सुबह से शाम हो जाती है ...वाट्सएप पर हर तरह का ज्ञान हम तक पहुंचता रहता है ...सच झूठ का कुछ पता नहीं चलता, दंगे- फसाद शुरू हो जाते हैं इन के चक्कर में .. इसी तरह से लोगों में नफ़रत फैलाने का एजेंडा लिए हुए भी लोग कुछ न कुछ पोस्ट करते रहते हैं...और कुछ का तो सारा दिन काम ही यही होता है...
मेरा तो सीधा सादा फंडा है कि जिस बात की विश्वसनीयता में मुझे संदेह लगता है ...उसे आगे कभी भी शेयर नहीं करता ..तरह तरह के इलाज के विज्ञापन, दवाईयों के विज्ञान, चमत्कारी इलाज ...पता नहीं क्या क्या दिखता रहता है ...
किसी भी बात को अगर हम आगे शेयर करते हैं तो उस पर एक तरह से हमारी स्वीकृति का भी ठप्पा लग जाता है ....
मेरे पास तो रोज़ाना ऐसी बहुत सी पोस्टें आती हैं....लेकिन मैं आगे शेयर करना तो दूर, इसे भिजवाने वाले को इस की विश्वसनीयता जांचने का जिम्मा भी सौंप देता हूं..
आज भी अभी शाम में एक जिम्मेवार चिकित्सा कर्मी से एक वीडियो मिला कि दिल्ली के किसी अस्पताल के एक डाक्टर ने आप्रेशन से किसी की आंतड़ियों से नूडल्स निकाले हैं ..लिखा था कि ये हमारे शरीर में पचते नहीं हैं... इसलिए ये आंतड़ी में फंस गये ...
बात कुछ पच नहीं रही थी ...मैंने उस वीडियो को डाक्टर्ज़ साथियों के ग्रुप में शेयर किया ... वहां भी आज दोपहर में थोड़ा सा माहौल गर्माया हुआ है ...होता है, कभी कभी हर ग्रुप में होता है ... मैंने एक्सपर्ट्स से रिक्वेस्ट करी कि वे बताएं कि क्या यह सच हो सकता है ... उसे ग्रुप पर शेयर किए हुए एक घंटा हो चुका है ...और एक्सपर्ट से एक जवाब मिला है ...कि यह नूडल्स तो नहीं लग रहे, ऐसा लग रहा है कि ये आंतडियों में इक्ट्ठा हो चुके कीड़ों का गुच्छा है ....यह विचार अनुभवी रेडियोलॉजिस्ट के हैं ...ज़ाहिर सी बात है उन का इस तरह के पेट के अंदरूनी मसलों के बारे में काफ़ी अनुभव होता है ..
बात यहां यह नहीं है कि नूडल्स खराब होते हैं या ठीक ... ये हम सब जानते हैं कि नूडल्स एक तरह का जंक -फूड तो है ही और दूसरे जंक-फूड की तरह इस के प्रभाव भी वैसे ही होते हैं ..लेकिन इस तरह की वीडियो सोशल मीडिया पर ठेल कर यह बताना कि नूडल्स वैसे के वैसे आंतडी़ तक पहुंच गये ...यह बात असंभव लगती है ....नूडल्सज़ ने मुंह से आंतड़ी तक का रास्ता तय भी कर लिया और उस के आकार पर कुछ असर ही नहीं पड़ा ... पेट का एसिड (ग्रेसटिक एसिड) भी उस का कुछ नहीं बिगाड़ पाया !!
वही एजेंडे वाली बात है ...क्या पता किसी अस्पताल की मशहूरी के लिए, या किसी चिकित्सक को प्रमोट करने के लिए या नूडल्स कंपनी से कोई पुराना हिसाब चुकता करने के लिए इस तरह की वीडियो वॉयरल कर दी होगी ... you see anything is possible now-a-days.
पारंपरिक मीडिया इस तरफ़ इतना ध्यान नहीं देता ...वह भी क्या करे, उसे अपनी TRP की चिंता है ...उऩ में से कुछ ने अपने सेठ के एजेंडे को भी देखना है ....इस तरह की खबरों की खबर लेने की उन्हें कहां फुर्सत है....
लेकिन इस तरह के वीडियो लोगों में बिना वजह डर फैलाते हैं ... अफवाहों को बढ़ावा देते हैं ....बेकार में यह सब देखने में लोग अपना समय नष्ट करते हैं...और क्या!
बात वही है कि ज्ञान की निरंतर वर्षा हो रही है ....लेकिन ज्यादातर मामलों में सच-झूठ का कुछ पता नहीं चलता...बस बेकार में हम हर बात के एक्सपर्ट बने फिरते हैं... चाहे हम लोग उस बात की एबीसी भी न जानते हों ...
ध्यान से रहिए.....पढ़े-लिखे होने का मतलब यह भी है कि हर ज्ञान की विज्ञान की कसौटी पर परखें ....और फिर ही उस को आगे शेयर करने के बारे में विचार करें...
चलिए, इस बात पर यहीं पर ही मिट्टी डालते हैं....बात करते हैं...पैडमैन की ....एक बेहतरीन फिल्म ....मैंने तो देख ली दो तीन दिन पहले ...आप ने देखी कि नहीं....अगर नहीं देखी तो इस वीकएंड पर देख आईए...it has a strong message!
आपने सही कहा। सोशल मीडिया ने हमे ताकत दी है और जैसे स्पाइडर मैन के चाचा बेन ने भी कहा है with every power comes responsiblity... अक्सर लोग बाग़ ये बात भूल जाते हैं...
जवाब देंहटाएंसही फरमाया आपने ...
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