अकल की दाड़ की रगड़ से होने वाला ज़ख्म |
यह घाव इसलिए बना हुआ है क्योंकि इस की ऊपर वाली अकल की दाड़ पूरी तरह से नहीं निकल पाई है और जितनी निकली भी है वह भी टेढ़ी-मेढ़ी--तिरछी......इस दाड़ की रगड़ से इसे दो तीन बार पहले भी ज़ख्म हो चुका है.....कुछ अकल की दाड़ें होती हैं जिन के सही ढंग से मुंह के उतरने की हम प्रतीक्षा कर सकते हैं, लेकिन इस युवक की दाड़ उस श्रेणी में नहीं आती।
मैंने इसे बहुत बार कहा है कि इसे निकालने से ही बात बनेगी..वरना बार बार परेशान होते रहोगे। शायद अभी छोटा है, अकेला ही आता है, इसलिए अभी उस के बारे में इतने ध्यान से सुनता नहीं लगता, कोई बात नहीं।
इस घाव का इलाज कुछ विशेष नहीं है....जब भी इस घाव के साथ आता है तो मैं गाल के इस हिस्से में गढ़ रही अकल की दाड़ को थोड़ा सा ग्राईंड कर देता हूं जिससे उस के कोने मुलायम हो जाते हैं ...और यह घाव दो-तीन दिन में ठीक हो जाता है (मरीज़ों की भाषा में सूखने लगता है)..इस के लिए सामान्यतयः किसी ऐंटिबॉयोटिक आदि की ज़रूरत नहीं पड़ती लेकिन इस युवक को तीन-चार दिन लेने पड़े थे जब कुछ महीने पहले इस तरह का जो घाव बना था उस में इंफेक्शन हो गई थी।
साथ में इस घाव पर लगाने के लिए कोई दर्द-निवारक जैल सा दे दिया जाता था, साथ में वही गर्म गुनगुने पानी से कुल्ले.....और क्या, कुछ नहीं.....खाने पीने में थोड़ी एहतियात कि ज़्यादा मिर्च-मसाले से कम से कम दो चार दिन दूर ही रहा जाए, बाकी कुछ भी खाया जाए।
कुछ अन्य लेखों के जरिए आप से शेयर करूंगा कि अकल की दाड़ किस तरह से बहुत बार परेशानी का सबब बनती है।
एक बार सुनाऊं ... बड़ी रोचक.......अकसर लोग अकल की दाड़ और अकल का सीधा सीधा संबंध समझते हैं.....कुछ पूछ भी लेते हैं कि अगर अकल की दाड़ निकलवाएंगे तो समझ पर तो फर्क नहीं पड़ेगा....फिर उन्हें बता दिया जाता है कि इस दाड़ का अकल से केवल इतना संबंध जाता है कि यह आम तौर पर मुहं में तब प्रवेश करती है जब आदमी में बुद्धि का विकास हो रहा होता है.....अर्था्त् १७ से २१ वर्ष की उम्र में यह मुंह में दिख जाती है, इसलिए अकल की दाड़ कहलाती है, बस। तब कहीं जा कर उन की सांस में सांस आती है..और वे दाड़ उखड़वाने के लिए राजी होते हैं।