फैंकना, फैंकू.....आज कल वैसे भी इन शब्दों से बच कर ही रहना चाहिेए...लोग कहने लगते हैं कि फलाना-ढिमका फैंकूं हूं... लेकिन यहां एक फेक वीडियो ...मतलब यहां पर लोगों को गुमराह करने वाली वीडियो की बात हो रही है ...
आप ने भी देखा ही होगा कि कुछ चैनल वालों ने तो इस तरह के प्रोग्राम ही बना दिए हैं जिन में वे सोशल मीडिया पर वॉयरल हो चुके वीडियो के सच को जांचते हैं...और फिर उसे फेक न्यूज़ का ठप्पा लगा देते हैं...
न्यूज़-चैनल के लिए इस तरह का काम कर पाना मुमकिन होता है ...लेकिन मेरे जैसे ब्लॉगर के लिए यह कहां पॉसिबल हो पाता है कि सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों को जांचते-परखते रहें ...दिन भर के अपने दूसरे कामों के साथ यह नहीं हो पाता .. वैसे भी जो लोग इस तरह की न्यूज़-वीडियो शेयर करते हैं उन की भी कुछ तो जिम्मेवारी है ...और जो इन्हें सच मान लेते हैं वह भी कहां बेकसूर हैं ...हर स्तर पर अपनी अपनी जिम्मेवारी है ... लेकिन आप ने कितनी बार देखा है कि कोई विशेषज्ञ जिसे उस विषय का ज्ञान होता है, वह ऐसी किसी झूठी बात का खंडन करता हो ...
लोगों के पास समय ही कहां है, और वैसे भी लोग बात करना ही कहां चाहते हैं....सोच रहा हूं मैं भी इस पचड़े में पड़ना छोड़ दूं.. क्या करना, सब अपना अपना सच खुद टटोला करें... और नहीं तो गूगल चचा से ही पूछ लिया करें....लेकिन देख रहा हूं गूगल के सुझाए हुए वेबलिंक्स में से भी किस पर यकीं करना है किस पर नहीं, यह भी एक सीखने वाली बात है ..जो हर किसी को उस की शैक्षिक एवं बौद्धिक स्तर के अनुसार ही पता चल पाएगी...
अपनी बात कह के छुट्टी करूं.. हां, तो अभी एक वाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो दिखा कि एक मशहूर कंपनी के आटे में प्लास्टिक मिला है ... वीडियो देख कर डर तो लगा ..लेकिन यकीं तब भी नहीं हुआ... कारण? ..एक तो यह कि वह कंपनी बहुत बड़ी कंपनी है ...गुणवत्ता तो देखते ही होंगे ......इसे यह सोच कर बिल्कुल भी मत देखिए कि मैं किसी बड़ी कंपनी की हिमायत कर रहा हूं....यह काम मैंने किसी के लिए भी नहीं किया.... मैडीकल फील्ड में जब यह होने लगता है तो यह बहुत गलत बात है...सच को वैसे भी किसी सहारे की ज़रूरत नहीं होती और झूठ के पांव ही नहीं होते ....
वैसे भी हम कभी एमरजैंसी में ही बाज़ार से इस तरह के पैकेटों में मिलने वाला आटा ही खरीदते हैं ... बड़ा अजीब सा कारण है ... हमें बाज़ार से मिलने वाले आटे की रोटी मैदे की रोटी जैसी लगती है ..जिसे हम अकसर खाते नहीं हैं....आटाचक्की से मोटा पिसा हुआ आटा ही खा पाते हैं... खैर, अपनी अपनी आदते हैं और अपना अपना यकीन है ...
हां, तो मैं एक बड़ी कंपनी के आटे में प्लास्टिक दिखाने वाली वीडियो की बात कर रहा था ...वैसे उसे देखते ही मुझे १५-१६ साल पहले शिशुओं को दिए जाने वाली पावडर दूध जो चीन से आ रहा था, उस में प्लास्टिक की बात याद आ गई ...जिस की वजह से कईं छोटे शिशुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी ... और बहुत से बच्चों के तो गुर्दे खराब हो गये थे ...
इसलिए यह जो वीडियो सोशल मीडिया पर मिली थी ..प्लास्टिक वाले आटे के बारे में ... इस का सच जांचने के लिए गूगल की मदद ली तो पता चला कि यह फेक वीडियो है ... इस के बारे में आप इस लिंक पर क्लिक कर के खुद भी पढ़ सकते हैं ... देख लीजिए...
आप ने भी देखा ही होगा कि कुछ चैनल वालों ने तो इस तरह के प्रोग्राम ही बना दिए हैं जिन में वे सोशल मीडिया पर वॉयरल हो चुके वीडियो के सच को जांचते हैं...और फिर उसे फेक न्यूज़ का ठप्पा लगा देते हैं...
न्यूज़-चैनल के लिए इस तरह का काम कर पाना मुमकिन होता है ...लेकिन मेरे जैसे ब्लॉगर के लिए यह कहां पॉसिबल हो पाता है कि सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों को जांचते-परखते रहें ...दिन भर के अपने दूसरे कामों के साथ यह नहीं हो पाता .. वैसे भी जो लोग इस तरह की न्यूज़-वीडियो शेयर करते हैं उन की भी कुछ तो जिम्मेवारी है ...और जो इन्हें सच मान लेते हैं वह भी कहां बेकसूर हैं ...हर स्तर पर अपनी अपनी जिम्मेवारी है ... लेकिन आप ने कितनी बार देखा है कि कोई विशेषज्ञ जिसे उस विषय का ज्ञान होता है, वह ऐसी किसी झूठी बात का खंडन करता हो ...
लोगों के पास समय ही कहां है, और वैसे भी लोग बात करना ही कहां चाहते हैं....सोच रहा हूं मैं भी इस पचड़े में पड़ना छोड़ दूं.. क्या करना, सब अपना अपना सच खुद टटोला करें... और नहीं तो गूगल चचा से ही पूछ लिया करें....लेकिन देख रहा हूं गूगल के सुझाए हुए वेबलिंक्स में से भी किस पर यकीं करना है किस पर नहीं, यह भी एक सीखने वाली बात है ..जो हर किसी को उस की शैक्षिक एवं बौद्धिक स्तर के अनुसार ही पता चल पाएगी...
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वैसे भी हम कभी एमरजैंसी में ही बाज़ार से इस तरह के पैकेटों में मिलने वाला आटा ही खरीदते हैं ... बड़ा अजीब सा कारण है ... हमें बाज़ार से मिलने वाले आटे की रोटी मैदे की रोटी जैसी लगती है ..जिसे हम अकसर खाते नहीं हैं....आटाचक्की से मोटा पिसा हुआ आटा ही खा पाते हैं... खैर, अपनी अपनी आदते हैं और अपना अपना यकीन है ...
हां, तो मैं एक बड़ी कंपनी के आटे में प्लास्टिक दिखाने वाली वीडियो की बात कर रहा था ...वैसे उसे देखते ही मुझे १५-१६ साल पहले शिशुओं को दिए जाने वाली पावडर दूध जो चीन से आ रहा था, उस में प्लास्टिक की बात याद आ गई ...जिस की वजह से कईं छोटे शिशुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी ... और बहुत से बच्चों के तो गुर्दे खराब हो गये थे ...
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अच्छा तो मैंने आप को इसे पढ़ने के काम में लगा दिया है ....और मैं तब तक एक गीत सुन लूं ..लंबे अरसे के बाद आज टीवी पर इसे देखा ....आप भी देखिएगा...
Thanks
जवाब देंहटाएंHey, that was a wonderful article . For best whole wheat atta in kerala. check out the link. whole wheat atta in kerala
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