दांतों के किनारे पर जमी हुई मैल की परत..टारटर |
अगर मैं कहूं कि यह तस्वीर शायद बहुत से भारतीयों के मुंह की तस्वीर है तो शायद अतिशयोक्ति न होगी... क्योंकि जैसा आप महिला के मुंह में देख रहें कि दांतों के किनारे किनारे मैल की परत जमी हुई है....इसे डैंटल भाषा में टारटर कहते हैं....यह सीधा ऐसे ही नहीं जम गया......पहले इस स्थान पर प्लॉक बनता है--मैल की पतली सी झिल्ली जो बाद में पड़ी पड़ी इस तरह की ढीठ हो कर पत्थर जैसी बन जाती है।
यही पायरिया रोग की जड़ है.....आप देख सकते हैं किस तरह से नीचे के दांतों के मसूड़े भी सूजे से हुए हैं। पर इस मोहतरमा को इस सब से कोई परेशानी नहीं है, शिकायत नहीं है। लेिकन अगर ये बहुत समय तक बिना इलाज के रही तो यह पायरिया बढ़ कर नीचे जबड़े की हड्डी में चला जाएगा.....मसूड़ें दांतों को छोड़ने लगेंगे, मसूड़ों से पस निकलने लगेगी, दांत हिलने लगेंगे....भयानक किस्म की बदबू मुंह से आने लगेगी आदि आदि।
इसी महिला के मसूड़े भी फूले हुए हैं...इसे जिंजीवाईटिस भी कहते हैं |
टीवी..अखबारों में विज्ञापन में दिखाई जाने वाली ठंडा-गर्म पेस्टों को अपनी मर्जी से ना खरीद लिया करें......इस से कुछ फायदा होने वाला नहीं...बेकार में आप की परेशानी खत्म होने की बजाए, कुछ समय के लिए शायद दब जाए, और फिर बाद में ज़्यादा उग्र रूप ले लेगी....और अगर कहीं परेशानी दब गई तो आप समझने लगते हैं कि फलां फलां ने तो कमाल कर दिया.......नहीं ऐसा कमाल हो ही नहीं सकता, दांत की तकलीफ़, मसूड़ों की तकलीफ़ के लिए प्रशिक्षित एवं अनुभवी दंत चिकित्सक का रूख करना ही होगा।
वैसे बीमारी होते हुए भी अगर मरीज़ के मुताबिक उस में कोई भी लक्षण न हों, और उसे परेशानी न हो, तो यकीन मानिए, मरीज़ को इलाज के लिए तैयार करने में प्यारी नानी याद आ जाती है, हमें यही होता है कि रोग तो इस में हैं, अगर इलाज अभी नहीं हुआ तो यह आगे बढ़ता बढ़ता इतना बढ़ जाएगा कि हम अकसर फिर कुछ कर नहीं पाते......पायरिया जब हद से बढ़ कर हड़्डी में पहुंच जाता है तो इलाज करना और करवाना हर एक के बस की बात भी नहीं होती....बेहतरी इसी में है कि समय रहते ही इस तरफ़ ध्यान दे कर, सांसों को महकाए रखा जाए। आप का क्या ख्याल है?
अपना ख्याल रखिएगा।