रविवार, 12 अप्रैल 2015

"क्या मैं अभी भी सैक्स कर सकता हूं?"

क्या मैं अभी भी सैक्स कर सकता हूं?...यह प्रश्न मुझे एक बुज़ु्र्ग ने पिछले महीने पूछा था...मैं अचानक इस प्रश्न के लिए तैयार नहीं था।

मुझे अच्छे से याद है मैं उस ७०-७१ वर्ष के बुज़ुर्ग के दांतों का निरीक्षण करने के बाद जैसे ही वॉश-बेसिन की तरफ़ बढ़ा, उसने यह प्रश्न दाग दिया। थोड़ी सी बैक-ग्राउंड इस प्रश्न की बताना चाहूंगा...दरअसल इस बुज़ुर्ग के सामने ही एक ८०-८२ वर्ष का दूसरा बुज़ुर्ग आया था...वह बातें कर रहा था...बिल्कुल तंदरूस्त था वह..बातों बातों में जब इस ७० वर्ष के बुज़ुर्ग को उस की उम्र के बारे में और उन की सेहत के बारे में पता चला तो इन के झट से कह दिया.....यह लंबी उम्र की बात मेरी समझ में तो कभी आई नहीं। सब काम कर लिए. ..धर्म-शास्त्र पढ़ लिए, कर्म भी कर लिए...दुनियावी कामों से निवृत्त भी हो लिए...इस के बाद जीने का आखिर है क्या मकसद?...मैं तो चुप रहा ...लेकिन वह गांव वाला ८२ वर्षीय बुज़ुर्ग हंसने लगा.....इतनी गूढ़ ज्ञान की बात उस के पल्ले नहीं पड़ रही थी शायद। लेिकन इसे समझने की कोई खास ज़रूरत भी नहीं थी। 

मैंने इन से पूछा कि क्या आप दुनियादारी के सभी कामों से फारिग हो गए?..कहने लगे..हां, जो भी पैसा जमा था, लड़के लड़कियों में बांट दिया है..पैंशन इतनी आती है कि वह भी पूरी नहीं खाई जाती। 

इतनी बातें हुई थीं कि उस गांव वाले ८२ वर्षीय बुज़ुर्ग ने सोचा होगा िक इन की बातें कुछ ज़्यादा हाई -लेवल की हैं, वह तो अपना काम करवा कर चले गये। 

लेकिन इस ७० साल के बुज़ुर्ग को लगा कि चलो, अभी मौका है, यह प्रश्न ही दाग देते हैं। 

शायद उन्हें उन का जवाब कचोट रहा होगा कि मैंने दुनियादारी की सारी बातों से फारिग होने की बात कबूल तो ली है, अब इस सैक्स वाली बात को भी साफ कर ही लूं।

अब मैं सैक्स स्पैशलिस्ट तो हूं नहीं, और उन से बीस बरस छोटा भी हूं...उस का क्या जवाब देता ...एक पल के लिए तो मैं चुप हो गया। फिर मुझे अचानक वह वाली कहावत याद आ गई ..घोड़ा और मर्द कभी बूढ़े नहीं होते ....ऐसा ही कहते हैं ना कुछ ...अगर खुराक सही हो......यही है ना!

उन्होंने मुझ से पूछा था कि शास्त्रों के अनुसार तो मुझे सैक्स वैक्स से मुक्त हो जाना चाहिए। मैंने उसी क्षण उन्हें कहा ... ऐसा कुछ नहीं है, आप जो सहज भाव से किए जा रहे हैं करते रहिए.......किसी तरह का अपराधबोध मत पालिए। 
मुझे लगा उन्हें तसल्ली सी हो गई। 

फिर तुरंत कहने लगे कि डाक्टर साहब,  मैंने अपनी बीवी से अलग बरामदे में भी एक साल तक सोने का अभ्यास किया....इन्होंने उसे यहां तक कहा कि ६० की उम्र के बाद शास्त्र यह सब काम करने के लिए मना भी करते हैं, वह भी बीवी को नागवार गुजरा, बीवी कहने लगी यह ठीक थोड़ा लगता है, अगर हम दोनों में से किसी को कोई एमरजेंसी हो जाए तो पता कैसे लगेगा! 

अपनी मजबूरी ब्यां करते वह आगे कहने लगे कि इसी चक्कर में मैंने फिर से बीवी के साथ एक कमरे में ही सोना शुरू किया और जब मैं बीवी के साथ होता हूं तो कुछ शरारत.....तब बीवी कहती है..चुपचाप लेटे रहो, इन चक्करों में मत पड़ो। सुनाते सुनाते परेशान सा दिखाई दिया यह बंदा....बताने लगे कि बीवी बड़ी पूजा पाठ वाली धार्मिक प्रवृत्ति की है।  

मेरे बिना पूछे ही बताने लगे कि छःमहीने एक साल में ...फिर कहने लगे कि यही दो चार छः महीने में जब मेरा कंट्रोल नहीं होता तो सहवास हो जाता है। और कहने लगे कि इसे भी मैं संगति का असर ही कहूंगा ...जब मेरी संगति या खानपान ऐसा वैसा होता है, तभी यह कुछ होता है। मैं चुप था......उन्हें शायद इस बात का जवाब चाहिए था कि क्या यह सब गलत है या ठीक।

मैंने उन से एक भी बात पूछनी उचित नहीं समझी ...जितना उन्होंने मेरे से शेयर किया ..उसी के आधार पर उन से यही कहा कि आप बिल्कुल सहज हो कर रहिए....ऐसा कहीं नहीं लिखा ...कि यह गलत है यह ठीक है...शास्त्रों के चक्कर में पड़िएगा तो उलझ जाएंगे.....आप और आप की पत्नी सहज भाव से जो कर रहे हैं या कर पा रहे हैं, करना चाहते हैं, बिना किसी अपराधबोध में फंसे करते रहिए..

दोस्तो, इन बुज़ुर्ग की आपबीती यहां ब्यां करने का मकसद इस बात को रेखांकित करना था कि किसी भी उम्र में देश में लोगों में सैक्स के प्रति अजीबोगरीब भ्रांतियां व्याप्त हैं, किशोरो की अपनी समस्याएं (नाइट-फाल), युवाओं की अपनी (शीघ्र स्खलन आदि)..और एक बडे़-बुज़ुर्ग की भी आपने सुन लीं। हर आयुवर्ग के ज़हन में कितने ही सवाल बिना जवाब के सुलगते रहते हैं.......लेिकन ये अधिकतर काल्पनिक समस्याएं होती हैं, ठीक है, कईं बार परीक्षण करवा लेने से मन को तसल्ली मिल जाती है....लेकिन इस तरह की काल्पनिक समस्याएं अधिकतर नीम-हकीम जन साधारण के मन में बैठा कर ही दम लेते हैं और फिर कईं वर्षों तक उन का आर्थिक शोषण करते रहते हैं.

दूसरी बात यह है कि हर आदमी अपने प्रश्न पूछना चाहता है लेकिन उसे गोपनीयता भी चाहिए......जैसे ही उसे कोई भी मौका मिलता है वह मन से बोझ उतारना चाहता है। जैसा कि इस ७० वर्षीय बुज़ुर्ग के साथ हो रहा था ... मैं इस विषय का विशेषज्ञ भी नहीं हूं लेकिन उसे लगा होगा कि चलो एक जायजा तो ले लिया जाए। 

सरकारी अस्पतालों की बात और है...लेकिन कुछ कारपोरेट अस्पतालों में वातावरण बिल्कुल अलग सा ही है ......अगर ये इस तरह की बातें वहां जाकर करते तो पहले तो इन्हें पोटेन्सी टेस्ट के चक्कर में डाल दिया जाता, फिर और भी तरह तरह के टेस्ट ...बड़ी बात नहीं कि इन की श्रीमति जी को चैक-अप के लिए कह दिया जाता। 

नेट पर सारी जानकारी पड़ी तो है लेकिन हर बंदा कहां यह सब ढूंढ पाता है। वैसे एक ९० वर्ष के सैक्स एक्सपर्ट का लिंक मैं यहां दे रहा हूं......चलिए, मिलते हैं आज एक ९० वर्षीय सैक्सपर्ट से...डा महेन्द्र वत्स..

एक बार मुझे ध्यान है ऐसे ही मैंने कुछ लिखा था कि हार्ट अटैक के मरीज़ कितने समय बाद संभोग कर सकते हैं.....दोस्तो, मुझे बिल्कुल नहीं पता कि मैंने उस में क्या लिखा था.....हां, मेन आइडिया तो ध्यान में रहता ही है...लेकिन उस के कंटेंट मुझे बिल्कुल भी याद नहीं है.......मैं अपने लेख लिखने के बाद कभी इन्हें पढ़ना नहीं चाहता, बिल्कुल उसी हलवाई की तरह जो अपनी बनाई मिठाई स्वयं नहीं खाता। वैसे शुद्धता की जहां तक बात है, मैं हलवाई के बारे में तो कुछ नहीं कह सकता, लेकिन इस ब्लॉग के एक एक लेख में मैंने केवल और केवल प्रामाणिक एवं वैज्ञानिक सत्यों पर आधारित जानकारियां ही शेयर की हैं। ...हार्ट अटैक के बाद संभोग से इतने खौफ़ज़दा क्यों?

इस पोस्ट से संबंधित बात तो नहीं है लेकिन फिर भी ध्यान आ गया.......हम लोग फिरोजपुर में पोस्टेड थे...१२-१३ वर्ष पहले की बात है...हमारे अस्पताल में एक एनेसथेटिस्ट आया (जो डाक्टर आप्रेशन के दौरान मरीज को बेहोश करते हैं)...अब उस डाक्टर को सामान्य मरीज़ भी ओपीडी में लिखने होते थे....उन दिनों वियाग्रा नईं नईं चली थी, उस ने पता नहीं किसी यूनियन के दबाव में या कैसे एक मरीज़ को वे गोलियां लिख दीं.....अब जो दवाई हमारे अस्पताल में नहीं होती, मरीज़ को बाज़ार से खरीद कर दिलाई जाती है.....पहले चिकित्सा अधीक्षक की अनुमति ली जाती है......उस ने उसे बुला कर कहा कि यार, तू सैक्स-स्पेशलिस्ट कब से बन गया? ...कुछ लोग बड़ी जल्दी बुरा मान लेते हैं......वह कुछ दिनों के बाद सर्विस छोड़ कर दिल्ली चला गया। 

इस समय यह गीत ध्यान में आ रहा है....

2 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ.साहिब ...इस मसले पर बड़े बड़े ज्ञानी पुरषों ने
    लेख लिखे हैं ...और आज आपने भी लिखा है ...अच्छी
    बात है ...ज्ञान बांटना...जिसके बारे में हम न खुल के पूछ
    सकते हैं ...न बता सकते हैं ...इस ज्ञान से आज की ,आने वाली
    पीड़ी का भला ही होगा ...मैं इस में अपनी एक बात जोड़ना चाहूँगा,
    अपने तजुर्बे से.....कुदरत ने कुछ फैसले अपने पास रखे हैं ..नारी के
    बारे में .....ताली बजाने के लिए दो हाथों की ज़रूरत होती है ....
    अगर दो हाथों से आप ताली बजा सकते हैं तो उम्र का कोई बंदन नही ....
    दिल खोल आनंद लें ...एक हाथ से ताली बजाने की कोशिश न करें ...
    तब चुटकला सुनियें और सुनाइए और आनंद पाइए ......

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