शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

जाने वाले साल को सलाम...

यह उस दौर की बात है जब हम लोगों के लिए नए साल का मतलब सिर्फ यह होता था कि साल के उन आखिरी दिनों में हमें अपने बाबा आदम के ज़माने वाले रेडियो पर रात के वक्त बिनाका गीत माला सुनाई देती थी ...और मुझे अच्छे से यह भी याद है कि अगर उन दिनों सिबाका गीत माला के दौरान हमारे रेडियो में सिग्नल ठीक से नहीं पहुंच पाता था तो हमारा मूड बहुत ज़्यादा खराब हो जाया करता था...बड़े होने पर पता चला कि वह दिलकश आवाज़ जिस शख्स की होती थी उस महान हस्ती का नाम अमीन सयानी है ... क्या बात थी उस की पेशकश में कि मैं उस दिनों यही कोई तीसरी-चौथी जमात में रहा हूंगा ...लेकिन रेडियो से तो जैसे चिपके रहते थे ...फिर अगले दिन हम लोग स्कूल में चर्चा करते थे कि कौन सा फिल्मी नगमा किस नंबर पर आया ...वह दिन भी क्या मज़ेदार दिन थे ...इस लिंक पर क्लिक करिए और उस दौर को याद करिए....

अच्छा, यह तो हुई बचपन की मासूम सी बातें...हमें कुछ ज़्यादा नए-पुराने साल से मतलब न होता था .. नए साल के आसपास २५ दिसंबर से २-३ जनवरी तक हमारी बड़े दिन की छुट्टियां होती थी, या ठंडी की छुट्टियां (विंटर-वकेशन) होती थीं ...और हमें उदासी थोड़ी सी यह भी होने लगती कि अब तो एक दो दिन में स्कूल खुल जाएंगे ... बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी...फिर वही हिसाब किताब की बातें, साईंस की नीरसता ...सब कुछ वापिस झेलना पडे़गा...ये आठ दिन तो अच्छे से कट रहे थे ...जब चाहे उठे, जब चाहे घूमने निकल गए, फिल्म देखने चले गए....और रेडियो सुनते रहते थे...और इस के इलावा कुछ था भी तो नहीं ...एक डालडे के डिब्बे में भरे कंचों के अलावा ...😂😂

लो जी, हम कालेज पहुंच गए ...१६-१७ साल की उम्र में घर में टी वी आ गया....नए साल का मतलब यह भी होता कि ३१ दिसंबर की रात को दूरदर्शन पर एक बहुत बढ़िया ख़ास प्रोग्राम आया करता था ...पहले दो घंटे शायद दस बजे तक तो जालंधर दूरदर्शन की पेशकश हुआ करती ...फिर दिल्ली से अगले दो घंटे प्रसारण होता ...वाह, क्या बात होती ...उस में देश भर के चुनिंदा कलाकार, गायक अपनी प्रस्तुति देते ...मुझे अच्छे से याद है गुरदास मान का भी उन्हीं दिनों नाम होना शुरू हुआ था ...

 

और हां, उषा उत्थुप को मैं कैसे भूल गया...किस किस का नाम लें....यह प्रोग्राम रात १२ बजे तक चलता था ...फिर हम लोग सो जाते थे ...सारे साल में यही एक दिन होता था जब हम लोग इतना लेट सोते थे ...वरना रात साढ़े नौ बजे या हद १० बजे तक थक-टूट कर नींद आ ही जाती थी ...क्या करते, घर में वही डॉयलाग बार बार सुनने को मिलते ...Early to bed and early to rise ....और मां भी अकसर गुनगुनाया करती ...उठ जाग मुसाफिर भोर भई..अब रैन कहां जो सोवत है....😎


और हां, यह वह दौर था जब लोग एक दूसरे को नये साल के कार्ड भेजा करते थे ...और डाकखानों में उन दिनों काम इतना बढ़ जाता था कि उन की व्यवस्था चोक हो जाया करती थी ...कईं कईं दिन बाद वे कार्ड मिलते थे ....बहुत बार लोगों को शिकायत होती थी कि मिलते भी नहीं थे। आज कल जिस तरह से हर नुक्कड पर मोमोज़ बिक रहे होते हैं ...उन दिनों ऐसे ही नए साल के कार्ड थोक रेट पर बिका करते थे ...यही कोई १५-२० रूपये के १२ ....और किसी को आर्चीज़ से महंगे कार्ड --उन दिनों में भी दस-पंद्रह रूपये वाले कार्ड - भिजवाना कईं बार लोगों की मजबूरी ही लगा करती थी ...जैसा मुझे लगा ... मेरी बात का मतलब आप समझ ही गए होंगे...मैंने कभी यह सब काम नहीं किए....क्या करते, इतने पैसे ही नहीं हुआ करते थे कि इस तरह की चौंचलेबाजी में पड़ा जाए....

फिर देखते ही देखते ....नए वर्ष की पूर्व-संध्या किसी जश्न की बजाए एक शोर में बदल गईं....हर तरफ शोर- शराबा, बे-वजह की दौड़, दिखावा, दारू-शारू....बस, यही सब कुछ....जब से यह चलन शुरु हुआ, तब से नए साल की शुरूआत का जो एक मासूम सा मक़सद अगर हुआ भी करता था वह भी नहीं रहा है....ऊपर से यह वाट्सएप पर नए साल की बधाईयां देने-लेने वालों का तांता...बड़ी चिढ़ है मुझे इन सब संदेशों से ...

मैं यह सोचता हूं कि सुबह उठ कर ...साल नया हो या पुराना....सब से पहले सारी कायनात की सलामती की दुआ कर दें तो उस में सभी लोग शामिल हो जाते हैं...😄मैं किसी को भी बहुत कम नए साल की बधाई भेजता हूं क्योंकि मैं सभी लोगों की सलामती, खुशहाली की दुआ दिल में ही कर लेता हूं ....कईं बार मेरा इन फ़िज़ूल बातों से सिर दर्द ही ट्रिगर हो जाता है और फिर सारा दिन बन्ने लग जाता है ...

अभी बज रहे हैं ११ बज कर ४५ मिनट ...पंद्रह मिनट अभी हैं नए साल के शुरू होने में ...इसलिए अभी यह फिल्मी गीत सुनता सुनता सो रहा हूं ......ताकि न मुझे कोई डिस्टर्ब करे, न ही मैं किसी को करूं ...मै किसी को नए साल की मुबारकबाद का फोन भी नही करता ...क्योंकि मुझे लगता है कि लोग पहले ही ढ़ेरों बधाई संदेशों से त्रस्त होंगे ...उन्हें थोड़ी सांस भी लेने दें...

अच्छा, दोस्तो, इस पोस्ट को पढ़ने वालो, आप सब के लिए २०२२ नईं खुशियां और उमंगे लेकर आए ...और सब से ज़रूरी आप सेहतमंद रहें, खुश रहें, खिले रहें ....और खुशियां बांटते रहें हमेशा ...गुड नाइट ....

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