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गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

पायरिया रोग बिना लक्षणों के भी पनपता रहता है...

दांतों के किनारे पर जमी हुई मैल की परत..टारटर 
यह तस्वीरें जिस महिला के मुंह की हैं, इस की उम्र कुछ ज्यादा नहीं है, यही ३०-३५ के पास ही रही होगी.....दो दिन पहले मुझे दिखाने आईं थी कि दांतो में थोड़ा ठंडा लगने लगा है।

अगर मैं कहूं कि यह तस्वीर शायद बहुत से भारतीयों के मुंह की तस्वीर है तो शायद अतिशयोक्ति न होगी... क्योंकि जैसा आप महिला के मुंह में देख रहें कि दांतों के किनारे किनारे मैल की परत जमी हुई है....इसे डैंटल भाषा में टारटर कहते हैं....यह सीधा ऐसे ही नहीं जम गया......पहले इस स्थान पर प्लॉक बनता है--मैल की पतली सी झिल्ली जो बाद में पड़ी पड़ी इस तरह की ढीठ हो कर पत्थर जैसी बन जाती है।

यही पायरिया रोग की जड़ है.....आप देख सकते हैं किस तरह से नीचे के दांतों के मसूड़े भी सूजे से हुए हैं। पर इस मोहतरमा को इस सब से कोई परेशानी नहीं है, शिकायत नहीं है। लेिकन अगर ये बहुत समय तक बिना इलाज के रही तो यह पायरिया बढ़ कर नीचे जबड़े की हड्‍डी में चला जाएगा.....मसूड़ें दांतों को छोड़ने लगेंगे, मसूड़ों से पस निकलने लगेगी, दांत हिलने लगेंगे....भयानक किस्म की बदबू मुंह से आने लगेगी आदि आदि।

इसी महिला के मसूड़े भी फूले हुए हैं...इसे जिंजीवाईटिस भी कहते हैं
लेकिन ये सब शुरूआती दौर के पायरिया रोग के वे लक्षण हैं जो मरीज़ को नहीं दंत चिकित्सक को साफ साफ दिख जाते हैं....ऐसे में क्या करें, कुछ नहीं, बस...दंत चिकित्सक से इस का इलाज करवाएं.....दांतों को सही ढंग से साफ़ करने का तरीका उस से सीखें......रोज़ाना रात को सोने से पहले अच्छे से ब्रुश करिए, कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करें, तंबाकू उत्पादों से मीलों दूर रहें......और क्या, कुछ नहीं।

टीवी..अखबारों में विज्ञापन में दिखाई जाने वाली ठंडा-गर्म पेस्टों को अपनी मर्जी से ना खरीद लिया करें......इस से कुछ फायदा होने वाला नहीं...बेकार में आप की परेशानी खत्म होने की बजाए, कुछ समय के लिए शायद दब जाए, और फिर बाद में ज़्यादा उग्र रूप ले लेगी....और अगर कहीं परेशानी दब गई तो आप समझने लगते हैं कि फलां फलां ने तो कमाल कर दिया.......नहीं ऐसा कमाल हो ही नहीं सकता, दांत की तकलीफ़, मसूड़ों की तकलीफ़ के लिए प्रशिक्षित एवं अनुभवी दंत चिकित्सक का रूख करना ही होगा।

वैसे बीमारी होते हुए भी अगर मरीज़ के मुताबिक उस में कोई भी लक्षण न हों, और उसे परेशानी न हो, तो यकीन मानिए, मरीज़ को इलाज के लिए तैयार करने में प्यारी नानी याद आ जाती है, हमें यही होता है कि रोग तो इस में हैं, अगर इलाज अभी नहीं हुआ तो यह आगे बढ़ता बढ़ता इतना बढ़ जाएगा कि हम अकसर फिर कुछ कर नहीं पाते......पायरिया जब हद से बढ़ कर हड़्डी में पहुंच जाता है तो इलाज करना और करवाना हर एक के बस की बात भी नहीं होती....बेहतरी इसी में है कि समय रहते ही इस तरफ़ ध्यान दे कर, सांसों को महकाए रखा जाए। आप का क्या ख्याल है?

अपना ख्याल रखिएगा। 

रविवार, 14 दिसंबर 2014

पायरिया के लिए आचार्य बालकिशन का फार्मूला




यह जो पोस्ट मैंने ऊपर एम्बैड की है, मैं इसे फेसबुक पर कईं बार देख चुका हूं.....अभी भी कुछ ज़रूरी काम कर रहा था तो इस पर नज़र पड़ गई, मैंने सोचा कि काम बाद में हो लेंगे, पहले पायरिया जैसे रोग के बारे में जिस को देखते, इलाज करते ३० वर्ष से भी ऊपर हो गये हैं, उस के बारे में दो बातें कर लें। 

बालकिशन बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, यह मैं मानता हूं.....लोगों को आयुर्वेदिक की तरफ़ प्रेरित करना भी अपने आप में एक बहुत पुण्य का काम है।

इस पोस्ट में बालकिशन ने जो फार्मूला बताया है कि एक गिलास गुनगुने पानी में ३-४ बूंद लौंग का तेल मिलाकर प्रतिदिन गरारे व कुल्ला करने में पायरिया ठीक होता है, मैं इस फार्मूला से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखता......यह फार्मूला इस्तेमाल करने से लोगों को अच्छा महसूस होता होगा, मुंह की मैल निकलती होगी, इधर उधर फंसा खाना बाहर हो जाता होगा, लौंग की वजह से थोड़ी महक अच्छी हो जाती होगी, शायद......क्योंकि मैंने ऐसा न तो किसी किताब में पढ़ा और न ही ऐसी कोई वैज्ञानिक रिसर्च ही देखी कि इस तरह के फार्मूले से पायरिया रोग ही ठीक हो जाता है। वैसे मैं ऐसी किसी भी तरह की वैज्ञानिक जानकारी का स्वागत करूंगा. हो सकता है मेरी जानकारी में ऐसा कुछ न आया हो, मैं तो बस यहां अपने अनुभव की बात रखने आया हूं। 

पायरिया रोग के ऊपर मेरे लगभग दर्जनों लेख इसी ब्लॉग पर उपलब्ध हैं, आप को एक काम करना होगा......ब्लॉग पर जो सर्च आप्शन है, उस में हिंदी में (देवनागरी लिपि में) पायरिया लिखना होगा, सारी लिस्ट आप देख पाएंगें, फिर अपनी इच्छा अनुसार क्लिक कर सकते हैं।

पायरिया रोग होने पर किसी को भी दंत चिकित्सक के पास जाना ही होगा, बिना इलाज के पायरिया रोग ठीक हो ही नहीं सकता, कम से कम मैंने पांच साल अपने टीचरों से यही सीखा, फिर तीस साल तक मेरे अनुभव ने भी मुझे यही सिखाया। 

बालकिशन का मैं सम्मान करता हूं......मैं पहले कह चुका हूं.....बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, लेिकन आज पायरिया के बारे में यह पोस्ट देखी और वह भी लगभग ५०००० लाईक्स के साथ, तो रहा नहीं गया, एक विनम्र टिप्पणी के रूप में ही इस पोस्ट को ठेलने की इच्छा हो उठी। जनता तक प्रोफैशनल दृष्टिकोण भी पहुंचाना बहुत ज़रूरी है।

आप पायरिया पर मेरे कुछ लेख ढूंढ पाएं कि नहीं, चलिए मैं आप को इन के दो चार लिंक्स ही दिए देता हूं.....