालने लग गई हो और अमावस्या के मेले पर भी आने लग पड़ी हो।
मुझे तो यह पंजाबी गीत बेहद पसंद है ...आप भी सुनिये।