शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

गुटखा-पान मसाला चबाने वालों के लिए खुशखबरी



खुशखबरी?...गुटखा पान-मसाला चबाने वालों के लिए?...यह कैसे संभव है!...यही सोच रहे हैं ना आप इस शीर्षक को पढ़ कर...लेकिन, नहीं, एक खुशखबरी इन के हिस्से की भी आज ले कर आया हूं...बहुत दिनों से सोच रहा था शेयर करूंगा...लेकिन बस टलता रहा।

यह जो आप मुंह के अंदर की तस्वीर देख रहे हैं यह लगभग १८-२० साल के नवयुवक की है ..इंटर में पढ़ता है..कालेज जाता है...यह लगभग दो-अढ़ाई साल पहले आया था मेरे पास...तकलीफ़ यही कि मुंह नहीं खुलता, मुझे अच्छे से याद है कि यह अपने मुंह में एक-दो अंगुली भी मुश्किल से डाल पा रहा था...इस के मुंह के अंदर बहुत से घाव थे..पायरिया तो था ही ...और सब से दुःखद बात कि यह मेरे पास जब भी आता था पायरिया के इलाज के लिए इस के मुंह में गुटखा पान-मसाला दबा होता था और मैं भी आदत से मजबूर इस के पायरिया के इलाज से पहले इसे गुटखे-पान मसाले से दूर रहने की नसीहत पिला दिया करता था...यह आराम से सुन लेता था ...मैं हर बार यही किया करता था...फिर इस के मसूड़े ठीक हो गये और मैंने इसे कहा कि अब तुम नियमित मुंह के चेक अप के लिए आया करो...गुटखा-पान मसाला छोड़ने को कहा और मुंह कम खुलने एवं मुंह के अंदर घाव पर कुछ दवाईयां लगाने को कहा ...

फिर यह नवयुवक मुझे दिखा नहीं ...अभी कुछ दिन पहले दांत की किसी तकलीफ़ के लिए वापिस आया तो मुझे इसे देख कर बहुत खुशी हुई....इसने पान मसाला दो साल पहले ही छोड़ दिया था, गुटखा पान मसाले से होने वाले मुंह के घाव पूर्णतयः ठीक हो चुके थे और सब से खुश करने वाली बात यह लगी जब इस ने मुझे बताया कि अब इस की तीन अंगुलियां मुंह में चली जाती हैं....

ऐसे नवयुवक --इतनी दृढ़ इच्छा शक्ति वाले मिलते हैं तो अच्छा लगता है, मुझे लगा कि शायद यह पिछले डेढ़ दो साल से दवाईयां खा रहा होगा या मुंह के अंदर लगाता भी रहा होगा, लेकिन नहीं, इसने कोई दवाई न खाई और न ही कोई मुंह के अंदर लगाई......बस, पान मसाला और गुटखे को बॉय-बॉय कहने से ही इस का कल्याण हो गया...मुझे बहुत खुशी हुई....आप सब के सामने एक प्रूफ पेश करने को मिल गया कि किस तरह से कोई भी बंदा धूम्रपान, गुटखा, पान मसाले को छोड़ने से स्वास्थ्य लाभ हासिल करने के साथ साथ भयंकर बीमारियों से अपने आप को बचा लेता है।

आप सोच रहे होंगे कि इस के मसूड़े फिर से ठीक नहीं लग रहे...हां, वह तो है ..लेकिन उस का संबंध इस के द्वारा ब्रुशिंग करने की कमी से है, वह भी ठीक हो जायेगा....कुछ दिनों में वह भी दुरूस्त हो जायेगा...वह कोई इश्यू नहीं है, सब से बड़े इश्यू को वह अपने आप मिटा चुका है।

अब आप मेरी इस पोस्ट को और इस नवयुवक की आपबीती देख-पढ़ कर यह मत समझ लीजिएगा कि इस तरह की तकलीफ़ के लिए किसी को भी इलाज की ज़रूरत नहीं है....नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इलाज तो करवाना ही होता है...लेिकन इस तरह का केस जब मेरी नज़र में आया तो मैंने उस के अनुभव भी दर्ज कर देना ज़रूरी समझा।

एक दूसरा युवक ...उम्र यही लगभग २०-२१ साल....हर समय मुंह में गुटखा-पान मसाला दबाये रहना..और मेरे पास भी यह सब चबाते हुए ही आना....(यह कुछ जगहों की संस्कृति में शामिल हो गया दिखे है अब ) .और मुंह मे बहुत से घाव ....इस की भी तीन चार बात अच्छे से क्लास ली कि गुटखे या अपनी ज़िंदगी में से एक हो अभी से चुन लो....जल्दी समझ गया...यह कोई एक डेढ़ महीने पहले की बात होगी....यह समय रहते ही समझ गया ...और बच गया...अभी दो चार दिन पहले चेक -अप करवाने आया था ..मुंह के सभी ज़ख़्म बिना किसी दवा के स्वतः ठीक हो चुके थे ...केवल एक घाव दिख रहा है जिसे आप यहां इस तस्वीर में देख रहे हैं.....यह भी चंद दिनों-हफ्तों में अपने आप ही गायब हो जायेगा।

हां, तो जिस बात को मैं रेखांकित करना चाह रहा हूं कि गुटखे-पान मसाले का त्याग करना सर्वोपरि है ....और अगर कुछ दवाईयां खाने या लगाने के लिए दी गई हैं, इन का इस्तेमाल करना ही चाहिए....लेकिन फिर भी आदत का छोड़ना सब से ...सब से ज़्यादा ज़रूरी है ...पहले वाले युवक की दास्तां आप ने अभी मेरे से सुनी।

मेरे पास बहुत से ऐसे मरीज़ भी आते हैं जो शायद मेरी इन्हीं बातों से परेशान (!) हो कर ये सब आदतें छोड़ देने पर मजबूर हो जाते हैं...लेकिन कईं बार कुछ लोग यह कह देते हैं कि बस, कभी कभी थोड़ा इस्तेमाल कर लेता हूं या बस, पहले तो ५० पैकेट हो जाते थे, लेकिन अब तो एक दो ही .....उन्हें मैं यही कहता हूं साफ़ साफ़ कि ज़हर तो ज़हर ही है, पूरी तरह से छोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं....मैं उन्हें समझाता हूं कि उच्च रक्त चाप के लिए चिकित्सक रोज़ाना एक टेबलेट से ही आप को ठीक कर देते हैं तो रोज़ाना एक गुटखा-पान मसाला या कभी कभी भी चबाया जाने वाला गुटखा-पान मसाला आप को बीमार..बहुत बीमार करने के लिए काफी है...

ये जो दोनों युवकों की बात मैंने शेयर की इन्हें मैंने यह भी समझाया था कि महंगे टॉनिक-वॉनिक लेने की वजाए...अपने खाने पीने पर ध्यान दें...सादा पौष्टिक खाना खाएं, नियमित सलाद लें और मौसमी फल तो लें लेकिन जंक-फूड से दूर रहें....

इन युवकों ने ..विशेषकर पहले वाले युवक ने तो लगता है मेरी बातों पर पूरा अमल किया ....एक बात और भी है कि इस १८-२० साल की अवस्था में हमारे शरीर में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) और अपने आप को हील (heal) करने...reparative capacity...  की अपार क्षमता होती है... और इन युवकों की इस बात ने भी हेल्प की...

इस का मतलब नहीं कि अगर आप उम्रदराज़ हैं और आप सोचें कि अब कुछ नहीं होगा, इतने सालों से इस तरह की चीज़ों का सेवन कर रहे हैं, अब तक तो होना था, हो ही गया होगा.........नहीं, ऐसी बात नहीं है.... आप शुरूआत तो कीजिए......ये दोनों उदाहरण हमेशा आप को प्रकृति की हीलिंग पॉवर की याद दिलाते रहेंगे ......लेकिन बस आप को हमेशा के लिए गुटखे-पान मसाले--पान को थूक देना होगा....और अगर आज ही किसी दंत चिकित्सक से एक बार अपने मुंह का चेक-अप करवा लें तो सोने पे सुहागा......अगर तो वह कहेगा कि अभी आप के मुंह में इस तरह का कोई प्रभाव नहीं दिख रहा तो आप को ये सब आदतें छोड़ने के लिए दृढ़ प्रेरणा मिलेगी !

इस तरह की आदतों से लिप्त कोई भी व्यक्ति अपने मुंह के अंदरूनी हिस्सों का अपने आप भी निरीक्षण निरीक्षण करे और दंत चिकित्सक से भी नियमित मिलता रहे .... एचआईव्ही की भी ऐच्छिक टेस्टिंग के पीछे भी तो यही फंडा है ...हम लोग कहते हैं कि जिस व्यक्ति का भी हाई-रिस्क बिहेवियर है उसे गुप्त रोगों की जांच एवं एचआईव्ही की ऐच्छिक रक्त जांच करवा लेनी चाहिए...God forbid, अगर कुछ पाया जाता है तो तुरंत उस से निपटने की तैयारी हो जायेगी और अगर सब कुछ ठीक आता है कि वे सब आदतें छोड़ने की एक मजबूर प्रेरणा तो मिल ही जायेगी.

बस, जाते जाते बात वही है..कि शुरूआत तो खुद हमें ही करनी है ....बार बार कितनी बार वही बात दोहरानी पड़ती है जो मैंने अपने बेटे के स्कूल के प्रिंसीपल के कक्ष के बाहर पढ़ी थी १५ साल पहले........There is never a wrong time to do the right thing!



गुटखे-पान मसाले का इस्तेमाल व्यापक तौर पर हो रहा है ...इस तरह के मरीज़ जिन का मैंने ऊपर वर्णन किया... कभी आकर हमारा हमारे में विश्वास पुख्ता कर देते हैं शायद ... और वैसे भी मैं तो हमेशा उस चिड़िया वाली कहानी को हमेशा अपने ज़हन में रखता ही हूं...जो एक जंगल की आग को दूर किसी तालाब से अपनी चोंच में पानी भर भर ला और उस आग पर छिड़काव कर बुझाने की कोशिश करती है और कोई उस की इस कोशिश की खिल्ली उड़ाता है कि इस से क्या होगा........उस चिड़िया का जवाब ही मेरी भी प्रेरणा है .....वह उस मज़ाक करने वाले को कहती है .....मेरी इस चोंच के पानी से आग बुझेगी कि नहीं, मुझे यह सोचने की फुर्सत नहीं है, मैं तो बस इतना जानती हूं कि जब इस आग का इतिहास लिखा जायेगा तो मेरा नाम आग बुझाने वालों में लिखा जायेगा...




4 टिप्‍पणियां:

  1. Last two year back i had Gutka but left that. Still my mouth also not open fully.
    Could you other way or suggestion let me know.

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    1. I think you should consult some qualified dentist for your oral check-up. One of the important components of treatment ie quitting the Gutkha habit you have already accomplished.

      Even then you should consult a dentist who will decide if you need any further professional care.

      If comfortable for you, you can send me further details ..without any hesitation...absolutely free!

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  2. बड़े ढीढ होते है ऐसे लोग ..क्या कहने पत्थर पर सर पटकना है इनके आगे ..

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    1. सच में यह तो एक भयंकर समस्या है...बहुत दुःख होता है जब छोटे छोटे बच्चे इन के चंगुल में फंस जाते हैं।

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