गुरुवार, 1 जनवरी 2015

गीत गाओ...खुशी मनाओ.. खुशामदीद 2015

आज नये साल की शुरूआत है.....हंसने, गाने, भंगड़े डालने की बातें करते हैं दोस्तो।

दोस्तो, मुझे आज सुबह १०-१२ साल पहले का हंसराज हंस का एक गीत याद आ रहा था, सीडी का जमाना था, बार बार अपने डेस्कटॉप कंप्यूटर में डाल डाल कर यह गीत सुनना अच्छा लगता था क्योंकि इस के लिरिक्स और ट्यून बहुत अच्छी लगती थी......असीं दोवें रूठ बैठे तां मनाऊ कौन वे....



उन्हीं दिनों की बात है मैं एक बार एक बार फिरोजपुर से दिल्ली जनता एक्सप्रेस में यात्रा कर रहा था...दोस्तो,  एक आठ-दस का लड़का भटिंडा से चढ़ा और उस ने यही गीत गाना शुरू किया....साज़ के नाम पर उस के हाथ में दो छोटी छोटी ठीकरीयां (टूटे हुए मटके के टुकड़े) थीं लेकिन दोस्तो, जैसा उस लड़के ने समय बांध कर रख दिया....आज भी याद है।

लगभग दो वर्ष पहले मेरे बेटे ने एक वीडियो का लिंक भेजा था....सुदेश कुमारी पंजाबी सिंगर का....जितनी सहजता से वह गीत गा रही थी, काबिले तारीफ़ है.....देखने से ही लगता है कि वह अपने काम को खूब एंज्वाय कर रही है... वाह जी वाह....



कल शाम को एक मित्र ने एक बुज़ुर्ग का गीत जब एन ईवनिंग इन पैरिस का गीत भेजा तो सुन कर तबीयत हरी हो गई।


और सन्नी सन्नी फनी की तो क्या तारीफ़ करें, आप स्वयं देख लें........खुश हो कर इस नानी का तो माथा चूम लेने की इच्छा होती है!!



और जाते जाते इन बुज़ुर्गों का उत्साह भी देखना मत भूलियेगा, वरना बुरा मान जाएंगे.....



दोस्तो, आप ने इतना कुछ देखा.......आपने नोटिस किया कि ये लोग कितनी मौज में अपना काम कर रहे हैं।

मुझे याद है एक बार एक सत्संग में मैंने सुना था कि जब डांस करो, जब गीत गाओ तो यह सब ऐसे करो जैसे अपनी रूह के लिए कर रहे हो, ऐसे सोचो कि तुम्हें कोई भी देख नहीं रहा और तुम तो अपनी रूह को खुश करने के लिए ही बस यह कर रहे हो........फिर देखिए कितना मज़ा आता है.......

दोस्तो, ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा..........आप को कौन रोक रहा है?.....यह कौन परवाह करता है कि नाचना आता है कि नहीं, गीत के सुर लग रहे हैं कि नहीं, ये अनाड़ी लोगों की बातें हैं........बस, जब झूमने को, गाने को दिल करे तो खुल कर जी लिया करें............इसी शुभकामनाएं के साथ कि ईश्वर आप के हालात इस नये वर्ष में ऐसे बना दे कि आप सदैव मुस्कुराते रहें, स्वस्थ रहें और अपने आसपास भी खुशीयों का इत्र छिड़कते रहें............

दोस्तो, उल्लास, मौज मस्ती को ब्यां करने वाले सैंकड़ों लम्हें हमारी सब की यादों में कैद हैं, है कि नहीं?.....तो यार आप को अपना दिल खोल कर कुछ करने के लिए कौन मना कर रहा है!!........Please don't hold back! Open up!!

दिल खोल कर अपनी खुशी का इज़हार कर पाना भी ईश्वर का एक वरदान है.....आप सेहतमंद हैं, आप की रूह राजी है, आप के मन में विश्व-बंधुत्व की सुंदर भावनाएं हैं....तब कहीं जाकर दोस्तो यह खुशी फूटती है...वैसे फार्मूला इतना सीरियस भी नहीं है जितना मैंने लिख दिया है,  बस आप शुरू हो जाओ।

जाते जाते मेरी पसंद का भी एक गीत सुन लें...मुझे यह बहुत पसंद है......मैंने कुछ दिन पहले इसे बरसों बाद सुना था अपने रेडियो पर........कैसे जीते हैं भला... आ बता दें यह तुझे कैसे जिया जाता है......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर आप के विचार जानने का बेसब्री से इंतज़ार है ...